हेमन्त सरकार में हेल्थ सिस्टम में बड़ा सुधार, ‘चिकित्सा सहायता योजना’ हुआ ‘मुख्यमंत्री रोगी सहायता योजना’, अब कोविड पीड़ित परिवारों को 50000 तक का मदद हुआ संभव 

झारखण्ड में चिकित्सा सहायता योजना में संशोधन करने से वह मानव कल्याण में बन गया है ‘मुख्यमंत्री रोगी सहायता योजना’, जो कोविड के इलाज के साथ पौष्टिक आहार मुहैया में भी बनेगा मददगार 

रांची : वर्तमान में कोरोना जैसी वैश्विक महामारी से फिर एक बार लोग संक्रमित हो रहे हैं. जिससे लोगों की आजीविका पर भी गंभीर असर हो रहा है. मसलन, मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन शुरूआती दौर से ही मुस्तैद देखे जा रहे हैं. अनुभवों से मुख्यमंत्री को ज्ञात है कि संकट की स्थिति में गरीबों को मदद नहीं पहुंचाया गया, तो राज्य के गरीब-दमित, अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग को नाना प्रकार के समस्याओं से गुजरना पड़ सकता है. 

ऐसे गंभीर संकट के समय में झारखण्ड के गरीबों को शारीरिक, मानसिक और आर्थिक परेशानियों से उबारने के लिए राज्य सरकार द्वारा हेल्थ सिस्टम के नीतियों में बड़ा संशोधन किया गया है. इस संशोधन के मद्देनजर झारखण्ड में’ चिकित्सा सहायता योजना’ को कोविड राहत से जोड़ दिया गया है. जिससे मानव कल्याण में अब योजना का नाम ‘मुख्यमंत्री रोगी सहायता योजना’ हो गया है. जिससे अब कोविड-19 से पीड़ित परिवारों को संकट के समय 50,000 रुपये तक की आर्थिक मदद ले पाना संभव हो गया है. 

एसटी-एससी, पिछड़ा व गरीब वर्ग को सीधे राहत पहुंचाने की है योजना

पहले चिकित्सा सहायता योजना अनुसूचित जाति-जनजाति, पिछड़ा वर्ग एवं गरीबी रेखा के नीचे बसर करने वाले या 72000 रुपये वार्षिक आय वाले लोगों के स्वास्थ्य को इस योजना का लाभ मिलता है. योजना में कई प्रावधान है. यथा-

  • जिला कल्याण पदाधिकारी स्वीकृति पर आकस्मिक रूप में 1000 रुपये का चिकित्सा अनुदान दिया जाता है. 
  • जिले के डीसी की स्वीकृति पर आकस्मिक रूप में 10,000 रुपये का चिकित्सा अनुदान दिया जाता है. 
  • 10,000 रुपये से अधिक की चिकित्सा अनुदान देने की शक्ति राज्य सरकार में निहित है. 

कोविड से प्रभावित परिवार को आर्थिक मदद देने के लिए योजना में किया गया है संशोधन

कोविड में खत्म होती आजीविका व आर्थिक तंगी के हालत में हेमन्त सरकार द्वारा यह कारगर कदम उठाया गया है. ज्ञात हो लोग लगातार संक्रमित हो रहे हैं ऐसे में इनके मदद के लिए हेमन्त सरकार द्वारा ‘चिकित्सा सहायता योजना’ में संशोधन किया गया. जिससे योजना का नाम मुख्यमंत्री रोगी सहायता योजना’ हो गया है. इसमें संशोधन में रोगी को व्यस्क (18 वर्ष से अधिक) एंव अव्यवस्क (18 वर्ष से कम) दो वर्गों में बांटा गया है. और दो प्रावधान जोड़े गए हैं. 

  1. अब कोविड संक्रमित को योजना के दायरे में चिकित्सा अनुदान दिया जाएगा. उद्देश्य बीमारी की इलाज में लोगों को मदद पहुंचाना है.
    1.  रोगी व्यक्ति अगर व्यस्क है और बीमारी 7 दिन से कम अवधि का हो, तो 3000 रुपये और 7 दिन से अधिक की अवधि पर 5,000 रुपये अनुदान दिया जाएगा. वहीं कोविड-19 बीमारी से पीड़ित का इलाज घर में हुआ है, तो 5000 और अस्पताल में हुआ है, तो 10000 रुपये का अनुदान दिया जाएगा. 
    2. रोगी व्यक्ति अगर अव्यस्क है, और बीमारी 7 दिन से कम अवधि का हो, तो 1500 रुपये और 7 दिन से अधिक की अवधि पर 2500 रुपये अनुदान दिया जाएगा. वहीं कोविड-19 बीमारी से पीड़ित का इलाज घर में हुआ है, तो 2500 और अस्पताल में हुआ है, तो 5000 रुपये का अनुदान दिया जाएगा. 
  1. रोगी अपने लिए पौष्टिक आहार की व्यवस्था कर सके.
    1. यदि रोगी व्यस्क है, तो बीमारी के बाद इलाज के लिए पौष्टिक आहार की पूर्ति के लिए न्यूनतम 3000 से अधिकतम 10,000 रुपये का अनुदान दिया जाएगा. वहीं यदि रोगी अव्यस्क है, तो पौष्टिक आहार के लिए न्यूनतम 1500 और अधिकतम 5000 रुपये अनुदान का प्रावधान है. 

कोविड में प्रदेश के 5133 लोग मारे गये, हेमन्त सरकार दे रही पीड़ित परिवार को 50,000 रुपये की मदद

हेमन्त सरकार में कोविड-19 से मारे गये व्यक्ति के पीड़ित परिवारों को आर्थिक मदद पहुँचाने की दिशा में सराहनीय पहल हुई है. बीते 29 दिसम्बर को मुख्यमंत्री ने स्वंय योजना की शुरूआत की है. इस योजना के तहत पीड़ित परिवार को 50,000 रुपये की आर्थिक मदद दी जा सकती है. मुख्यमंत्री ने कहा है कि उनकी सरकार जनता के सुख-दुख में शामिल है. झारखण्ड में कोरोना की पहली और दूसरी लहर के दौरान राज्य भर में 5133 लोग की असमय मृत्यु हुई है. जिसे उनपर आश्रित परिवारों की समस्या बढ़ गयी है. 

हालांकि, मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने इस सन्दर्भ में केंद्र से भी मदद की गुहार लगाई थी. लेकिन, उनकी गुहार अनसुनी होने के उपरान्त राज्य सरकार द्वारा यह कल्याणकारी कदम उठाया गया है. मसलन, अब प्रदेश की हेमन्त सरकार द्वारा कोविड-19 के मृतकों के परिजनों को 50,000 रुपये की आर्थिक सहयोग करने का फैसला लिया गया है. सच ही तो है अपना बेटा ही घर के वास्तविक हालत को समझ सकता है न कि सौतेला बे… 

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