गंगा निर्मल हुई नहीं तो कह दिया, झारखंड खुले में शौच मुक्त हो गया

झारखंड के राजमहल में हो रहे गंगा ग्राम स्वच्छता सम्मेलन में केन्द्रीय मंत्री उमा भारती ने दावा किया है कि 15 नवम्बर तक राज्य पूर्णरूपेण खुले में शौच मुक्त बन जाएगा। उन्होंने राज्य की मौजूदा रघुबर सरकार के स्वच्छ भारत अभियान के उपलब्धियों का हवाला देते हुए कहा कि झारखंड की बढ़ती स्वच्छ्ता कवरेज दर के कारण ये मुमकिन हो पाया है।

परन्तु इसकी सतह की सच्चाई को खंगाला जाए तो भाजपा का यह दावा पूरी तरह खोखला और बेबुनियाद है। झारखंड की आधी से भी ज्यादा आबादी अभी भी खुले में शौच करने को मजबूर है। रघुबर सरकार इस मामले में भी जनता के समक्ष कागजी तकरीरों के झंडे बुलंद कर रही है। कहने को तो राज्य के सभी ग्रामीण क्षेत्रों में शौचालय निर्माण करके स्वच्छ भारत अभियान में राज्य सरकार ने अहम योगदान दिया है, लेकिन इसकी अंदरूनी और प्रत्यक्ष स्थिति कुछ और है।

गौर करें तो, इन चार वर्षों में सरकार द्वारा पेश किए गये शौचालय निर्माण के आंकड़े और वास्तविकता इनकी कार्यप्रणाली को संदेह के घेरे में डालती है। 2 अक्तूबर 2014 से अब तक झारखंड के कुल 29,538 गाँवों में 32,73,350 शौचालयों का निर्माण हुआ है, लेकिन स्वच्छ भारत मिशन (SVM) के अपलोड किए गये फोटोज की बात करे तो ये आंकड़ा 25,11,009 तक सिमट जाता है तो फिर किस हिसाब से झारखंड को खुले में शौच मुक्त होने का हौवा बनाकर भाजपा अपने सरकार की पीठ थपथपा रही है? एक और दिलचस्प मुद्दा ये है कि सरकार इस योजना को साकार करने के लिए डी.एम.एफ(DMF) के फंड का भी इस्तेमाल कर रही है। जो सरकार का शौचालय निर्माण योजना के क्रियान्वयन सवाल खड़े करती है, इसका सीधा मतलब यही लगाया जा सकता है कि या तो सरकार के पास इस योजना के लिए पर्याप्त राशि नहीं है या फिर इसकी राशि का सभी विभागों में आपसी बन्दरबांट हुआ है।

बहरहाल इस मुद्दे से यही निष्कर्ष निकलता है कि रघुबर सरकार इस योजना का लाभ झारखंडवासियों तक पूरी तरह पहुंचाने में नाकाम रही है। सरकार द्वारा इस योजना के तहत निर्गत फंड नियमित रूप से सम्बन्धित विभागों में जाती जरूर है, फिर भी उपयोगिता और उपलब्धियां केवल कागजों तक ही सीमित है। केन्द्रीय मंत्री उमा भारती का खोखला दावा भी केवल भाजपा सरकार के खुले में शौच मुक्त योजना की नाकामी पर पर्दा डालकर जनता को सच्चाई से गुमराह करने के बराबर ही है।

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