बेरोज़गारी के आलम के एक भाई अपनी बहन के लाज व जान न बचा सका
झारखंड में बेटियों के साथ हो रहे दुर्दशा के मामले में रघुबर सरकार के शासन-प्रशासन के पाप का घड़ा पूरी तरह भर चुका है। शायद ही झारखंड में कोई दिन ऐसा गुजरता हो जिस दिन यहाँ के बेटियों की अस्मिता के साथ खिलवाड़ न होता हो! लेकिन बेटियों के यह पीड़ा भरा विलाप रघुबर सरकार को कुम्भकर्णी नींद से जगाने के लिए नाकाफ़ी है। बड़ी-बड़ी वादे-इरादे के ढोंग रचने वाली यह सरकार क्यों बेटियों को बचाने में विफल नजर आ रही है? इस राज्य में क्यों इनके शासनकाल में गुंडे-मवालियों का बोल-बाला इतना बढ़ गया है?
अभी कोलेबीरा, कांके वा राँची की बेटियों के ज़ख्म हरे ही थे कि फिर एक बार गुमला जिले के जारी गांव की 12 साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म किया गया, आरोपी यहीं नहीं रुके दुष्कर्म करने के बाद उस बच्ची को गला दबा कर मार भी दिया और बच्ची के मृत शरीर को झाड़ियों में फेंक दिया। बताया जा रहा है कि घटना शनिवार की रात 15-16 तारीख़ की है।
बच्ची पड़ोस के शादी में गयी थी, अपने सहेलियों के साथ रात में वहीँ सो गयी। देर रात आरोपियों ने उसका अपहरण कर घटना को अंजाम दिया। यह मामला प्रकाश में तब आया जब दूसरे दिन रविवार 16 तारीख को कुछ लड़कियों ने उसका शव झाड़ियों के बीच देखा। पुलिस ने 17 तारीख को शव का पोस्टमार्टम गुमला सदर अस्पताल में कराया।
मृतका के सिर से मां-बाप का साया तो पहले ही उठ गया था, वह छठवीं कक्षा में पढ़ती थी। उसका पालन-पोषण उसके छोटे दादा- दादी के जिम्मे था, क्योंकि उस बेटी का बड़ा भाई महज 16 साल का है और झारखंड में व्याप्त बेरोज़गारी के आलम में वह अपनी बहन को अच्छी शिक्षा दिलाने व पेट पालने के लिए मजबूरन मज़दूरी करने दूसरे राज्य मुंबई चला गया है।
बहरहाल, यह मामला सिर्फ एक परिवार का नहीं है बल्कि तमाम उत्पीड़ित स्त्रियों, आम जनता, युवा, छात्रों, इंसाफ पसंद लोगों का मसला है। स्त्रियों के साथ छेड़छाड़, अपहरण, बलात्कार, तेजाब फेंकने, मारपीट, हत्या आदि की घिनौनी घटनाएँ झारखंड में बेतहाशा बढ़ चुकी है। दिनदिहाड़े लड़कियों को अगवा कर बलात्कार का शिकार बनाया जा रहा है। यह सरकारी तंत्र इतना जनविरोधी हो चुका है कि इससे किसी प्रकार की सुरक्षा की उम्मीद तक नहीं की जा सकती है। जनता को खुद ही इसके विरुद्ध खड़ा होते हुए अपनी रक्षा स्वयं करनी होगी।