सुदेश महतो ने भाजपा से गठबंधन कर फिर सत्ता लोभ का परिचय दिया

सुदेश महतो ने भाजपा से गठबंधन क्यों किया ?

फ़र्ज़ी सर्वेक्षणों एवं कॉरपोरेट घरानों के जरखरीद मीडिया के बदौलत मोदी सरकार ने देश भर में यह माहौल खड़ा करने का  प्रयास किया कि देश भर की जनता इनके गुड गवर्नेंस से सुखी और प्रसन्न हैं। लेकिन लाख छिपाने के बावजूद भी यह सच नहीं छिप रहा कि लाखों की संख्या में सॉफ्टवेर इंजीनियर से लेकर दिहाड़ी मज़दूर तक ने देश भर में अपने रोज़गार खोये। बेलगाम महँगाई भले ही गोदी मीडिया के लिए कोई ख़बर न हो पर लोगों का जीना मुहाल कर रखा है। झारखंड सरीखे राज्य में शाजिसाना तौर पर देशी-विदेशी कम्पनियों को खनिज-सम्पदा की खुली लूट आसान करवाने के लिए जिस प्रकार मेहनतकशों के अधिकारों पर हमले किये गए, प्राकृतिक संसाधनों को लूटने के लिए बजबुरन लैंड-बैंक बनाए गए, फर्जीवाड़ा कर किसानों की ज़मीने छीनी गयी, निश्चित तौर पर केंद्र को कटघरे में खड़ा करता है।

झारखंड में केंद्रीय भाजपा द्वारा प्रवासी मुख्यमंत्री चुन कर यहाँ के सांस्कृतिक व सामजिक ताने-बाने को तीतर-बीतर करना क्या यह साबित नहीं करता कि केन्द्रीय भाजपा बेरोक-टोक अपनी महत्वाकांक्षी प्रोजेक्टों को झारखंड में पारित करना चाहती थी, जिसमे वह आजसू सरीखे जयचंद दलों की मदद से बहुत हद तक सफल भी हुए। नतीजतन आजसू के सहमती में राज्यभर में भाजपा ऐसी स्थानीय नीति परिभाषित करने से नहीं चुकी, जिसके मदद से लगभग 75 प्रतिशत से अधिक बाहरी नियमित हो गए। पांचवी अनुसूची क्षेत्र में निहित पेसा प्रावधानों को पूरी तरह से ताक पर रख ग्राम सभा तक को दरकिनार कर दिया और आजसू केवल मूकदर्शक बन देखती रही। झारखंड राज्य के अधिकारों पर रघुबर सरकार ने हर आघात आजसू-सुदेश की सहमती में केंद्र के इशारे पर किया है।

सुदेश महतो ने भाजपा से गठबंधन कर बेरोजगार युवाओं का उड़ाया है मजाक 

वर्तमान में राज्य की अर्थव्यवस्था इस स्तर पर चरमराई हुई है कि छोटे किसान और खेतिहर मज़दूरों को दो जून की रोटी जुटाना मुश्किल कर दिया है, युवा डिप्रेसन के शिकार हो आत्महत्या करने पर मजबूर हैं। मगर देश भर के गोदी मीडिया में, भाजपा के आईटी सेल में, पोस्टरों में भाजपा का “विकास” लगातार जारी है। आजसू दल को गिरिडीह लोकसभा सीट दिए जाने के एवज में अध्यक्ष सुदेश महतो ने भी मीडिया के समक्ष भाजपा के विकास पर सहमती जता दी है। साथ ही यह भी परिभाषित करने का प्रयास किया है कि राज्य की समस्या अलग है और केंद्र की समस्या अलग। मतलब कि ये लोकसभा में भाजपा के साथ गठबंधन करेंगे लेकिन विधान सभा स्तर पर ये भाजपा का विरोध करेंगे। इनके इस दलील पर कोई भी अबोध बालक कह सकता है कि सुदेश जी लोभ वश सच्चाई पर पर्दा डालते हुए झारखंडी जनता का ध्यान भटकाने के प्रयास कर रहे हैं।

बहरहाल, आजसू अध्यक्ष सुदेश कुमार महतो कोई अबोध बालक तो है नहीं जिसे यह पता न हो कि स्थानीय नीति, भूमि अधिग्रहण नीति, विद्यालयों मर्जर नीति, लैंड-बैंक नीति आदि रघुबर सरकार ने केंद्र को अँधेरे में रख कर एवं अपने सहयोगी दल (आजसू ) के बिना सहमती के लागू किया हो। बल्कि विपक्ष के दलील एवं साक्ष्यों को खंघालने से पता चलता है कि उन्हें यह भली भांति ज्ञात था कि ये सारी कवायदें केंद्र की भाजपा के इशारे पर हुआ है। ऐसे में आजसू अध्यक्ष द्वारा झारखंड राज्य के परिप्रेक्ष्य में “देश  और राज्य के विषय अलग-अलग हैं” बयान देना साफ़-साफ़ प्रदर्शित करता है कि सुदेश महतो ने एक बार फिर झारखंडी अस्मिता/मूलवासियत/आदिवासियत को दरकिनार कर सत्ता के लोभवश झारखंड के भलाई न चाहने वाले दल से समझौता किया है। जिसे जनता बड़ी बारीकी से देख रही है। अगर ऐसा नहीं है तो फिर सुदेश महतो ने भाजपा से गठबंधन क्यों किया?

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