झारखण्ड : भाजपा-आरएसएस का आदिवासी संस्कृति पर हमले की मंशा आदिवासी समुदाय को विस्थापित कर दासता की ओर धकेलना है. इस समुदाय के ज़मीनों के नीचे दबी सम्पदा पर भाजपा की नजर. लेकिन सीएम सोरेन बीच में मजबूत दीवार बन खड़े
राँची : भाजपा की मोदी सरकार की नीतियों में जहाँ भारत में आदिवासी संस्कृति व समुदाय के प्रति तानाशाह रही है. तो वहीं झारखण्ड जैसे भाजपा शासित राज्यों में आदिवासियों के प्रति बर्बरता शोषण, अत्याचार, अनाचार, अन्याय बढे थे. आदिवासियों का दमन-शोषण में इज़ाफा हुआ. एक तरफ झारखण्ड के आदिवासियों की सरना कोड की लम्बी मांग केंद्र की मुहर की लम्बे समय से बाट जोह रहा है. तो, दूसरी तरफ झारखण्ड जैसे राज्य में भाजपा सरकार द्वारा सत्ता में आते ही सबसे पहले आदिवासियों की सुरक्षा कवच सीएनटी-एसपीटी पर साजिशन हमला बोला गया.
साथ ही अडानी पॉवर प्लांट, बास्के हत्या प्रकरण व बकोरिया कांड जैसे त्रासदी झारखण्ड का सच बना. वहीं अन्यराज्यों में बलौदाबाजार जिले की सुहेला में हुई राम कुमार ध्रुव की हिरासत में मौत और सरगुजा के मीना खलखो कांड आदिवासी समाज और छत्तीसगढ़ के लोग भूले नहीं थे. और मध्य प्रदेश की खरगोन की घटना शांत भी नहीं हुई थी कि सिवनी जिले में दो आदिवासी युवकों की पीट-पीटकर हत्या किये जाने का सनसनीखेज मामला सामने आ गया. मोबलिंचिंग में दो आदिवासी युवकों की हत्या किये जाने का आरोप में बजरंग दल के पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं का नाम आना, तथ्य को पुख्ता बनाते हैं.
मध्यप्रदेश में हुई आदिवासी युवाओं की हत्या से समझा जा सकता है क्यों भाजपा मोबलिंचिंग क़ानून का विरोध करती है
बताया जाता है कि बजरंग दल के लोगों के द्वारा रात में 2 आदिवासियों को गोहत्या के शक में जबरन उठाया गया और पीट-पीट कर उनकी हत्या कर दी गई. लेकिन, जब झारखण्ड जैसे आदिवासी बाहुल्य राज्य में आदिवासी समेत सभी वर्गों के लोगों के संरक्षण हेतु मोबलिचिंग कानून पास कराने का प्रयास हुआ. तो भाजपा के नेताओं की मसक्कत से वह अब तक अधर में लटका हुआ है. मसलन, मध्यप्रदेश में हुई आदिवासी युवाओं की हत्या से समझा जा सकता है क्यों भाजपा नेता व उसके बजरंग दल जैसे अनुषंगी संगठन मोबलिंचिंग क़ानून का विरोध करते है? और उनकी मंशा क्या है?
झारखण्ड में भाजपा का फ़र्ज़ी आरोप-प्रत्यारोप, फ़र्ज़ी आदिवासी के आसरे राजनीति के मायने
ज्ञात हो, झारखण्ड में सरकार गठन के साथ ही मुख्यमंत्री द्वारा श्रमिकों और कामगारों के हित में निर्णायक निर्णय लिये गए है. मनरेगा अन्तर्गत राज्य सरकार द्वारा न्यूनतम मजदूरी दर बढ़ाकर रूपये 225/प्रति मानव दिवस किया गया है. शहरों में निवास करने वाले श्रमिकों के लिए मुख्यमंत्री श्रमिक योजना शुरू हुई है. जिसके तहत रोज़गार अभाव में बेरोजगारी भत्ता का प्रावधान है, ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में अनुसूचित जनजाति/जाति/अल्पसंख्यक, पिछड़ा एवं दिव्यांग वर्ग के युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ने के प्रयास हुए हैं.
रोजगार सृजन योजना का क्रियान्वयन हो रहा है. फूलो झानो आशीर्वाद अभियान अंतर्गत करीब 23000 महिलाओं को हडिया-दारू निर्माण एवं बिक्री कार्य से मुक्त करा आजीविका के विभिन्न साधनों से जोड़ा गया है. 10/- रुपये प्रति साड़ी-धोती-लुंगी अनुदानित दर पर वितरण किया जा रहा है, राज्य के ग़रीब किसानों को 50,000 रूपये तक की राशि माफी हेतु फसल ऋण माफी योजना चल रही है. सभी जरुरतमंदों को पेंशन दिया जा रहा है. बढ़ते पेट्रोल दर के बीच ग़रीबों को 25 रुपया प्रति लीटर सब्सिडी देने की पहल भी हुई है.
राज्य में ग़रीब बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से जोड़ने हेतु 80 उत्कृष्ट विद्यालय, 325 प्रखण्ड स्तरीय लीडर स्कूल तथा 4091 ग्राम पंचायत स्तरीय आदर्श विद्यालय तैयार हो रहे हैं. कार्यरत पारा शिक्षकों को सहायक शिक्षक का सम्मान दे, भविष्य सुरक्षित किया गया है. रैयतों को एक करोड़ तक की ठीकेदारी, निजी क्षेत्र में 75% आरक्षण, खेल में विश्व स्तरीय सुविधा मुहैया, खेल प्रोत्साहन, सीधी नियुक्ति जैसे प्रयास हुए हैं. चूँकि यह सब एक आदिवासी मुख्यमंत्री द्वारा संभव हुआ है. भाजपा के लिए असहनीय हो गया है. मसलन, फ़र्ज़ी आरोप-प्रत्यारोप, फ़र्ज़ी आदिवासी के आसरे भाजपा झारखण्ड में अपनी राजनीति ज़िन्दा रखने का प्रयास में जुटी है.
आदिवासी संस्कृति पर हमला आरएसएस-भाजपा का पुराना व सुनियोजित षड्यंत्र
आदिवासी शब्द दो शब्दों ‘आदि’ और ‘वासी’ से मिल कर बनता है जिसका अर्थ मूल निवासी होता है. आरएसएस का सुनियोजित षड्यंत्र के तहत आदिवासी को वनवासी कहन आदिवासी संस्कृति पर हमला है. देश के आदिवासी क्षेत्रों में आरएसएस द्वारा एकल स्कूल, वनवासी कल्याण आश्रम एवं वनवासी नाम से अनेक संगठन चलाए जा रहे हैं. जिसका मूल उद्देश्य आदिवासी बच्चों का हिन्दुकरण करना है. ग्यात हो, वनवासी कल्याण आश्रम की स्थापना 1952 में हुई थी. इसका मुख्यालय जमशेदपुर (झारखण्ड) है. भाजपा-आरएसएस की मंशा आदिवासी समुदाय को भी दलितों की भांति विस्थापित कर दासता की और धकेलना है.
भाजपा के इस उद्देश्य पूर्ति के राह में मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन, झामुमो व गठबंधन दलों की विचारधारा व कार्यप्रणाली मुख्य रूप से दीवार बन खड़ा है. झारखण्ड जैसे प्रदेश की आर्थिक मज़बूती व स्वावलंबन का रास्ता भाजपा के मनुवाद, भ्रमवाद, छलवाद, जातिवाद, पुरुषवादी मानसिकता जैसे पुस्तैनी विचारधारा के पार ही संभव है. मसलन, भाजपा के वैचारिक आईने में आदिवासी मुख्यमंत्री की नीतियाँ उन्हें असहनीय कष्ट पहुंचा रहा है. और हर रोज उसके रुढ़िवादी शासन पद्धति को चुनौती भी दे रहा है. मसलन, राजनीतिक पंडितों का मानना है चूँकि भजपा के पास मंशानुरूप बाबूलाल मरांडी जैसे चेहरा है, ऐसे में भाजपा राज्य में सरकार गिराने की दिशा में उग्रता बढ़ सकती है.