आधी आबादी के सशक्तिकरण से ही राज्य आगे बढ़ेगा -सीएम हेमन्त

झारखण्ड : सीएम हेमन्त सोरेन – उनकी सरकार आधी आबादी के सशक्तिकरण हेतु हर प्रयास करेगी. क्योंकि राज्य के विकास में महिलाओं की भागीदारी आवश्यक है, इसकी झलक कोरोना में राज्य ने देखा है.

रांची : भारत के पुरातात्विक ऐतिहासिक साक्ष्य स्पष्ट दर्शाते हैं कि भारतीय बुद्ध काल के समाज में आधी आबादी की स्थिति वर्तमान पुरुषवादी समाज से बेहतर थी. उन्हें शिक्षा और कार्य के सामान अधिकार प्राप्त थे. लेकिन भारत के विकास में वर्तमान पुरुषवादी समाज एक जटिल समस्या और प्रमुख बाधक के रूप में सामने है. यह समाज महिलाओं को पुरुषों से कमतर आंकता है और असमानता के अक्स में देश की आधी आबादी की प्रतिभा को चुल्हा-चौके तक सीमित कर दिया है. 

आधी आबादी सशक्तिकरण आवश्यक

नतीजतन, वृद्ध, बच्चे, विकलांग और बेरोजगारों को पृथक करने के बाद शेष बचे पुरुषों को ही पूरे देश के आर्थिक बोझ उठाना पड़ता है. देश की आधी आबादी की क्षमताओं का पूरा उपयोग नहीं होने से मानव संसाधन का बड़ा हिस्सा बेकार चला जाता है. जिससे देश के अर्थवयवस्था और सामाजिक विकास पर स्पष्ट तौर पर प्रतिकूल असर पड़ता है. मसलन, पुरुषवादी समाज जनित आर्थिक तंगी के अक्स में भारतीय महिलायें कुपोषण, प्रताड़ना जैसी कई गंभीर समस्याओं की शिकार हो रही हैं. 

भारत देश की इस गंभीर समस्या का क्या है समाधान?

  • शिक्षा: महिलाओं को शिक्षित करना सबसे महत्वपूर्ण समाधान है. शिक्षा से महिलाएं अपने अधिकारों के जागरूक होती हैं.
  • कानून: महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों के खिलाफ सख्त कानून बनाए जाने चाहिए और उनका कड़ाई से पालन किया जाना चाहिए.
  • समाज में बदलाव: समाज में पुरुषवादी सोच को बदलना होगा. महिलाओं को पुरुषों के बराबर का दर्जा दिया जाना चाहिए.
  • सरकार की भूमिका: सरकार को महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए नीतियां बनानी चाहिए और उन नीतियों को धरातल उतारना चाहिए. क्योंकि महिलाओं के सशक्तिकरण से ही देश-राज्य का सर्वांगीण विकास संभव है.

इस दिशा में झारखण्ड के सीएम हेमन्त सोरेन का कार्य सराहनीय 

झारखण्ड के सीएम हेमन्त सोरेन का पूरा कार्यकाल राज्य के महिला सशक्तिकरण और सामाजिक परिवर्तन के प्रति गंभीर दिखा है. हेमन्त सरकार में राज्य के आधी आबादी की स्थिति को सुधरने हेतु कई कारगर कल्याणकारी योजनाओं को सफलता पूर्वक धरातल पर उतारा गया है. जिसका मॉनिटरिंग भी सीएम हेमन्त सोरेन स्वयं करते दिखे हैं. प्रमुख योजनायें निम्नलिखित हैं –

  • सावित्रीबाई फूले योजना: यह योजना बालिकाओं की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई है. इससे बालिकाओं को शिक्षा के अवसर मिल रहे हैं और वे एक स्वतंत्र और सशक्त जीवन जीने में सक्षम हो रही हैं.
  • सर्वजन पेंशन योजना : यह योजना बुजुर्गों, विधवाओं, एकल और दिव्यांगों के लिए आर्थिक सुरक्षा का एक साधन है. इससे उन्हें अपने जीवन में आर्थिक तंगी का सामना नहीं करना पड़ता.
  • फूलो-झानो योजना : इस योजना के माध्यम से महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाया जा रहा है. इससे न केवल महिलाओं का जीवन स्तर सुधर रहा है बल्कि समाज में भी महिलाओं की स्थिति में सुधार हो रहा है.
  • अबुआ आवास योजना : इस योजना के तहत गरीब परिवारों को तीन कमरों के पक्के मकान मुहैया कराए जा रहे हैं. इससे लोगों को आवास की समस्या से निजात मिल रही है और उनका जीवन स्तर सुधर रहा है.
  • मईया सम्मान योजना: यह योजना गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं के स्वास्थ्य की देखभाल के लिए शुरू की गई है. इससे मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर और कुपोषण दर को कम करने में मदद मिलेगी.

मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना महिलाओं के सख्त जीवन बना रहा आसान  

झारखण्ड मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना को लेकर महिलाओं में जबरदस्त उत्साह एवं खुशी देखी जा रही है. यह योजना उन्हें कई मुसीबतों और चुनौतियों से लड़ने में सहायक साबित हो रहा है. सीएम हेमन्त सोरेन का स्पष्ट कहना है कि उनकी सरकार आधी आबादी के सशक्तिकरण हेतु हर संभव प्रयास करेगी. क्योंकि झारखण्ड जैसे गरीब राज्य के विकास में महिलाओं की भागीदारी आवश्यक है, इसकी झलक कोरोना में राज्य ने देखा है. आधी आबादी के विकास से राज्य का विकास संभव है.

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