झारखण्ड : शांत, संतुलित समानता और विकासशील शासन हर विकासशील समाज-देश के लिए आदर्श है. जो समाज के सभी वर्गों को शांति-स्थिरता वातावरण दे विकास के रास्ते खोलता है. हेमन्त के शासन ये सभी प्रयास हुए हैं.
रांची : भीडतंत्र, बुलडोजर तंत्र, कृषि बिल, शिक्षा निति, वन अधिनिय बदलाव, साम्प्रदायि धुर्विकरण, नोटबंदी, जीएसटी, रंग, खान-पान, ऐतिहासिक तथ्यों में तोड़-मरोड़, मीडिया, जांच एजेंसी, न्यायालय, के आसरे न्यायालय में हस्तक्षेप, कॉर्पोरेट नीतियों के अक्स महंगाई, महिला प्रताड़ना, कितने कुप्रयास है जो केन्द्रीय और उसके डबल इंजन शासन को परिभाषित करते हैं. जिसका अक्स केवल सभी वर्ग के नागरिकों की आशान्त, असंतुलित और असमान जीवनचर्या की व्यथा ही नहीं कहता, भारत की सामाजिक-आर्थिक विकास की दुर्दशा के सच भी प्रस्तुत करता है.

वहीं देश के एक छोर झारखण्ड, एक आदिवासी का शासन पद्धति शांत, संतुलित समानता और विकास जैसे लोकतांत्रिक मानकों पर केन्द्रित है, अलग कहानी बयान करता है. उसका पांच वर्षीय शासन, नीतियां और योजनायें नागरिकों को पेशान नहीं करता. बल्कि सामाजिक सुरक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला सशक्तिकरण-समानता, जन हित में इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण और समाज के विविध संस्कृति के वर्गों को, उसकी गरिमा को बरकरार रखते हुए समता पूर्वक एक सूत्र में बांधता दिखता है. जिसके अक्स में नागरिक खुश, शांत और फलता फूलता दिखते हैं.
शांत, संतुलित, समानता और विकासशील शासन क्या है?
एक शांत संतुलित और विकाशील शासन का स्पष्ट अर्थ है कि उस शासन में हिंसा का अभाव होना, संवैधानिक कानूनों का शासन होना, सभी वर्गों की सुरक्षा और न्याय सुनिश्चित होना, सभी वर्गों का सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित होना, सभी वर्गों में शक्तियों का सामान विभाजन होना, विभिन्न शासकीय संस्थाओं के बीच नियंत्रण और संतुलन होना, लोकतांत्रिक मूल्यों को सर्वोच्च महत्व दिया जाना, ग्रामीण-शहरी आर्थिक विकास को प्राथमिकता दे सभी नागरिकों का जीवन स्तर में सुधार लाना. सरकारी तंत्रों तक समाज की सुलभ पहुँच होना.
सामाजिक विकास के माध्यम से शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य सामाजिक सेवाओं का विस्तार और सुलभ होना, विकास की प्रक्रिया में सभी वर्ग, जातियों और धर्मों को शामिल करना, समाज में स्थिरता लाना, व्यक्तिगत स्वतंत्रता देना, समाज में समानता लाना, महिलाओं को सामान अवसर और संसाधन सुनिश्चित होना, देश-राज्य की अंतर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठा में वृद्धि करना, लोकतंत्र और उसके तंत्रों को मजबूत करना, शिक्षा समेत सभी जरुरी इन्फ्रास्क्चर में निवेश होना, समाज में सभी वर्गों को विकास में शामिल करना. इससे इनकार नहीं कि ये सभी तत्व हेमन्त की शासन पद्धति में मौजूद हैं.