एक तानाशाह तो एक झारखंडी माटी पुत्र 

शोषण करने वाले शोषण सहने वाले से कहीं अधिक दोषी होते है क्योंकि, शोषित परिश्रमी होते हैं जबकि शोषक ऐयाशबाज़, एक तानाशाह व आरामदेह जीवन बिताने वाले। यही वजह है कि मनुष्य आज जानवर शरीके जीने को मजबूर हैं। शोषक जानते हैं कि शोषित में कभी एकता नही बनेगी, इसलिए वे उनके खिलाफ़ में न ही बोल सकते हैं, वे इन्हें बैल समझते हैं। लेकिन ये बैल नहीं होते, वे केवल अपने पेट के लिए नहीं बल्कि आपके बीवी-बच्चे के लिए भी काम करते हैं, ताकि उन्हें तमाम तरह की जीने लायक सुविधा मुहैया करा सके। झारखंड के रघुवर युग में कहाँ ऐसा संभव है, आवाज़ उठाने पर महिलाओं तक को पीटा जा रहा है। झारखंड को इसी दुर्दशा से बाहर निकालने के लिए नेताप्रतिपक्ष हेमंत सोरेन कमान संभालते हुए पूरे राज्य में बदलाव यात्रा पर निकले हैं और राज्य की जनता से परदेसी मुख्यमंत्री को हटाने के लिए आह्वान कर रहे हैं। 

हेमंत सोरेन की बदलाव यात्रा का बढ़ती लोकप्रियता को देखकर राज्य के मुख्यमंत्री जी भी यात्रा पर निकले, नाम दिया आशीर्वाद यात्रा -जैसे वे पूरे राज्य का बाप हो और अपने समृद्ध बच्चों को आशीर्वाद देने निकले हों। लेकिन वो कहते है“जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरत देखी तिन तैसी। जहाँ भी गए उन्हें अपने कुकर्मों के लिए मुँह की खानी पड़ी। इधर हेमंत सोरेन के “साथ दें, साथ चलें, नए झारखण्ड की राह चलें” के नारे में झारखंड की जनता को नयी सुबह की दिखने लगी है। इसकी बौखलाहट रघुवर सरकार में साफ़-साफ़ देखी जा सकती है। इस बौखलाहट में मौजूदा संस्कारी सरकार ने गाँधीवादी तरीके से अपने हक-अधिकार के लिए पहले आम हड़ताल, फिर सरकार के कानों में जून न रेंगने पर भूख हड़ताल पर बैठी हमारी आँगनबाड़ी बहनों को पुरुष पुलिस से पीटवाने का भी कुकर्म कर डाला। 

बहरहाल, जहाँ एक तरफ यह सरकार एक तानाशाह कि भांति हमारी बेटी इशिका सिंह को न्याय दिलाने की जगह उसके पिता को लताड़ रही है, जहाँ एक तरफ यह साकार हमारे देश में लक्ष्मी समझी जाने महिलाओं पर डंडे बरसा रही है वहीँ हेमंत सोरेन राज्य की महिलाओं को उनका हक 50% आरक्षण देने की बात कर रहे, यही नहीं पिछड़ों को उनका 27% आरक्षण की बात कर रहे हैं, अगड़ी जातियों के बच्चों को शिक्षा सुविधा उपलब्ध कराने की बात कर रहे हैं, किसानों को बैंक, महिलाओं को बैंक, सभी वर्गों के बेटियों को मुफ्त तकनीकी शिक्षा मुहैया कराने की बात मज़बूती से कर रहे है। साथ ही बहनों पर लाठी चार्ज करने वाले पुलिस पर कार्यवाही करने पर सरकार को मजबूर करने की बात कर रहे हैं। ऐसे में समय रहते झारखंडी जनता को सही विकल्प का साथ देना होगा – नहीं तो ग़ुलामी करते हुए, नर्क जैसा जीवन बिताना होगा या फिर इस पूँजीवादी, जनफ़रोश, भ्रष्ट शासन व्यवस्था को ख़त्म करने का प्रण लें।

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