भारतीय जनता पार्टी किसका प्रतिनिधित्व करती है

झारखंड में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और इस चुनाव में, झारखंड मुक्ति मोर्चा ही एक मात्र भारतीय जनता पार्टी को चित करने वाली पार्टी के रूप में दिख रही है। इसके कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन खुले तौर पर लगातार आम जनता, युवा, व्यापारी, कर्मचारी व अनुबंधकर्मियों के पक्ष में खड़ा दिखे हैं। अपने भाषणों के दौरान इन्होंने खुलकर कहा कि इनका दल समाज के कमजोर तबक़ों का प्रतिनिधित्व करती है। इन दिनों इनके दल को जनता का अपार समर्थन मिलता दिख रहा है, इसलिए भी यह कहा जा सकता है कि झामुमो झारखंड में प्रबल दावेदार के रूप में उभरी है। ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि यदि झारखंडी आवाम इस चुनाव में बदलाव चाहती है, तो उन्हें हरियाणा विधानसभा चुनाव के परिणाम से सबक लेते हुए त्रिशंकु के बजाय किसी एक मजबूत दल को बहुमत देना होगा। 

आइये समझने का प्रयास करते हैं कि आखिर ‘भारतीय जनता पार्टी किसका प्रतिनिधित्व करती है या किसकी पार्टी है?


भारतीय जनता पार्टी झारखंड प्रदेश में जिस प्रकार पूँजीपतियों को ज़मीन लुटाने का प्रयास करती दिखी है, प्रतीत होता है यह दल बड़े पूँजीपतियों की पार्टी है। भाजपा को इन पूँजीपतियों से लगभग 1035 करोड़ रुपये का चंदा मिला है। इस चंदे के बूते भाजपा देश भर में अपने 600 नये फ़ाइव स्टार ऑफ़िस बनवा रही हैं। भाजपा के कुल चंदे के लगभग एक-चौथाई का ही स्रोत पता है जबकि अन्य चंदे अज्ञात स्रोतों से आया है। भाजपा चुनावी चंदे के स्रोतों की रही-सही पारदर्शिता को भी समाप्त करने के पक्ष में है ताकि देश-विदेश के मालिक, ठेकेदार और दलाल इन्हें खुलकर चंदा दे सके।

भारतीय जनता पार्टी के सबसे अधिक करोडपति सांसद विधायक

सभी पार्टियों में से भाजपा सांसद-विधायक में सबसे अधिक करोड़पति हैं, जो कि खुद ही मालिक व ठेकेदार भी हैं। सभी पार्टियों में से सबसे ज़्यादा अपराध के आरोपी सांसद-विधायक इसी दल में हैं। सभी पार्टियों में से स्त्रियों के खिलाफ़ अपराध करने के सबसे अधिक आरोपी सांसद व मन्त्री तक भी इसी दल में है। भाजपा सरकार ने पाँच वर्षों के भीतर किसी भी पार्टी की सरकार से ज़्यादा बड़े घोटाले किये हैं जैसे कि कंबल घोटाला, मोमेंटम झारखंड घोटाला, फसल बीमा घोटाला, एनपीए घोटाला, व्यापम घोटाला, स्टेशनरी घोटाला, आदि।

इस दल के शासनकाल में जनता का पैसा गबन कर देश छोड़कर भागे वाले अपराधी पूँजीपतियों संख्या सबसे अधिक हैं -जैसे नीरव मोदी, ललित मोदी, विजय माल्या, मेहुल चौकसी आदि। ज़ाहिर है, सरकार को सूचना के बिना ऐसे अपराधियों का भागना मुमकिन नहीं। भाजपा के शासन में करीब 5 करोड़ लोगों ने रोज़गार से हाथ धोया है। यही नहीं इनके ही शासन काल में बेरोज़गारी पाँच दशकों के उच्चतम स्तर पर पहुँच चूका है, जिसका कारण भाजपा सरकार द्वारा नोटबंदी, जीएसटी व कुदरत की खुली लूट की छूट पूँजीपतियों को दिया जाना रहा है।

ये अपने नीतियों को छिपाने के लिए ‘पाकिस्तान’, ‘हिन्दू-मुसलमान’, ‘मंदिर-मस्जिद’, 370 व 35 जैसे का राग अलापती रही है। ऐसे में सवाल है कि जब झारखंड के तमाम वर्ग रघुवर सरकार से नाराज चल रहे हैं तो यह देखना दिलचस्प होगा कि यहाँ की जनता अपने मत का उपयोग कैसे करती है।

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