धान खरीद घोटाला उजागर होते ही बिरसा भगवान की प्रतीमा क्षतिग्रस्त होना संदेहास्पद

झारखंड राज्य में ठीक विधानसभा चुनाव के पहले धान खरीद में हुए घोटाले की मामला तूल पकड़ता जा रहा है इसकी जांच के लिए राज्य के विभिन्न जिलों के थानों में दर्ज 48 मामलों की सूची संबंधित जिले के एसपी ने पुलिस मुख्यालय के पास भेज दी है इनमें से कितने मामले का अनुसंधान सीआइडी करेगी, इस बिंदु पर पुलिस अधिकारियों ने समीक्षा भी शुरू कर दी है समीक्षा में यह पाया गया है कि देवघर जिला के विभिन्न थानाें में दर्ज केसों में से 10 केस का अनुसंधान पूरा कर पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ न्यायालय में चार्जशीट शामिल कर चुकी है। शेष दो केस व बाकी जिलों के मामलों का का अनुसंधान जारी है

ज्ञात रहे कि कोर्ट ने राज्य में धान खरीद में हुए घोटाले की पुलिस जांच को असंतोषजनक बताया था साथ ही मामले में हाइकोर्ट ने ऑर्डर की कॉपी गृह सचिव को भेजते हुए केस में शपथपत्र दायर करने का निर्देश दिया था हाइकोर्ट ने गृह सचिव से यह भी पूछा था कि क्या राज्य सरकार धान खरीद घोटाले मामले में पुलिस की जांच से संतुष्ट है? क्या इस तरह के मामले की जांच के लिए राज्य सरकार की एजेंसी के पास पर्याप्त संसाधन नहीं है? क्या राज्य सरकार इस मामले की जांच सीबीआइ से कराने को तैयार है? चूँकि मामले में करोड़ों की वित्तीय अनियमितता की बात सामने आयी थी और इस गड़बड़ी में सरकारी अधिकारियों के अलावा निजी लोग भी शामिल हैं साथ ही धान की खरीदारी पैक्स के जरिये हुई है और मामला आइपीसी की धारा 406 और 420 के तहत दर्ज होना व अनुसंधान के दौरान आरंभिक साक्ष्य भी एकत्रित नहीं किया जाना, मामले को संदेह के घेरे में लाता है

ठीक इसी वक़्त में कोकर स्थित बिरसा मुंडा की प्रतिमा क्षतिग्रस्त होना पूरे मामले को संदिग्ध बनाता है लोग इस घटने से कयास लगा रहे हैं कि झारखंडी आवाम का ध्यान इस और से बटाने के लिए ऐसी घृणित घटना को अंजाम दिया गया है हालांकि आदिवासी समाज के आंदोलित होना इस ख़बर को भी पुख्ता भी कर रहा है ज्ञात रहे कि 15 जून को रांची बंद का आह्वान भी हो गया है पूरे मामले में दिलचस्प तथ्य यह है कि समाधि स्थल के केयरटेकर को भी प्रतिमा के क्षतिग्रस्त होने की स्पष्ट जानकारी नहीं है

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