झारखण्ड : खनन कार्य पूर्ण हो चुके भूमि वापस लेना जनहित फैसला

झारखण्ड : हेमन्त सरकार का खनन कार्य पूर्ण हो चुके भूमि वापस लेना राज्यहित में एक बेहतरीन फैसला. इससे सरकार को वनक्षति और विस्थापन जैसी समस्या के समाधान की दिशा में नीतियां बनाना होगा आसान

रांची : झारखण्ड खनिज संसाधन बाहुल्य राज्य है. और राज्य में पूर्व के शासन काल इसके दोहन की दिशा में बड़े पैमाने पर बे-प्लानिंग खनन गतिविधियों का सच लिए है. खनन हेतु जमीन अधिग्रहण किया जाता रहा. जिसके अक्स में बड़ी संख्या में आदिवासी, दलित और अन्य मूलवासी वर्ग न केवल विस्थापित हुए अनस्किल्ड भी हुए. विस्थापितों को उचित पुनर्वास भी नहीं मिला, नतीजतन उनकी आजीविका और जीवन स्तर प्रभावित हुआ. आज वह सभी अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं 

खनन कार्य पूर्ण हो चुके भूमि की वापसी

ज्ञात हो, आदिवासी समुदायों का आर्थिक जीवन वन से जुड़ा है. विस्थापन और वन कटाई ने उनकी पारंपरिक जीवन शैली और सांस्कृतिक पहचान को खतरे में डाल दिया. आदिवासी-दलित समुदायों के भूमि अधिकारों का हनन हुआ, जिससे न केवल उनकी आर्थिक-सामाजिक स्थिति कमजोर हुई . असमानता के अक्स में वह हाशिए पर चले गए. नतीजतन विस्थापन जैसे मुद्दे पर स्थानीयों का  प्रशासन और सरकार के बीच लंबा संघर्ष देखा गया और नागरिकों के लोकतांत्रिक भाव में क्षति हुई.

हेमन्त सरकार इस समस्या के स्थाई हल निलाने के दिशा बढ़ी 

झारखण्ड में विस्थापन और वन कटाई की समस्या अब जटिल हो चुकी थी. सामाधान के दिशा में यह समस्या सरकार के तरफ टकटकी लगाए देख रहा था. मसलन, हेमन्त सरकार ने न केवल इस जटिल समस्या को गंभीरता लिया इसके सामाधान के दिशा ठोस कदम भी उठाया है. सीएम हेमन्त सोरेन ने स्वयं विस्थापन और पर्यावरण संरक्षण के दिशा में न केवल प्रयास करते दिखे, इससे सम्बंधित जनहित प्रस्ताव को स्वीकृति भी दी है.

ज्ञात हो, राज्य में खनन कार्य हेतु सी०सी०एल० एवं बी०सी०सी०एल० को आवंटित की गई जमीन जिसमें खनन कार्य पूर्ण हो चुके हैं, वैसे भूमि को हेमन्त सरकार वापस लेते हुए क्षतिपूरक वन रोपण कराए जाने संबंधित प्रस्ताव पर सीएम हेमन्त सोरेन ने अपनी सहमति दे दी है. पूर्व में सी०सी०एल० एवं बी०सी०सी०एल० को खनन कार्य करने के लिए आवंटित भूमि के बदले में क्षतिपूरक वनरोपण हेतु अन्य जमीन की प्रतिपूर्ति की जाती थी. लेकिन अब सरकार स्वयं वैसे ज़मीनों को लेकर नीतियां बनायेगी. जो एक बेहतरीन फैसला माना जा सकता है.

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