गुरूजी की धूम दुमका में तो चम्पई-जगरनाथ की जमशेदपुर-गिरिडीह में

गुरूजी की धूम दुमका समेत पुरे झारखंड में 

यह कटु सत्य है कि बेरोज़गारी आज हमारे देश में विकराल रूप धारण कर चुकी है। देश के करोड़ों बेरोज़गार निराशा का शिकार हो आत्महत्या के मुहाने पर खड़े हैं। और न जाने बेरोजगारी सरीखे कितने अन्य मोदी सरकार की नीतियों के बदौलत देश के अन्य वर्ग के आवाम भी वर्तमान में आत्महत्या कर चुकी है। आज मोदी जी जनता के उन सवालों के जवाब देने के बजाय बीजेपी-संघ की विचारधारा को मुंडेर पर रख शॉर्टकट रास्ता अपनाते हुए तकरीबन तीस से अधिक दलों को अपनी पारंपरिक सीटें भेंट कर गठबंधन कर फिर सत्ता के स्वाद चखने की लालसा में निकल पड़े हैं। मोदी-शाह जोड़ी सरकार बनाने की लालच में इतनी आगे निकल गयी कि समाजी सरोकार तो दूर अपने जड़ आडवाणी-जोशी सरीखे बुजुर्गों को बेईजत कर पूरी बीजेपी-संघ पर खुद की विचारधारा थोप दी है।

लेकिन, झारखंड में ठीक इसके उलट अवाम का मानना है कि समाज-संविधान को बचने के मुहीम में महा-गठबंधन के झामुमो के युवा कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन व अन्य युवा विधायक खुद लोकसभा चुनाव न लड़ते हुए अपने बुजुर्गों को दुमका-जमशेदपुर-गिरिडीह लोकसभा जैसे सीटों पर लड़ाने का फैसला कर भारतीय-झारखंडी परंपरा को जीवित रखने का काम करते हुए समाज में एक ठोस उदाहरण पेश किये हैं। वो कहते है न बुजुर्गों की दुआ से बच्चे हमेशा फलते-फूलते हैं। झारखंड में जिस प्रकार झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष समेत तमाम युवा नेताओं की इन दिनों साख बड़ी है, यक़ीनन साफ़-साफ़ महसूस किया जा सकता है।

बहरहाल, दुमका-जमशेदपुर-गिरिडीह लोकसभा में इस विषय को लेकर झारखंड ख़बर द्वारा कराये गए सर्वे में साफ़ उभर कि दुमका में इस बार भी गुरूजी की ही धूम है -एक तरफ जहाँ दुमका के लोगों का साफ़ कहना कि गुरुजी शिबू सोरेन हमारे नेता है, हमारा समाज उनके अनुभवों से फल-फूला है, हमलोग इस व्यक्तित्व के छाव में हमेशा हर विघ्न को हराया है, इसलिय हम शरीर के साथ-साथ जहेन से भी दिशोम गुरु शिबू सोरेन के साथ हैं। जबकि यही सरीखे हालात जमशेदपुर लोकसभा का भी है। गिरिडीह लोकसभा का स्थिति तो और भी रोमांचक है -लोगों का कहना है कि हजारीबाग के रिजेक्टेड प्रत्यासी के लिए यहाँ भी कोई जगह नहीं है।  

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