झारखण्ड : खुद के सामंती मुद्दों के आसरे बीजेपी का युवाओं को भ्रमित करने का प्रयास

झारखण्ड : सरकारी पदों को रिक्त रखना, अनुबंध नियुक्ति प्रोपगेंडा, 20 वर्षों में 6ठी JPSC तक न करा पाना, नियोजन नीति को निरस्त करना, प्रयासरत ST सीएम को जेल भेजना, झारखंडी युवाओं को अयोग्य घोषित करना, बाहरियों की नियुक्ति… आदि

रांची : मौजूदा हेमन्त शासन के पहले के झारखण्ड के 20 वर्षों के इतिहास का अधिकाँश हिस्सा बीजेपी शासन के कुनीतियों का सच लिए है. बाहरी बैशाखी पर खड़ी बीजेपी शासन का यह इतिहास राज्य के आदिवासी-मूलवासी युवाओं की त्रासदी का पटकथा लिए है. बीजेपी राजनीति ने राज्य में दो तरह के बाहरियों को झारखण्ड में घुसपैठ करने का मौक़ा दिया. एक अन्य राज्यों के बाहरी थे तो दूसरे बँगलादेशी विदेशी घुसपैठ. एक बाहरी ने उसे वोट दिया तो दूसरे ने साम्प्रदायिक राजनीति करने की ज़मीन. रघुवर काल में आदिवासी-दलित बस्तियों के निकट इन्हें बसते देखा गया.

युवाओं को भ्रमित करने का प्रयास

इस काले सच को अन्य लेख में उभारा जाएगा. यह लेख मूलवासी युवा बेरोजगारी पर केन्द्रित है. पूर्व के बीजेपी शासनों की समीक्षा से पता चलता है कि तात्कालिक टेन्योरों में सरकारी पदों को रिक्त रखने की शाजिस हुई और अनुबंध नियुक्ति जैसे प्रोपगेंडा को आगे बढ़ाया गया. जिसके अक्स में राज्य के आदिवासी-मूलवासी का भविष्य गर्त में समाया. यही नहीं राज्य के युवाओं को अयोग्य तक घोषित कर दिया. बीजेपी की पूरी राजनीति बाहरियों के आसरे टिकी थी मसलन बीजेपी का कभी भी मूल झारखंडियों के पक्ष में नियोजन निति बनाने का प्रयास नहीं दिखा. बनाया भी तो वह बाहरियों को ही संरक्षण देने वाला साबित हुआ.

20 वर्षों में बीजेपी 6ठी JPSC तक न करा पाई

चूँकि बीजेपी के लंबा शासनकाल सरकारी रिक्त पदों को भरने का वकाल नहीं करती थी मसलन कभी परीक्षा नियमावली बनाने का प्रयास नहीं हुआ. नतीजतन, 20 वर्षों में उस शासन ने राज्य में 6ठी JPSC तक न करा पाई. वर्ष 2019, हेमन्त सरकार के आते ही देश को कोरोना ने जकड लिया. केन्द्रीय बीजेपी सत्ता ने तो एक्ट ऑफ़ गोड कह पल्ला झाड़ लिया, लेकिन हेमन्त सरकार ने ऐसा नहीं किया – उसने नियोजन नीति बनाया और परीक्षा नियमावली भी, जो बीजेपी राजनितिक ज़मीन के लिए घातक था. मसलन, न्यायालय के आसरे उसने नियोजन निति को निरस्त करा दिया.

और दूसरी तरफ यहीं से राज्य में केन्द्रीय जांच एजेंसियों के तांडव रूपी प्रकोप का राज्य में शुरुआत होती है. जैसे-जैसे हेमन्त सरकार रिक्त पदों को भरने की कवायद तेज करती गयी, राज्य के सीएम हेमन्त सोरेन पर जांच एजेंसियों का शिकंजा कसता गया. जैसे ही जांच के घेरे में बीजेपी फंसती जांच थम जाती और पुनः दुसरे एंगल से जांच प्रक्रिया शुरू हो जाता. अंततः उस आदिवासी सीएम को लोकसभा चुनाव के पहले जेल में डाल ही दिया गया. आगे की कहानी सभी को पता है. दूसरी तरफ केन्द्रीय नीतियों ने नियुक्ति की जवाबदेही जबरन राज्य सरकारों के मत्थे मढ़ दिया.

बीजेपी के सामन्ती नीतियों ने युवाओं में आक्रोश भरा अब बीजेपी उस आक्रोश वोट में बदलने को बेकरार

ज्ञात हो, पूर्व के बीजेपी शासन ने अग्निवीर योजना की भांति अनुबंध के आसरे निधारित समय सीमा के लिए कॉन्ट्रैक्ट के आसरे राज्य के मूल युवाओं को नियुक्ति दी. जाहिर है अल्प समय सीमा युवाओं के अधेड़ उम्र में ही समाप्त होंगे और वह मौजूदा सरकार से अपने भविष्य को लेकर गुहार लगायेंगे. झारखण्ड ही नहीं सभी राज्यों में ऐसा हो भी रहा है. अब उसी बीजेपी के नेता युवाओं के उस आक्रोश और दुःख के साथ खुद को खड़ा करने का प्रयास करती दिख रही है. और फिर एक बार अपने पक्ष में वोट उगाही के रूप में उसे भुनाने का प्रयास भी करती दिख रही है.

इसी सामंती प्रयास को बीजेपी ने 23 अगस्त 2014, जन आक्रोश रैली का नाम दिया है. हालांकि, इस आक्रोश रैली में मूल युवाओं के बजाय अधिक भागीदारी बीजेपी युवा मोर्चा के सदस्यों की दिखी. चूँकि बीजेपी नेताओं के ट्रेनिंग में असल आन्दोलन और संघर्ष की जगह नहीं होती है. उसे तो बस उड़ते मुद्दों से फायदा उठाना सिखाया जाता है, यहाँ भी यही प्रयास दिखा बीजेपी नेता उस थोड़े से युवाओं के आक्रोश को भी बँगलादेशी घुसपैंठ के आसरे साम्प्रदायिक रंग में रंगने का प्रयास करते दिखे. और पत्थरों के सहारे जबरन युवाओं को भड़काने का प्रयास करते दिखे.

तमाम परिस्थितियों से समझा जा सकता है कि राज्य के आदिवासी-मूलवासी युवाओं को अपनी राजनितिक समझ और गहरी करनी होगी. राज्य में नियुक्ति का चक्र घूम चला है. मौजूदा सरकार में इसके प्रति गंभीरता भी दिखती है. तमाम सामंती अडचनों के बीच भी हेमन्त सरकार मूल युवाओं के पक्ष में ठोस फैसले लेती जरुर दिखती है. राज्य के युवाओं को ऐसे नाजुक वक़्त में भ्रमित हो नए प्रयोग करने से बचना चाहिए. और धैर्यपूर्वक सरकार के कार्यप्रणाली पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए. साथ ही सीएम हेमन्त के साथ अपनी कम्युनिकेशन मजबूती से स्थापित करना चाहिए.

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