जनता से किये वादों के अक्स में लिए गए 5 बड़े निर्णय हेमंत सोरेन को साबित करता है दृढ़संकल्पित व कर्मठ मुख्यमंत्री
रांची। कठिन परिस्थितियों में, अल्प संसाधनों के बीच। कोरोना संक्रमण दौर में, देश भर में आगे बढ़ जन हित में कार्य कर जो मुख्यमंत्री खुद को जांचे। अपने प्रथम वर्ष के काल-खंड को सार्थक अर्थ दे। और अपने दूसरे वर्ष के काल-खंड में, जनता के सहूलियत के लिहाज से, चुनावी दौरों में जिक्र वादों के अक्स में पूरा करने को कदम बढ़ जाए। तो उस कर्मठ व दृढ़संकल्पित प्रयासों को निश्चित रूप से, जनता के उस उम्मीद से जोड़ कर देखा जा सकता है। जिस व्यवस्था की उम्मीद तले हासिये पर खड़ी झारखंडी जनता ने हेमंत सोरेन को सत्ता के शीर्ष पर मुख्यमंत्री के तौर पर बिठाया।
ज्ञात हो, मुख्यमंत्री के तौर पर हेमंत सोरेन के दृढ़संकल्पित फैसले दुख-दर्द से नाता जोड़ते हुए, यह संदेश देने में जरुर सफल हुई है, जहाँ जनता उन्हें हमदर्द अभिभावक के तौर देख सकती है। अपने करीब समझ सकती है। साथ ही हेमन्त व्यवस्था की कार्य प्रणाली उस कहावत को भी चरितार्थ कर कर सकती है। – जहाँ जनता “पूत के पाँव पालने में ही देख” पा रही है।
युवाओं से किये रोजगार के वादे को पूरा करने के प्रति हेमंत सोरेन गंभीर
- झारखंडी जनता को रोजगार देने की मंशे की कसौटी हो सकती है जहाँ मुख्यमंत्री का फैसला सिविल सेवा परीक्षा संयुक्त तौर पर ले। ज्ञाता हो कि मुख्यमंत्री के आदेश के बाद झारखंड में संयुक्त सिविल सेवा प्रतियोगिता परीक्षा, एक साथ चार वर्षो 2017, 2018, 2019 तथा 2020 तक की परीक्षा हो रही है। नियमित परीक्षा नहीं होने से इस परीक्षा में शामिल होने से अभ्यर्थी वंचित न हों, इसके लिए अधिकतम आयु सीमा की गणना एक अगस्त 2016 से करने का निर्णय लिया गया है। आरक्षित वर्ग के अभ्यíथयों को इसमें कई अन्य राहतें दी गई हैं।
- सरकार 6ठीं से 8वीं कक्षाओं के लिए 26,000 शिक्षकों के पद बढ़ाने की तैयारी कर रही है। इसमें राज्य बनने के बाद पहली बार अपर प्राइमरी स्कूलों के शिक्षकों की नियुक्ति करना शामिल हैं। सरकारी माध्यमिक विद्यालयों में लगभग 2,000 स्नातक प्रशिक्षित शिक्षकों की बहाली प्रक्रिया भी अंतिम चरण में है। झारखंड कर्मचारी चयन आयोग ने 11 जिलों के लिए इतिहास-नागरिक शास्त्र विषय में 700 से अधिक स्नातक प्रशिक्षित शिक्षकों की अनुशंसा भेजी है।
संविदाकर्मी महिला रसोइया व पंचायतकर्मियों के हित में लिए गये अहम फैसले
3 पिछले दिनों ही मिड डे मील योजना में कार्यरत संविदाकर्मी महिला रसोइया के मानदेय में 500 रुपए की बढ़ोतरी हुई है। करीब 80,000 रसोइयों को अब हर महीने 2,000 रुपये मिलेगा। इसका लाभ 1 अप्रैल 2020 से ही मिलेगा। 15वें वित्त आयोग के तहत अनुबंधित संविदाकर्मियों के लिए मासिक मानदेय पर भी हेमंत सरकार ने अपनी मुहर लगा दी है। लेखा लिपिक सह कंप्यूटर ऑपरेटर्स को मासिक मानदेय 10,000 रुपये और जूनियर इंजीनियर को मासिक मानदेय 17,000 रुपये दिया जायेगा। ये दृढ़संकल्पित फैसले मुख्यमंत्री के मानवीय पहलू को ही उभारती है।
2021 को नौकरी वर्ष बता स्थानीय युवाओं को निजी क्षेत्र के नौकरियों में 75 प्रतिशत आरक्षण की कवायद
4. साल 2021 को नौकरी का साल घोषित करते हुए मुख्यमंत्री ने यह फैसला लिया है कि जल्द ही राज्य में निजी क्षेत्र में 75 प्रतिशत नौकरियां स्थानीय युवाओं को देने के लिए सरकार पहल करेगी। जाहिर है कि इस काम के लिए मुख्यमंत्री कानून का सहारा लेंगे।
भोले-भाले ग्रामीणों की अधिग्रहित जमीनों की वापसी
5 आदिवासियों की जमीन लूटने वाले भू-माफियों पर अंकुश लगाने के वादें को पूरा करने के लिए हेमंत सोरेन ने फैसले लेने शुरू कर दिये है। बीते दिनों राज्य सरकार ने हजारीबाग के बड़कागांव अंचल स्थित पसेरिया मौजा के 26 रैयतों की 56.88 एकड़ जमीन वापसी का आदेश दिया है। ऐसा इसलिये क्योंकि कंपनी ने जमीन अधिग्रहण के लिए किये गये एकरारनामा के अनुसार काम नहीं किया था। इतना ही नहीं, हेमंत सोरेन ने यह भी कहा है कि हर जमीन का अपना यूनिक आइडेंडीटी नंबर भी सरकार जारी करेगी। यहां जमीन को लेकर कई विसंगतियां हैं, जिन्हें पूर्व में दूर करने का प्रयास नहीं किया गया, लेकिन उनकी सरकार में ऐसे विवादों को खत्म करने की दिशा में भू-राजस्व विभाग तेजी से काम कर रहा है।