अंधभक्ति में लीन ओबीसी का खत्म होता भविष्य

अंधभक्ति में लीन हो ओबीसी वर्ग कब तक खत्म करते रहेंगे अपना भविष्य  

काका कालेलकर कमीशन लागू करने का वचन ओबीसी को देकर 1977 में बनी जनता पार्टी की सरकार ने मोरारजी को प्रधानमंत्री बनाया गया था। जब उनकी सरकार बनी तो काका कालेलकर कमीशन की रिपोर्ट को पुरानी बता लागू नहीं किया और बदली परिस्थिति में नयी रिपोर्ट की बात कही गयी। बीपी मंडल की अध्यक्षता में मंडल कमीशन बनाया गया। जिसने देश भर में घूम कर 3743 जातियों को OBC के तौर पर पहचान किया, जो 1931 की जाति आधारित गिनती के अनुसार भारत की कुल जनसंख्या के 52% थे। मंडल कमीशन द्वारा मोरारजी सरकार को रिपोर्ट सौपते ही देश मेँ बवाल खड़ा हो गया। अटल बिहारी बाजपेयी के नेतृत्व में जनसंघ ने अपने 90 सांसदों ने समर्थन वापस ले मोरारजी की सरकार गिरा दिया।

फिर अटल बिहारी ने जनसंघ समाप्त करके बीजेपी  बना लिया। 1980 के चुनाव में संघ ने इंदिरा गांधी का समर्थन किया, जो इंदिरा 3 महीने पहले स्वयं हार गयी थी वह 370 सीट जीतकर आयी। इसी दौरान मीडिया ने प्रचार किया था कि जो आरक्षण SC, ST को पहले से मिल रहा है वह बढ़ने वाला है। विरोध में गुजरात में प्रचंड आन्दोलन चला, मजे की बात यह थी कि इस आन्दोलन में बड़ी संख्या में ओबीसी (OBC) सहभागी बने। अनुसूचित जातियों के लोगों के घर जलाये गये। नरेन्द्र मोदी जी इस आन्दोलन के नेतृत्वकर्ता थे। कांशीराम जी ने वर्ष 1981 में DS4 नामक आन्दोलनकारी विंग बनाया और प्रसिद्ध नारा दिया “मंडल कमीशन लागू करो वरना सिँहासन खाली करो”।

मंडल को कमंडल में बदल ओबीसी को अंधभक्ति में लीन किया गया

संघ व सत्ताधारी को लगा कि अगर वे मंडल कमीशन का विरोध करते हैं तो “राजनीतिक शक्ति” जायेगी, और समर्थन करते हैं तो कार्यपालिका में जो मलाई खा रहे हैं, वह छिन जायेगी। करें तो क्या करें?  सूक्ष्म दृष्टि डालने पर उन्हें पता चला कि OBC तो रामभक्त हैं। इसलिए इन्होने मंडल के आन्दोलन को कमंडल की तरफ मोड़ दिया गया। देश में राम मंदिर का अभियान छेड़ दिया गया, बजरंग दल का राष्ट्रीय अध्यक्ष पिछड़े को बनाया गया और कल्याण सिंह, रितंभरा, उमा भारती, गोविन्दाचार्य जैसे OBC को संघ ने सेनापति। उसी दौरान उच्चतम न्यायालय ने 4 बड़े फैसले दिये। 1. केवल 1800 जातियों को OBC माना गया। 2. 52% OBC को केवल 27% ही आरक्षण मिला। 3. OBC को आरक्षण तो होगा पर प्रोमोशन में आरक्षण नहीं होगा और 4.  क्रीमीलेयर, अर्थात् जिसकी आमद 1 लाख होगा उसे आरक्षण नहीं मिलेगा।

मसलन, जिस OBC का बच्चा महाविद्यालय में पढ रहा है उसे आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा, जो OBC पढ़ नहीं पा रहा उसे आरक्षण मिलेगा। यह तो वही बात हो गई कि दाँत वाले से चना छीन बिना दाँत वाले को देना। आडवाणी ने रथयात्रा निकाली, नरेन्द्र मोदी आडवाणी के हनुमान बने। सुप्रीम कोर्ट ने मंडल विरोधी निर्णय 16 नवंबर 1992 को दिया और संघ ने 6 दिसम्बर 1992 को बाबरी मस्जिद गिरा दी। इस प्रकार सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बारे में OBC न जागृत हो सके और न ही आन्दोलन कर सके। सवाल यह है कि कब तक भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था में अंधभक्ति में लीन हो संख्या बल पर ओबीसी शासक बनाता रहेगा और अपना ही नुकसान करता रहेगा? 

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