झारखंड चुनाव मतलब भाजपा के लिए पैसे का खेल

झारखंड चुनाव में भाजपा कर रही है पैसे का खेल 

तीस लाख रुपये झारखंड जैसे राज्य के एक विधानसभा क्षेत्र में एक प्रचार वाहन में मिलने के क्या मायने हैं, राज्य के 90 फ़ीसदी जनता सुन कर दांतो तले अंगुली दबा लेगा। लेकिन मौजूदा वक़्त में झारखंड में भाजपा नेता-विधायक के लिए यह राशि दांतो में अटकी कोई चीज निकालने वाले टूथ पिक से ज्यादा नहीं। झारखंड के चुनावी दौर में भाजपा के प्रचार वाहन से बरामद होना भाजपा के चुनावी खिलवाड़ बयाँ करने के लिए काफी है। 

यदि एक मामूली प्रचार वाहन 30 लाख रूपए लिए घूम रहीं है तो 81 विधानसभा में 2430 लाख। जबकि कमोवेश प्रत्येक विधान सभा में 10 प्रचार गाड़ियाँ तो घूमती ही है, मतलब 24300 लाख रुपए जो काला धन है, केवल प्रचार गाड़ी अपने साथ लेकर घूम रही है। जो कि चुनाव आयोग यानी भारत सरकार के बजट से कहीं अधिक है। निश्चित तौर पर झारखंडी जनता के लिए एक छलावा है।  

झारखंड चुनाव में भाजपा के लिए लाखों रूपए टूथ पिक सामान

रुपया कहां से आ रहा है कौन लुटा रहा है, हवाला है, ब्लैक मनी, झारखंड के संसाधन की लूट या फिर नकली करेंसी का अंतर्राष्ट्रीय नैक्सस। कोई नहीं जानता यहाँ तक इसमें चुनाव आयोग की भी रूचि नहीं है।झारखंड चुनाव को कैसे अलोकतांत्रिक धंधे में बदल दिया गया है केवल इस घटना से समझा जा सकता है। अभी तक इसमें सबसे वीवीआईपी सीट जमशेदपुर की कहानी सामने ही नहीं आयी है। 

मसलन,  भाजपा ने झारखंड जैसे ग़रीब प्रदेश में चुनाव कितना महंगा कर दी है, इसकी भी कहानी बयान करती है यह घटना। इस विषम मुद्दे पर चुनाव आयोग का चुप रहना यह भी तस्वीर बयां करती है कि आने  वाला चुनाव कितना पारदर्शी है। यह भी समझना दिलचस्प होगा कि वहां की जनता का सोशल मीडिया पर लिखना कि “पिछले चुनाव में भी धनबल से चुनाव को प्रभावित किया गया था और इस बार भी वही हथकंडा अपनाया जा रहे है” चुनाव प्रणाली पर प्रश्न चिन्ह अंकित करता है।

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