- पुल निर्माण से पूर्व सौदे, बानो व आसपास के लोगों को करना पड़ता था परेशानियों का सामना
- आने-जाने के लिए लकड़ी की नाव (डोंगी) था एक मात्र सहारा
- नाव के पलटने से लोगों को गँवानी पड़ती थी जान
- पुल निर्माण से खूॅटी से मनोहरपुर की दूरी 51 कि0मी0 तथा राउरकेला की दूरी 35 कि0मी0 हुई कम
829.73 लाख की लागत से कराया गया है पुल का निर्माण
मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के कार्यकाल में, झारखण्ड के सुदूर ग्रामीण इलाकों की बुनियादी समस्याओं पर लगातार जोर दिया जा रहा है. मुख्यमंत्री का बिजली से लेकर पथ निर्माण तक में विशेष जोर देखने को मिल रहा है. निसंदेह यह दूरदर्शी सोच सत्ता लोभ से परे झारखण्ड को नयी दिशा देने वाला है. जिससे झारखण्ड निश्चित रूप से नयी उर्जा के साथ देश-दुनिया में अपना पाँव पसारेगा. और आत्मनिर्भरता के तरफ भी मजबूती से कदम बढ़ा सकेगा. सौदे-बानो पथ पर पुल निर्माण एक ऐसा ही सच साबित हुआ है.
पथ निर्माण विभाग, पथ प्रमंडल, खूंटी द्वारा रनिया प्रखंड अंतर्गत रनिया-सौदे-बानो पथ, दक्षिण कोयल नदी पर पुल निर्माण धरातल पर उतर चूका है. जिससे स्थानियों के लिए आवागमन काफी सुगम व सुविधाजनक हो गया है. साथ ही विधि-व्यवस्था के नियंत्रण में प्रशासनिक तंत्र को कार्य निष्पादन में आसानी हुई है.
पुल के आभाव में लोगों को करना पड़ता था परेशानी का सामना
पूर्व में रनिया व बानो क्षेत्र के लोगों को पुल के आभाव में कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ता था. बरसात के दिनों में ग्रामीणों के गांवों से संपर्क लगभग टूट जाता था. स्थानीय बानो से सौदे एवं सौदे से बानो आने-जाने के लिए लकड़ी की नाव (डोंगी) का प्रयोग करते थे. कभी-कभी नाव के पलट जाने से कई लोगों को नदी में डूब जाने का खतरा होता था. मौतें भी हो जाती थी.
लेकिन, सौदे पुल निर्माण से न केवल आवगमन सुगम बना है बल्कि खूॅटी से मनोहरपुर की दूरी 51 कि0मी0 तथा राउरकेला की दूरी 35 कि0मी0 कम भी हुई है. जिससे लोगों का समय व ईंधन खर्च में कमी आयी है. देश की अर्थव्यवस्था में ईंधन बचत हमेशा महत्वपूर्ण कड़ी होता है. पुल का निर्माण 829.73 लाख की लागत हुआ है. पुल की लम्बाई 246 मी. और चैड़ाई 12 मी. है.