इंडिया जस्टिस रिपोर्ट 2020 – सुरक्षा व्यवस्था के मद्देनजर भाजपा को करारा जवाब

इंडिया जस्टिस रिपोर्ट 2020 – रघुवर सरकार में झारखंड पुलिस जहां 9वें स्थान पर थी, वहीं अब वह हेमन्त सरकार में 6ठें स्थान पर है, क्या सच पचाने की क्षमता प्रदेश भाजपा नेताओं में है?

टाटा ट्रस्ट जैसे संस्था की इंडिया जस्टिस रिपोर्ट 2020 रिपोर्ट में कहा गया, 2020 में झारखंड की विधि व्यवस्था पहले की तुलना में सुधरी है  

राँची। झारखंड में जनता के बीच हेमन्त सोरेन की लोकप्रिय बढ़ी है। इसके पीछे का सच मुख्यमंत्री का न केवल सहयोगत्मक कार्य, बल्कि राज्य में पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था मुहैया करना, मुख्य कारण है। टाटा ट्रस्ट की इंडिया जस्टिस रिपोर्ट-2020 में झारखंड पुलिस को 6वां स्थान देना, पुष्टि करती है। ज्ञात हो मुख्यमंत्री ने समय-समय पर पुलिस अधिकारियों को उसके अच्छे कार्यों का सम्मान भी किये और सख्त निर्देश भी दिये हैं। जो निश्चित रूप से राज्य में पुलिस व्यवस्था के सुधार के मद्देनज़र कारगर साबित हुए।

हेमन्त सोरेन के शासनकाल में इस उपलब्धि का मुख्य कारणों में एक, राज्य के लोगों को पुलिसिया  डर के साये बाहर निकालना भी अहम कड़ी है। वहीं राज्य के पुलिस को भी पहली बार ऐसे वातावरण मुहैया हुई, जहाँ वह बिना राजनीतिक दबाव के अपना कर्त्तव्य निभा सकती है। मसलन, टाटा ट्रस्ट की इंडिया जस्टिस रिपोर्ट 2020 में झारखंड पुलिस भाजपा काल के 9वें स्थान से हेमंत काल में 6ठें स्थान पर पहुंच चुकी है। यानी, हेमंत सरकार में 3 पायदान का उठान, सीधे तौर पर सुरक्षा व्यवस्था को लेकर

हेमन्त सोरेन के शासनकाल में इस उपलब्धि का मुख्य कारणों में एक, राज्य के लोगों को पुलिसिया  डर के साये बाहर निकालना भी अहम कड़ी है। वहीं राज्य के पुलिस को भी पहली बार ऐसे वातावरण मुहैया हुई, जहाँ वह बिना राजनीतिक दबाव के अपना कर्त्तव्य निभा सकती है। मसलन, टाटा ट्रस्ट की इंडिया जस्टिस रिपोर्ट-2020 में झारखंड पुलिस भाजपा काल के 9वें स्थान से हेमंत काल में 6ठें स्थान पर पहुंच चुकी है। यानी, हेमंत सरकार में 3 पायदान का उठान, सीधे तौर पर सुरक्षा व्यवस्था को लेकर भाजपा नेताओं द्वारा उठाये गए भ्रामक सवालों का करारा जबाव है। 

चूँकि खोखले सिंद्धात में सच पचाने की शक्ति नहीं होती, ऐसे में बाबूलाल मरांडी सहित अन्य भाजपाइयों को यह रिपोर्ट कैसे पचेगा 

ज्ञात हो कि जन मुद्दों के अभाव में प्रदेश भाजपा के नेताओं की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर हेमंत सरकार को घेरने की रणनीति रही। ज्ञात हो कि कानून-व्यवस्था के आड़ में भाजपा द्वारा ओरमाझी हत्याकांड जैसे घरेलू हिंसा मामले को हिन्दू-मुसलमान करने के प्रयास से नहीं चूकी। मुख्यमंत्री पर व्यक्तिगत रूप से हमला हुआ। लेकिन झारखंड पुलिस ने महज 9 दिनों में मामले का अनुसंधान कर भाजपा के मंसूबे पर पानी फेर दिया। शायद यह रिपोर्ट पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी समेत उन तमाम नेताओं के झूठे व भ्रामक सवालों को समझने की समझ पैदा करेगी।

मसलन, भाजपा के 14 वर्षों के शासन में रही क़ानून व्यवस्था के लिए मौजूदा क़ानून व्यवस्था एक आईना हो सकता है। जिसमे वह अपने शासनकाल का तुलना कर अंतर समझ सकती है। दरअसल, फासीवाद का एक परम्परा है, जहाँ वह अपने शासन में गरीबों को शिक्षा से दूर रखती है। और यदि गरीब फिर भी उसे सत्ता से बाहर का रास्ता दिखा दे, तो वह उसी जनता का अशिक्षा का फायदा उठा, मीडिया व आईटी सेल के मदद से हल्ला मचाती है कि वर्तमान सरकार उनकी तुलना में खराब है। लेकिन इस दफा झारखंड में फासीवादी भाजपा को आकड़ों के साथ मुंह की खानी पड़ी है। 

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