झारखण्ड : हेमन्त सरकार के ज़मीनी नीतियों और योजनाओं के अक्स में, विपक्षी प्रोपोगेन्डा के बीच भी इस वर्ष सही मायने में राज्य के आधी आबादी के पाँव खुशी से थिरकेंगे तो आश्चर्य क्यों?
रांची : झारखण्ड में करम पर्व महज एक त्योहार नहीं, बल्कि यह आदिवासी और श्रमण परंपरा की ऐतिहासिकता का जिवंत रूप है. यह प्रकृति, कृषि और आदिवासी संस्कृति का एक अनूठा संगम है. इसलिए करम पर्व इस भौगोलिक क्षेत्र में प्रकृति के प्रति आभार जताने के दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण प्राचीन त्योहार है. इस पर्व को आदिवासी-मूलवासी समुदाय के द्वारा सांस्कृतिक आध्यात्मिकता के साथ पेड़ों की पूजा कर मनाया जाता है. विश्वकल्याण की कामना की जाती है.
चूँकि भारत कृषि प्रधान देश है, यहां के अधिकाँश प्राचीन त्यौहार कृषि चक्र से जुड़ा हुआ है. करम पर्व भी मानसून के मौसम में मनाया जाता है. यह पर्व अच्छी फसल की कामना के साथ देश दुनिया के समक्ष प्रकृति के साथ मानवीय जीवन का संतुलन बनाने के दृष्टिकोण से भी अपनी बेमिशाल तस्वीर भी उकेरता है. मसलन, यह पर्व झारखण्ड के सांस्कृतिक विरासत का का महत्वपूर्ण हिस्सा है. इस पर्व में जनमानस विशेष कर बेटियां पारंपरिक वाद्ययंतत्रों के धुन-ताल पर हर्ष पूर्वक झूमते-गाते हैं.
हेमन्त के जनकल्याणकारी योजना के अक्स में झूमती आधी आबादी
मौजूदा दौर में देश की राजनीति स्पष्ट तौर पर दो धड़ों में विभक्त दिख चली है. एक धड़ा धार्मिकता का लबादा ओढ़े पूंजीपति और मनुवादी मानसिकता की पैरवी करती दिखता है तो दूसरा बाबा साहेब के संविधान के अक्षरों तले मिलने जन अधिकारों की. इस कड़ी में, इस सत्य से इनकार नहीं किया जा सकता कि झारखण्ड में यह पहला मौक़ा है जब सीएम हेमन्त के नेतृत्व में महिला सशक्तिकरण और गरीबी उन्मूलन के पक्ष में कल्याणकारी योजनाओं के आसरे ईमानदार प्रयास और कार्य हुए हैं.
महिलाओं की आर्थिक-सामाजिक स्थित सुदृढ़ करने वाली प्रमुख योजनायें
- सावित्रीबाई फूले योजना: यह योजना बालिकाओं की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई है. इससे बालिकाओं को शिक्षा के अवसर मिल रहे हैं और वे एक स्वतंत्र और सशक्त जीवन जीने में सक्षम हो रही हैं.
- मईया सम्मान योजना: यह योजना गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं के स्वास्थ्य की देखभाल के लिए शुरू की गई है. इससे मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर और कुपोषण दर को कम करने में मदद मिलेगी.
- सर्वजन पेंशन योजना : यह योजना बुजुर्गों, विधवाओं, एकल और दिव्यांगों के लिए आर्थिक सुरक्षा का एक साधन है. इससे उन्हें अपने जीवन में आर्थिक तंगी का सामना नहीं करना पड़ता.
- अबुआ आवास योजना : इस योजना के तहत गरीब परिवारों को तीन कमरों के पक्के मकान मुहैया कराए जा रहे हैं. इससे लोगों को आवास की समस्या से निजात मिल रही है और उनका जीवन स्तर सुधर रहा है.
- गुरूजी क्रेडिट कार्ड योजना : एक बेहद उपयोगी योजना, जिसका उद्देश्य राज्य के सभी बेटे-बेटियों को उच्च शिक्षा प्राप्त हेतु आर्थिक सहायता प्रदान करना है. इस योजना के तहत, छात्रों को 15 लाख रुपये तक का ऋण कम ब्याज दर पर उपलब्ध कराया जाता है.
- सोना सोबरन धोती साड़ी योजना : इसके तहत गरीब लाभुकों को साल में दो बार 10 रुपये में धोती, लूंगी एवं साड़ी दी जाती है.
- फूलो-झानो योजना : इस योजना के माध्यम से महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाया जा रहा है. इससे न केवल महिलाओं का जीवन स्तर सुधर रहा है बल्कि समाज में भी महिलाओं की स्थिति में सुधार हो रहा है.
महिला सशक्तिकरण के दिशा में हेमन्त सरकार की योजनायें प्रभावी
हालांकि, भारत देश के पुरुषवादी मानसिकता के भंवर में महिला सशक्तिकरण एक जटिल मुद्दा है. और इसे हल करने के लिए कई सामाजिक-सरकारी निरन्तरं प्रयासों की आवश्यकता है. ऐसे में महिला सशक्तिकरण के दिशा में हेमन्त सरकार की उपरोक्त योजनाओं का प्रभावी असर धरातल पर दिखना एक सुखद संकेत है. योजनाएँ महिलाओं को आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनाने, शिक्षा प्राप्त करने, सामाज में सक्रिय होने और उनके अधिकारों के प्रति जागरूक होने में मदद करती दिख चली है.
मसलन, इस सच से इनकार नहीं किया जा सकता है कि उपरोक्त योजनाओं के खुशी के अक्स में निश्चित रूप से झारखण्ड की आधी आबादी के लिए यह करम पर्व ख़ास है. पूर्व के शासनों में उत्पन्न कुपोषण जैसे कोढ़ से संघर्ष करती राज्य की महिलाओं के खाते में मुख्यमंत्री मईया सम्मान योजना की दूसरी क़िस्त की राशि आने को है. राज्य की आधी आबादी में जबरदस्त उत्साह देखा जा रहा है. बहरहाल, इस करम में राज्य की आधी आबादी के पाँव बेफिक्र हो मांदर के थाप पर थिरकेंगे तो आश्चर्य क्यों?