झारखंड संघर्ष यात्रा कार्यक्रम की सफलता में अहम भूमिका निभाने वाले झामुमो के केन्द्रीय महा सचिव, गिरिडीह निवासी, सुदीव्य कुमार सोनू अब 4 मार्च को होने वाले 46वें स्थापना दिवस समारोह को सफल बनाने की तैयारी में जुट गए है। इस कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए गिरिडीह कार्यालय के जिलाध्यक्ष संजय सिंह स्वयं मोर्चा संभालते हुए लगातार बैठके कर गहन मंथन के साथ-साथ पल-पल की स्थिति पर पैनी नजर बनाए हुए हैं। कार्यकर्ताओं एवं पार्टी के अन्य सदस्यों में भी इस बार गजब का जोश देखा जा रहा है। सुदीव्य कुमार सोनू मायूसी भरी चेहरे से कहते हैं तैयारी तो ठीक चल रही है परन्तु इस बार हमें हमारे अनुभवी साथी स्व जयनाथ राणा जी की कमी बहुत खल रही है।
सुदीव्य कुमार जी आगे कहते है कि गिरिडीह जिला से हमेशा ही हमारे दिशोम गुरु शिबू सोरेन (गुरु जी) को बहुत स्नेह रहा है। वे अपने संघर्षों के दिनों में यहाँ स्थित पारसनाथ की पहाड़ियों में विचरण के साथ-साथ शरण भी लेते थे। वे आगे कहते हैं कि गुरूजी जब अलग झारखंड के प्राप्ति उपरान्त वायुमार्ग से जब पारसनाथ के पहाड़ियों के ऊपर से गुजरते थे तो वे ऊपर से ही बताने के स्थिति में होते थे कि अभी वे किस गांव से गुजर रहे हैं, यहाँ तक कि उन्हें जंगल के एक-एक पेड़, एक-एक दरख़्त, नदियाँ, पगडंडियां आदि उनके स्मृति में इस तरह अंकित हैं जैसे किसी हार्डडिस्क में आकड़े रखे हों।
आगे सुदीव्य कुमार सोनू ने बताया कि ऐसा भी दौर था, जब आदिवासी-मूलवासियों को भूख के बदले पुलिस की गोली खानी पड़ती थी और महिलाओं को प्रशासन सुरक्षा देने की जगह बलात्कार करते थे , फिर रहम आए तो जि़न्दा छोड़ देते थे नहीं तो उसे भी मार देते थे? यह सब देखते हुए किसी की आँखों में अगर आक्रोश आ जाए तो उसे भी गोली खाने को तैयार रहना पड़ता था? फिर भी कोई मामला न अदालत की चौखट तक पहुँता था और न ही थानों में दर्ज होता होता था? ऐसी स्थितियों के बीच में हमारे दिशोम गुरु शिबू सोरेन ने अपने साथियों के साथ मिलकर झारखण्ड मुक्ति मोर्चा जैसे बरगद का पेड़ लगाया जो आज भी यहाँ के बेजुबान अवाम को ढाल प्रदान करती है।
इन सारी परिस्थितियों के वो गवाह जो अब तक सांस ले रहे हैं वो झारखंड मुक्ति मोर्चा के स्थापना दिवस पर जरूर पहुँचते हैं। यह दिन बुजुर्ग–नौजवान, नेता-कार्यकर्ता व आम जनता के लिए बड़ा अहम् होता है। वे इस दिन आपस में मिलते हैं, झूमते हैं, गाते हैं। वे अपने अनुभवों को एक दुसरे के साथ बांटते है, पुराने एतिहासिक स्मृतियों को याद कर खुश होते हैं, एक दूसरे को बधाई देते है और साथ ही राज्य की वर्त्तमान राजनीतिक–सामाजिक परिस्थितियों पर गहन चर्चायें करते हैं। नेता-कार्यकर्ता के साथ-साथ बुजुर्ग और उम्रदराज़ नेता भी देर रात तक इंतजार कर मंच पर अपनी बातों को रखते हैं। ज्ञात रहे यह कार्यक्रम किसी भी राजनीतिक दलों द्वारा आयोजित रात्री कार्यक्रमों में सबसे देर रात तक चलने वाला कार्यक्रम होता है।
बहरहाल, इस बार तो गिरिडीह के साथ-साथ सम्पूर्ण झारखंड की जनता केंद्र की भाजपा सरकार और रघुबर सरकार के नीतियों से बेहद त्रस्त हैं। और वे इससे निजात पाने के लिए राज्य के दुसरे सबसे बड़े दल झामुमो की तरफ टकटकी निगाह से देख रहे हैं। ज्ञात रहे कि यहाँ की जनता को उनके समस्यायों से निजात दिलाने हेतु नेता प्रतिपक्ष हेमन सोरेन लगातार झारखंड में संघर्ष यात्रा कर रहे हैं जिसने निश्चित तौर पर भाजपा खेमे में खलबली मचा दी है। इन परिस्थितियों में गिरिडीह में 4 मार्च को होने वाले 46वें स्थापना दिवस का आम जनता में महत्त्व और भी बढ़ गया है।