कल्पना सोरेन का नेतृत्व दर्शाता है कि सरल और लोकतांत्रिक माध्यमों से भी महिलाओं से सम्बंधित सशक्तिकरण, शिक्षा, आत्मनिर्भरता और कुपोषण जैसे जरुरी लड़ाई असरदार बनाया जा सकता है.
रांची : झारखण्ड में कल्पना सोरेन के रूप में राजनीतिक शख्सियत का उदय, न सिर्फ झारखण्ड बल्कि देश के गरीब, दबे कुचले एवं सक्षम आधी आबादी के लिए एक प्रेरणादायी है. उनका नेतृत्व स्पष्ट दर्शाता है कि सरल, सुसंगत और लोकतांत्रिक माध्यमों से भी देश-राज्य में महिलाओं से सम्बंधित सशक्तिकरण, शिक्षा, आत्मनिर्भरता और कुपोषण जैसे जरुरी मुद्दों की लड़ाई इस कदर असरदार बनाया जा सकता है. जहाँ महिलाओं को नई आस दिख चले.
झारखण्ड को क्यों है कल्पना सोरेन जैसे नेतृत्व की जरुरत?
यह प्रदेश एक एससी, एसटी, ओबीसी और गरीब बाहुल्य राज्य है. यह जनता खुद को सामंती जकड़न से आज़ादी हेतु दशकों से संघर्षरत है. इन वर्गों की महिलाओं में क्वालिटी शिक्षा का घोर आभाव है. खनीज-संपदा के सामन्ती लूट के अक्स में इस राज्य में शहर, गाँव और जंगलों से बड़े पैमाने पर आदिवासी मूलवासी विस्थापित हुए. जिसका असर महिलाओं पर अधिक पड़ा. महिलायें बेघर हुई, सामाजिक सुरक्षा से वंचित हुई, कुपोषित और मानव तस्करी की शिकार हुई है.
कल्पना सोरेन की राजनीतिक इच्छाशक्ति से लबरेज नेतृत्व ने बहुत कम समय में महिलाओं की इस चीरकालीन पीड़ा को देश व राज्य सतह पर उभार दिया है. चूँकि कल्पना सोरेन स्वयं एसटी समुदाय से आती है और आदिवासियत संस्कारों में सनी हैं और वह शहरी ही नहीं ग्रामीण महिलाओं से ही प्रतीत है. मसलन, पुरुषवादी समाज और उसके नियमों से ग्रसित एसटी, बहुजन समेत तमाम गरीब-सक्षम महिलायें अपनी असहाय परिस्थिति के साथ स्वतः इनसे जुडती दिखती हैं.
सावित्रीबाई फूले, सर्वजन पेंशन, फूलो-झानो, अबुआ आवास, मईया योजनाओं को कल्पना सोरेन के नेतृव दे रहा मायने
हेमन्त सरकार का सावित्रीबाई फूले, सर्वजन पेंशन, फूलो-झानो, अबुआ आवास और मईया योजना जैसी योजनाओं को कल्पना सोरेन का नेतृत्व झारखंड में नए युग का सूत्रपात कर रहा है. यह योजनाएं सीधे तौर पर महिला सशक्तिकरण से जुडी है. ख़ास कर राज्य के सबसे कमजोर महिलाओं और बच्चों के जीवन स्तर और स्वास्थ्य सुधार से जुड़ा है. कल्पना सोरेन के महिलाओं के जुड़ाव से योजनायें फाइलों तक सिमित न रह धरातल पर जरुरतमंद महिलाओं तक पहुंचा रहा है.
आधी आबादी : सामाजिक परिवर्तन और सशक्तिकरण
- सावित्रीबाई फूले योजना: यह योजना बालिकाओं की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई है. इससे बालिकाओं को शिक्षा के अवसर मिल रहे हैं और वे एक स्वतंत्र और सशक्त जीवन जीने में सक्षम हो रही हैं.
- सर्वजन पेंशन: यह योजना बुजुर्गों, विधवाओं, एकल और दिव्यांगों के लिए आर्थिक सुरक्षा का एक साधन है. इससे उन्हें अपने जीवन में आर्थिक तंगी का सामना नहीं करना पड़ता.
- फूलो-झानो: इस योजना के माध्यम से महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाया जा रहा है. इससे न केवल महिलाओं का जीवन स्तर सुधर रहा है बल्कि समाज में भी महिलाओं की स्थिति में सुधार हो रहा है.
- अबुआ आवास: इस योजना के तहत गरीब परिवारों को तीन कमरों के पक्के मकान मुहैया कराए जा रहे हैं. इससे लोगों को आवास की समस्या से निजात मिल रही है और उनका जीवन स्तर सुधर रहा है.
- मईया योजना: यह योजना गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं के स्वास्थ्य की देखभाल के लिए शुरू की गई है. इससे मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर और कुपोषण दर को कम करने में मदद मिलेगी.