मुख्यमंत्री हेमन्त की नीतियां तोड़ रही है मनुवादी चक्रव्यूह -14 वर्ष से लापता जयंती पहुंची घर

मनुवादी सामाजिक ताने-बाने के माया में त्रासदी को भाग्य मान चुकी महिलाओं को मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के प्रयास, उनकी नीतियां वापस परिवारों से मिला रही है. यह सोच समाज में व्याप्त कुरीतियों के चक्रव्यूह को तोड़ मानवता और सामाजिक अधिकार की नयी परिभाषा लिख रही है.  नीतियों के आसरे 14 वर्ष से लापता जयंती का अपने परिवार से मिलन हुआ संभव

  • श्रम विभाग के प्रयास से पंजाब से लाई गई गुमला
  • गुमला के किताम गांव की है जयंती

रांचीः हेमन्त सरकार की नीतियां झारखंड के गरीबों के साथ हुए अन्याय पर मरहम लगा रही है. आम जन जीवन को राहत पहुंचा रही है. लगातार मानव-तस्करी हार रहा है. मानव तस्करी के शिकार को मुक्त कराया जा रहा है. हेमन्त सरकार की यह नीति खास कर राज्य के गरीब असहाय महिलाओं के लिए वरदान साबित हुआ है. परिवार से बरसों बिछड़ी व मनुवादी सामाजिक ताने-बाने के माया में त्रासदी को भाग्य मान चुकी महिलाएं, मुख्यमंत्री के प्रयास से वापस अपने परिवारों से मिल रही हैं. हेमन्त सरकार की नीतियां समाज में व्याप्त कुरीतियों के चक्रव्यूह को तोड़ मानवता और सामाजिक अधिकार की नयी परिभाषा लिख रही है. 

मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के आदेश के बाद, गुमला के किताम गांव निवासी जयंती लकड़ा 14 वर्ष तक लापता रहने के बाद आखिरकार मंगलवार, 28 सितम्बर को अपने गांव वापस पहुंच गई है. जयंती एक दशक पूर्व चैनपुर से लापता हुई थी. कुछ समय पहले पता चला कि वह पंजाब में है. इसके बाद मुख्यमन्त्री के निर्देश पर श्रम विभाग के राज्य प्रवासी नियंत्रण कक्ष की कोशिशों से उसे पंजाब से हुए रांची लाया गया. और मंगलवार को उसे उसके परिजनों को सुपुर्द कर उसके घर भेज दिया गया है.

खाना बनाने का काम किया करती थी जयंती, अचानक हो गई थी लापता

जयंती गुमला के डुमरी प्रखंड स्थित किताम गांव की निवासी है. वह संत अन्ना चैनपुर में खाना बनाने का काम किया करती थी. परिजनों के मुताबिक वह करीब 14 साल पहले लापता हो गई थी. काफी दिनों तक लापता जयंती के बारे में पंजाब में होने की जानकारी मिली, जहां वह काफी भटकने के बाद पहुंची थी. पंजाब में उसे गुरुनानक वृद्धा आश्रम में शरण मिली. 

यह मामला 9 सितंबर 2021 को राज्य प्रवासी नियंत्रण कक्ष के पास पहुंचा. मामला मुख्यमन्त्री हेमन्त सोरेन को मामले की जानकारी मिली, मुख्यमंत्री द्वारा मामले का संज्ञान त्वरित लिया गया. उन्होंने जयंती को वापस झारखंड उसके परिजनों के पास पहुंचाने का निर्देश दिया गया. जयंती लकड़ा के परिवार और पंजाब स्थित गुरुनानक वृद्ध आश्रम से लगातार बात कर उसे रांची तक वापस लाने की व्यवस्था की गई. आखिरकार गुमला के किताम गांव निवासी जयंती लकड़ा 14 वर्ष तक लापता रहने के बाद आखिरकार मंगलवार, 28 सितम्बर को अपने गांव वापस पहुंच गई है.

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