झारखण्ड भाजपा में नए क्रियाकलाप की शुरुआत, नेता कार्यकर्ताओं पर लग रहे हैं यौन शोषण के आरोप, बचाव में मुख्यालय मंच का हो रहा है उपयोग

पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी के राजनीतिक सलाहकार पर लगा एसटी महिला के साथ यौन शोषण का आरोप -बाबूलाल भाजपा मुख्यालय का उपयोग कर रहे बचाव 

एक आदिवासी महिला की कथित आत्महत्या पर भाजपा नेताओं ने की थी राजनीति, हेमन्त सोरेन ने बहन बताकर दिया जांच का निर्देश 

रांची : झारखण्ड प्रदेश भाजपा मुख्यालय का उपयोग राजनीतिक क्रियाकलाप के इतर आरोपियों को बचाने के कार्य में किया जाने लगा है. अगर किसी भजपा कार्यकर्ता-नेता पर कोई गंभीर आपराधिक आरोप लगता है, तो उसके बचाव के प्रयास में भाजपा प्रदेश मुख्यालय के मंच का उपयोग किया जाता है. इस नए अध्याय की परिपाटी पूर्व मुख्यमंत्री और झारखण्ड भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी ने अपने राजनीतिक सलाहकार सुनील तिवारी के बचाव को लेकर शुरू कर दी है. 

दरअसल, भाजपा नेता के राजनीतिक सलाहकार पर खूंटी में रहने वाली एक अनुसूचित जनजाति की एक महिला ने यौन शोषण का आरोप लगाया है. खुद को आदिवासी समाज का पुरोधा बताने वाले बाबूलाल मरांडी को चाहिए था कि वह इस मामले की निष्पक्ष जांच की मांग झारखण्ड पुलिस और सरकार से करते. लेकिन ऐसा ना करते हुए उन्होंने अपने व्यक्तिगत सलाहकार जो कि, ‘भाजपा का सक्रिय सदस्य भी नहीं है, उसके बचाव के लिए पार्टी मुख्यालय के मंच का उपयोग बुधवार को किया. 

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि उनके राजनीतिक सलाहकार को एक साजिश के तहत फंसाया जा रहा है. सत्तारूढ़ झारखण्ड मुक्ति मोर्चा ने बाबूलाल मरांडी के इस कृत पर प्रहार करते हुए कहा है कि इन्होने अब वकालत का काम भी शुरू कर दिया हैं. मामले की निष्पक्ष जांच तो झारखण्ड पुलिस को करनी होगी, लेकिन उसके पहले ही इनके द्वारा अपने राजनीतिक सलाहकार को क्लीन चिट दिया जाना दर्शाता है कि वह खुद को क़ानून व्यवस्था से उपर मानते है. 

एफआईआर कॉपी पढ़ने के बाद साफ है कि यह काम किसी भी तरह से क्षमा योग्य नहीं 

पीड़िता ने राजधानी के अरगोड़ा थाना में, मंगलवार शाम एक लिखित शिकायत कर, पूर्व मुख्यमंत्री के सलाहकार पर अपने साथ कथित तौर पर हुए यौन शोषण का आरोप लगाया है. थाना में की गयी शिकायत की एफआईआर कॉपी के अंश मीडिया में आ चुके हैं। कॉपी को पढ़ने के बाद यह साफ हो जाता है कि भाजपा नेता के राजनीतिक सलाहकार का यह कुकृत्य किसी भी तरह से क्षमा योग्य नहीं है. लेकिन, खुद को आदिवासी समाज का अगुवा बताने वाले बाबूलाल मरांडी साफ़ तौर पर भाजपा मुख्यालय का उपयोग कर, अपने राजनीतिक सलाहकार का बचाव किया है. 

ऐसे में बाबूलाल से यह सवाल तो जरूर पूछा जाना चाहिए कि आखिर वे कैसे आदिवासी नेता हैं. जहाँ वह आँख का पानी गिरा आदिवासी महिला के साथ घिनौना काम करने वाले व्यक्ति का बचाव कर रहे हैं.

पीड़िता ने लगाये यौन शोषण के गंभीर आरोप, मुंह खोलने पर दिया गया जान से मारने की धमकी

पीड़िता ने पुलिस को जो बयान दिया है, वह काफी शर्मसार करने वाली है. पीड़िता ने बताया है कि वह सुनील तिवारी के घर पर काम करती थी. आरोपी हमेशा उसे टॉफी देकर अनर्गल बातचीत और संवेदनशील अंगों को छूते थे. यहां तक कि जब उसने ऐसा करने से मना  करती, तो शराब के नशे में उससे मारपीट भी करते थे. इसके अलावा सुनील तिवारी ने उसके साथ दुष्कर्म भी किया. 

घटना का जिक्र वह किसी से नहीं करे, इसलिए आरोपी ने मुझे पैसे का भी लालच दिया. एक बार फिर उसने मेरे साथ छेड़छाड़ की. इसके बाद मैंने काम छोड़ दिया. लेकिन फिर भी सुनील तिवारी मुझे फोन कर परेशान करते रहे. जब मैंने छेड़खानी का विरोध किया तो जाति सूचक शब्दों का इस्तेमाल करते हुए गंदी-गंदी गालियां दी. मुझे जान से मारने की धमकी भी दी.

पुलिस कर रही आगे की जांच, पर बचाव के लिए बाबूलाल कर रहे भाजपा प्रदेश मुख्यालय मंच का उपयोग

पीड़िता के आरोप के बाद साफ हो जाता है कि भाजपा नेता के राजनीति सलाहकार ने काफी घिनौनी हरकत की है. आगे की कार्रवाई करते हुए पुलिस मामले की जांच कर रही है. ऐसे में होना यह चाहिए था कि भाजपा नेता खुद आगे आकर पीड़िता को न्याय दिलाने का काम करते. लेकिन इसके उलट वे स्वयं अपने व्यक्तिगत सलाहकार का बचाव करते दिखे. यहां तक कि उसने इसके बचाव के लिए प्रदेश भाजपा के मंच तक का उपयोग किया. 

लेकिन यह सभी जानते हैं कि सुनील तिवारी भाजपा के कोई सक्रिय सदस्य नहीं है. न ही उन्होंने कभी पार्टी की सदस्यता ली है. अगर वे पार्टी के सदस्य होते तब भी यह कुकृत्य क्षमा के लायक नहीं होता. ऐसे में जब बाबूलाल मरांडी केवल अपने निजी हित के लिए अपने सलाहकार का बचाव करेंगे, तो एक अनुसूचित जनजाति की महिला-बेटी को कैसे न्याय मिलेगा. वह पीड़िता जो राजनीति सलाहकार के कृत्यों के कारण खुद को असहाय महसूस कर रही है, उसे कैसे न्याय मिलेगा. 

रूपा तिर्की मामले में भाजपा नेताओं ने की थी गंदी राजनीति, आज न्याय में बन रहे रूकावट 

पिछले दिनों एक आदिवासी महिला (रूपा तिर्की) की कथित तौर पर हुई आत्महत्या मामले में प्रदेश भाजपा नेताओं ने जमकर राजनीति की. जबकि मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने उस पीड़िता महिला को अपनी बहन बताकर न केवल उसके मौत पर ने केवल दुःख व्यक्त किया, मामले की जांच के लिए एक न्यायाधीश की अध्यक्षता में जांच कमिटी का गठन भी किया. लेकिन वही भाजपा केवल राजनीतिक कारणों से हो हल्ला कर रही है. लेकिन आज जब एक एसटी महिला अपने उपर हुई अत्याचार की जांच की मांग रही हैं, तो बाबूलाल अपने राजनीतिक सलाहकार का बचाव कर न्याय में रूकावट पैदा कर रहे हैं.

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