झारखण्ड : सीएम सोरेन के शासन में हर वर्ग की सामाजिक सुरक्षा व भागीदारी को महत्ता मिली है. सीएम राज्य के उलझे सिरे को सुलझाते हुए व बुनियादी जरूरतों को पूरा करते हुए संवैधानिक अधिकारों को मजबूती दे रहे हैं. अलग झारखण्ड के सपनों को पुनर्जीवित कर रहे हैं.
रांची: सामन्ती लूट के अक्स में अलग झारखण्ड 20 वर्षों का इतिहास SC, ST, OBC, महिला, गरीब वर्ग, यहां तक कर्मचारी वर्ग समेत तमाम संस्थान के शोषण का साक्ष्य है. नतीजतन, राज्य में विकास के डोर का हर सिरा ऐसा उलझा कि नयायपालिका, विधायिका, कार्यपालिका, शिक्षा, रोजी-रोजगार, सामाजिक सोहार्द सभी पनाह मांगने लगे. उर समाज का एकजुट हो आगे बढने का हर प्रयास विफल हुआ. और हर वर्ग एक दुसरे को ही इसका दोषी ठहराने लगे.
लेकिन, सीएम हेमन्त सोरेन का पारखी नजर ने न केवल राज्य के समस्याओं के मूल को समझा, बल्कि चुनौतियों के बीच समस्याओं के हर उलझे डोर को सुलझाने की दिशा में मजबूती से बढ़े. कोरोना संक्रमण के विकट दौर में सीएम न केवल गरीबों के पक्ष में खड़े हुए, योजनाओं के माध्यम से उन्हें आर्थिक मजबूती भी दी. पूर्व के सरकारों नीतियों के अक्स में अनुबंध जैसे अन्धकार भविष्य से पारा शिक्षकों आंगनबाडी बहनों को निकाल कर के रूप उन्हें निश्चित भविष्य दिया.
इसी प्रकार सरना धर्म कोड बिल, स्थानीय नीति, आरक्षण विधेयक, सर्वजन पेंशन, खेल नीति, पर्यटन नीति, उद्यौगिक नीति, शिक्षा में होस्टल दुरुस्तीकरण, आधुनिक स्कूल, मुफ्त कोचिंग, विदेशों में उच्च शिक्षा, बेटी शिक्षा जैसे प्रयास झारखण्ड हित में है. हो सकता विपक्ष के एजेंडे व भाषण में यह प्रयास छोटा, बेतुका, धीमा प्रस्तुत हो, लेकिन संविधानिक दृष्टिकोण से सत्य तो यही है कि हेमन्त सरकार के हर निर्णय पुख्ता और झारखण्ड विकास के बुनियादी हिस्सा है. जो राज्य में हर वर्ग के सामाजिक सुरक्षा व भागीदारी सुनिश्चित करते हैं.