महिला पुलिस कर्मी भी अब सुरक्षित नहीं झारखंड में!

अब तक समाज में स्त्रियों पर जो अत्याचार हो रहे थे उससे ही उबर पाने में हम असमर्थ थे। बलात्कार, क़त्ल, छेड़छाड़, मारपीट, तेज़ाब फेंकने, अगवा, आदि के कारण पहले ही ख़ौफ़नाक हालात पैदा हो चुके हैं। स्त्री विरोधी वहशी मर्द मानसिकता हर क़दम स्त्रियों को शिकार बना रही थी। एक आस थी कि देर से ही सही पर पुलिस तो फिर इनकी रक्षा के मौजूद है या न्याय दिलाती है। लेकिन झारखंड की राजधानी रांची के कांके क्षेत्र में ड्यूटी से लाैट रही महिला पुलिस कर्मी का अपहरण कर उसके साथ दुष्कर्म किया जाता है यह स्थिति और भी भयावह हो जाति है। साथ ही झारखंड के शासन-प्रशासन की पोल आसानी से खोल कर हमारे सामने रखते दिखती है।  

रिपोर्ट: ड्यूटी से लाैट रही एक महिला हाेमगार्ड जवान को राउत सिंकू नामक व्यक्ति अपने साथियाें की मदद से अपहरण कर उसके साथ दुष्कर्म करता है। हालांकि पुलिस ने उस महिला पुलिसकर्मी काे पश्चिम सिंहभूम के टाेकलाे थाना क्षेत्र के मागुरद गांव से बरामदगी कर ली है। कहा जा रहा है कि उस महिला पुलिस कर्मी का मेडिकल जांच के उपरान्त काेर्ट में बयान दर्ज कराया जाएगा। ग्रामीण एसपी आशुताेष शेखर ने बताया कि पुलिस काे पता चलते ही उस महिला जवान काे मागुरद गांव में मुखिया मिलन बांकीरा के घर में छापा मारकर बरामद कर लिया गया है और मुखिया काे गिरफ्तार भी कर लिया गया है, जबकि अन्य आराेपी फ़रार हैं। महिला जवान ने पुलिस को दिए बयान में बताया कि दुष्कर्म करने वाला भी पुलिस का ही जवान है।

बहरहाल, ऐसे में यह सवाल लाज़मी हो जाता है कि जिन पुलिस कर्मियों का दिमाग़ इस क़दर घोर स्त्री-विरोधी विचारों से भरा हो, क्या उनसे स्त्री उत्पीड़न के मामलों में निष्पक्ष जाँच की अपेक्षा की जा सकती है? कतई नहीं! हालाँकि यह मामला महज़ पुलिस महकमे में व्याप्त स्त्री-विरोधी मानसिकता का नहीं, बल्कि यह विचार तो समाज के पोर-पोर में रचा-बसा हैं। अब सरकार ठहरी हिंदुत्ववादी जिसमे स्त्री-विरोधी मानसिकता कूट-कूट कर भरी है। अगर ऐसा नहीं है तो फिर सरकार का इस घटना पर अब तक कोई बयान क्यों नहीं आया है? यह प्रश्न स्त्री बनाम पुरुष के संघर्ष का नहीं बल्कि प्रश्न तो मूलतः और मुख्यतः पितृसत्ता के उन मूल्यों के खि़लाफ़ संघर्ष का है जिनकी जड़ें मानव सभ्यता के इतिहास में खोजी जा सकती हैं।

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