हेमन्त सोरेन का जन्मदिवस -अडिग रहने का झारखंडी प्रतीक

झारखण्ड : सीएम हेमन्त सोरेन का जन्म दिवस – चुनौतियों के बीच जन अन्याय के आगे न झुकने और जनता से किए वादा निभाने का झारखंडी प्रतीक.

रांची : झारखण्ड सीएम, हेमन्त सोरेन को जन्म दिवस की बधाई. एक आदिवासी का देश के समक्ष झारखंडी माटी में सनी संस्कारों का लोकतांत्रिक अक्स. बतौर सीएम जिनका कार्यकाल सामंतवाद के विचारधारा को, उसके नीतियों को और उसके शाजिसों को न केवल मुंह चिढ़ाती है. अन्याय के खिलाफ झारखण्ड का कभी ना घुटने टेकने, कभी ना झुकने का स्पष्ट तस्वीर भी प्रस्तुत करती है. मसलन, कहा जा सकता है कि हेमन्त सोरेन का जन्मदिवस राज्य को गौरवान्वित करने वाला दिवस है.

हेमन्त सोरेन का जन्मदिवस

सामंतवाद के आगे राज्य का घुटने न टेकने का पूरा श्रेय हेमन्त को मिलना चाहिए

ऐसे सामंती दौर में जहां वनवासी के अक्स में देश भर में सभी आदिवासी समुदायों पर सामंती हमले जारी हों. राष्ट्रपति-पीएम तक विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर भी शुभकामनाएं देने की हिम्मत न जुटा पा रहे हो. देश भर के आदिवासियों को उसके जल-जंगल-ज़मीन से सरकारी नीतियों के आसरे बेदखल करने की साजिशें निरंतर धरातल पर दिख रही हो. सामंती फूट विचारधारा के अक्स में SC-ST में बटवारे की लकीर जबरन खींच दी गई हो. जबकि सच एक ही सवर्ण वर्ग का सभी संसाधों पर काबिज के रूप में उभरे.

विधानसभा से पारित, 9वीं अनुसूची को प्रेषित एसटी समुदाय की सरना-आदिवासी कोड की जायज गुहार दशकों से अंसुनी किए जाने का सच लिए हो. इन्हीं कड़ियों से जुड़ाव बनाए उस आदिवासी सीएम, हेमन्त सोरेन का सच बिना गुनाह के केन्द्रीय जांच संस्थानों के आसरे लोकसभा चुनाव के बीच जेल में ठुसे जाने का हो. जिसके अक्स केन्द्रीय सामंती दल की विचारधारा के आगे राज्य का घुटने न टेकने के रूप में उभरे, तो हेमन्त सोरेन को पूरा श्रेय देना एक ईमानदार प्रयास हो सकता है.

सीएम हेमन्त सोरेन की दूसरी पारी भी जन चिंतन को समर्पित

तमाम परिस्थितियों के बीच भी वह आदिवासी खुद को निर्दोष साबित कर पुनः सीएम पद को शुशोभित करे. उसकी दूसरी पारी भी जन हित को समर्पित दिखे. झारखंड भविष्य के मद्देनजर उनका चिन्तन युवा बेरोजगारी, महिला कुपोषण, शिक्षा-स्वास्थ्य जैसी समस्याओं को प्राथमिकता लिए दिखे. उस सीएम के संरक्षण में आदिवासी दिवस के अवसर पर देश भर के सभी आदिवासियों समाज अपनी ऐतिहासिक, सांस्कृतिक साक्ष्यों और कलाकृतियों पर बे-रोक-टोक इतराए, तो उस सीएम के लोकतांत्रिक साहस का सम्मान होना ही चाहिए.

ज्ञात हो, झारखण्ड दलित, आदिवासी, पिछड़ा और अल्पसंख्या बाहुल्य प्रदेश है. ऐसे में तमाम सामंती नीतियाँ झारखण्ड प्रदेश में भयावह सच का उभार लिए है. और तमाम विकट परिस्थितियों के बीच भी बतौर सीएम- जननेता के रूप में हेमन्त सोरेन का सच अडिग योद्धा या सेनापति के रूप में उभरे, तो राज्य के आदिवासी-मूलवासी को बिना संदेह मान लेना चाहिए कि उसके जितने की गुंजाईस अभी भी बाकी है. उन्हें सेना के रूप में अपने सीएम के साथ खड़ा रहना चाहिए. और उनके जन्म दिवस को कभी न झुकने का प्रतीक मानना चाहिए. जोहार…

Leave a Comment