झारखण्ड में स्वास्थ्य व्यवस्था की हालत लचर : मंत्री सरयू राय

खाद्य आपूर्ति मंत्री सरयू राय ने माना कि झारखण्ड में स्वास्थ्य व्यवस्था की हालत शर्मनाक  

झारखंड में ग़रीबों की भारी आबादी आज स्वास्थ्य की बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुँच मुश्किल और महँगी होती जा रही है। ऊपर से सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की लापरवाही, दवाओं के न मिलने, सरकार की गलत नीतियाँ आदि जैसी समस्यायों ने यहाँ स्वास्थ्य व्यवस्था को और भी गंभीर बना दिया है। हर तरफ पैसे की पूजा के माहौल में यहाँ के अस्पतालों में ज़्यादातर डॉक्टर से लेकर निम्नवर्गीय कर्मचारी तक इंसान की ज़िंदगी बचाने के बजाय दोनों हाथों से पैसा बटोरने में लगे हुए हैं।

मुख्यमंत्री जी के शहर जमशेदपुर की एमजीएम अस्पताल की स्थिति यह है कि मंत्री सरयू राय को स्वीकार करना पड़ा कि इस अस्पताल की स्थिति शर्मनाक है। इससे ज्यादा शर्मनाक बात राज्य के लिए और क्या हों सकती है कि कपाली के तुषार मुखी मामूली पेट दर्द का इलाज कराने पहुंचे थे लेकिन उन्हें आधे घंटे में ही मौत दे दी गई। दरअसल, तीन घंटे तक इमरजेंसी में न तो डॉक्टर थे और न ही कोई स्टाफ। आक्रोशित परिजनों ने डाॅक्टरों पर ठीक से इलाज नहीं करने का आरोप लगाते हुए हंगामा खड़ा कर दिया। 

मंत्री सरयू राय अस्पताल पहुंचे तो वहां कोई भी डाॅक्टर नहीं था। करीब तीन घंटे के बाद इमरजेंसी में डाॅक्टर पहुंचने पर इलाज शुरू हो सका। सरयू राय को कहना पड़ा कि झारखण्ड में स्वास्थ्य व्यवस्था की स्थिति को शर्मनाक है। परिजनों का कहना है कि तुषार के पेट में दर्द की शिकायत पर वे शाम करीब 5.30 बजे अस्पताल  पहुंचे थे। जांच की और स्लाइन चढ़ाने की बात कह डॉक्टरों चले गए, लेकिन आधे घंटे के बाद करीब मरीज़ की मौत हो गई। मृतक तुषार की पत्नी सीता मुखी रोते हुए मंत्री जी के पैर पकड़ कर बोली साहेब डाॅक्टरों ने मेरे पति को मुझसे छीन लिया। 

मसलन, संविधान में तो लोगों को स्वास्थ्य देखभाल और पोषण की अच्छी सुविधाएँ उपलब्ध कराने का वादा किया गया है। उच्चतम न्यायालय ने भी स्वास्थ्य के अधिकार को जीने के मूलभूत अधिकार का अविभाज्य अंग माना है, लेकिन मौजूदा सरकार इस वादे से झारखण्ड में पूरी तरह मुकर गयी है। करों की भारी उगाही का अधिकांश हिस्सा नेताशाही, अफसरशाही के बढ़ते ख़र्चों और पूँजीपतियों को लाभ पहुँचाने पर उड़ा सकती है, लेकिन वहीं जनता की बुनियादी सुविधाओं मुहैया कराना तो दूर कटौती करने से भी गुरेज नहीं रही है। ऐसे में मंत्री जी मृतक के पत्नी मदद करने का भरोसा देना क्या जान किसी का जान लौटा सकता है। 

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