झारखण्ड : सीएम हेमन्त को परवाह नहीं मुद्दे कौन उठा रहा, यदि मुद्दे झारखण्ड के विकास से जुड़े हों तो सारे मुद्दे हेमन्त सरकार सुलझाएगी. हेमन्त ने दिखाया झारखण्ड से उपर कुछ नहीं…
रांची : इस सच से मुंह नहीं फेरा जा सकता कि विपक्ष के पूर्व-शासनकालों में झारखण्ड राज्य में भूमि अधिकार, सामाजिक-आर्थिक पिछड़ापन, गरीबी, संस्कृति-परंपराओं का क्षरण, शहरी-ग्रामीण खाई, मूलवासियों के बुनियादी सुविधाओं की कमी, रोजगार के अवसरों का अभाव, पर्यावरण प्रदूषण, जल संसाधनों का दोहन, वन विनाश, कुशल प्रशासन का अभाव, हिंसा और अशांति, समाजिक सद्भाव, विकास कार्यों में बाधा, समावेशी विकास, मूलवासियों की अनदेखी और महिला सशक्तिकरण जैसे मुद्दे गहराए, जिसे सीएम हेमन्त सोरेन के नेतृव में सुलझाने का ईमानदार प्रयास हुआ है.
इससे भी इनकार नहीं किया जा सकता कि उपरोक्त सभी समस्याएं सामंती नीतियों के अक्स में आर्टिफीसियल रूप से जनित हैं. लेकिन हेमन्त सरकार का लगभग सभी कैबिनेट बैठक उन सभी असुलझ दिखने वाली समस्याओं को सिरे से सुलझाने का प्रयास करता दिखा. सीएम हेमन्त के कुशल रणनीति और हौसले ने मकडजाल सी दिखने वाली सभी समस्याओं को पोथियां सहित न केवल काटने में सफलता पाई है, राज्य विकास में कारगर नीतियों को लागू करने में भी सफल हुई है. अब झारखण्ड को केवल अपने विकास पथ पर तेजी से आगे बढना है.
हेमन्त के 6-9-2024- मंत्रिपरिषद बैठक निर्णय ने सभी भ्रम को किया साफ़
6-9-2024, मंत्रिपरिषद बैठक निर्णय झारखण्ड राज्य के इतिहास में दर्ज होने लायक है इससे भी इनकार नहीं किया जा सकता. इस कैबिनेट में समाज के हर मूलवासी वर्ग के हित में ठोस निर्णय लिए गए. हर गरीब वर्ग, कर्मचारी, अनुबंध कर्मी से लेकर किसान तक. हर वर्ग के युवा से लेकर महिला, एससी, एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यक तक और विशेषकर शिक्षा-स्वास्थ्य से लेकर जनहित में सहायक सभी आयामों में मानवीय निर्णय ले उसे झारखण्ड विकास के मॉडल से जोड़ने का सराहनीय प्रयास हुआ.
हेमन्त कैबिनेट के प्रमुख जनहित फैसले –
- रांची में अनुसूचित जनजाति के छात्रों के लिए 520 शय्या के एक छात्रावास एवं अनुसूचित जनजाति की छात्राओं के लिए 528 शय्या का छात्रावास.
- अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, अल्पसंख्यक एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग द्वारा संचालित आवासीय विद्यालयों में शिक्षण कार्य हेतु तत्कालिक व्यवस्था के तहत् Service procurement के आधार पर अंशकालीन शिक्षकों से कार्य लिए जाने की अवधि विस्तार की स्वीकृति.
- झारखण्ड राज्यान्तर्गत सरकारी विद्यालयों और सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालयों के वर्ग 9-12 में नामांकित एवं अध्ययनरत् सभी कोटि के छात्र-छात्राओं को उपलब्ध कराये जा रहे निःशुल्क पोशाक की राशि में वृद्धि.
- नए अधिवक्ताओं को राज्य सरकार 5 वर्ष तक प्रति माह सहायता राशि देगी जिससे वे शुरूआती दिनों में इस प्रोफेशन में टिक सके. साथ ही बीमा और पेंशन में वृद्धि.
- झारखण्ड राज्यान्तर्गत अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, अल्पसंख्यक एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के नियंत्रणाधीन छात्रावास निर्माण, संचालन एवं प्रबंधन हेतु गठित झारखण्ड अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति / पिछड़ी जाति/अल्पसंख्यक छात्रावास पोषण योजना, 2024 में संशोधन की स्वीकृति.
- झारखण्ड की हजारों जल सहिया, स्वास्थ्य सहिया (आशा), सहिया साथी और स्वतंत्र साधन सेवी (BTT & STT) को राज्य योजना मद से अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि… आदि
क्या उरोक्त सभी फैसले झारखंड गठन के बाद पहली बार समाज के सभी वर्गों के हितों की वकालत करता प्रतीत नहीं होता? क्या 2019 के भूख से मर रहा झारखंड, आर्थिक रूप से लुटा झारखण्ड वर्तमान में नए सोच के साथ जीवनदाई सांस लेता हुआ खडा नहीं दिखता. और ऐसे में इनकार नहीं किया जा सकता है कि सीएम हेमन्त की अबुआ सरकार के निर्णय तमाम चुनौतियों के बीच राज्य के सभी वर्ग के गरीब, एससी एसटी, ओबीसी, पास्मान्दा को समान अवसर मुहैया कराता दिखता है. जिसके अक्स में राज्य के सभी वर्ग पहली बार ख़ुशी और सद्भाव के साथ नाचते-गाते दिखे हैं.
अब बारी है उन विधेयकों की जिन्हें 9वीं अनुसूची डालने का प्रयास हो रहा
ज्ञात हो झारखण्ड राज्य के अंतरिम अधिकाँश समस्याओं को सुलझा लिया गया है, जो शेष है उन्हें भी आसानी से सुलझाया जा सकता है. लेकिन उससे पहले अब बारी उन विधेयकों की है जिन्हें हेमन्त सरकार में 9वीं अनुसूची में डालने का प्रयास हुआ है. जिसके अक्स में राज्य को एक बार पूरी ताक़त से उलगुलान करना होगा. पीएम भी जल्द झारखंड आने वाले हैं. झारखण्डवासियों को पूरा जोर दे कर 9वीं अनुसूची में प्रवेश पाने की राह देख रहे उन तमाम विधेयकों के बारे में उनसे पूछना होगा. और आशा है कि पीएम भी झारखण्ड के सवालों का सकारात्मक जवाब देंगें… जोहार