झामुमो के संघर्ष यात्रा से उत्पन्न घबराहट साफ़ दिख रही भाजपा नेताओं में
बीजेपी जब पारंपरिक मुद्दो को दरकिनार कर झूठे विकास के राग को अपना लेती है। और संघ भी अपनी स्वदेशी विचारधारा छोड़ मोदी के कॉर्पोरेट प्रेम के साथ नाता जोड़ लेती है। जब विदेशी निवेश तो दूर चीन के साथ भी जिस तरह मोदी सत्ता का प्रेम यकायक जाग जाता हो और वह भी संघ परिवार को परेशान नहीं करता। तो ऐसे में जाहिर है कि झारखंडी जनता अपने भविष्य के सवालों के अक्स को झारखंड के दूसरे बड़े दल जिसकी पटकथा ही संघर्षों की वेदी पर लिखी हो, के दामन में टटोलेगी। इसका ताजा उदाहरण हम चंद दिनों पहले ख़त्म हुए झारखंड संघर्ष यात्रा पर निकले झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत जी को मिले अपार स्नेह और उनकी सभाओं में उमड़े जन सैलाब के रूप में देख सकते हैं।
इन इस यात्रा के दौरान जो सवाल उभरा वह युवा झारखंड का है जिसे रघुबर सरकार के द्वारा बतौर वोटर तो मान्यता दी जा रही है लेकिन उसकी बेरोजगारी की त्रासदी भाजपा के राजनीति का हिस्सा कभी नहीं बन पायी है। यानी झारखंडी युवा एकजुट हो अपनी इस त्रासदी से उबरने के लिए मौजूदा सरकार के सियासी पेंच को धराशायी करने के लिए झामुमो के युवा नेता हेमंत सोरेन के रूप में एक मजबूत कील तो ठोक दी है। जो भाजपा के सियासी जड़ों को हिलाने के लिये काफी है।
बहरहाल, भाजपा यह बात बड़े सलीके से समझ रही है कि हेमंत सोरेन, झारखंडी युवाओं के उनके अनसुलझे सवाल कि आखिर सरकार रोजगार को लेकर कुछ सोच क्यो नहीं रही और यहाँ के युवाओं को अयोग्य बता क्यों बाहरियों को नौकरी परोसे रही हैं समझाने में सफल रहे हैं। साथ ही यह भी कि भाजपा शासन में जो आर्थिक नीतियां झारखंड में अपनायी गयी है उससे नए रोजगार तो छोड़िये यहाँ के बचे-खुचे रोजगार भी धीरे-धीरे खत्म होते जाएंगे। यहाँ के बेरोजगार युवा भी अब भली भांति समझ रहे हैं कि इन स्थितियों में उनको दर-दर कि ठोकरें खानी पड़ेगी या फिर आत्महत्या के सिवाय उनके पास अतिरिक्त कोई राह शेष बचेगी नहीं।
मसलन, झारखंड की रघुबर सरकार को लगने लगा है अब सत्ता रेत की भाँती उनके हाथों से धीरे-धीरे फिसलती जा रही है। झामुमो के संघर्ष यात्रा को लेकर भाजपा नेताओं के ऊल-जलूल बयान उनकी घबराहट को साफ़ ज़ाहिर कर रही है और साथ ही यह भी साबित कर रही है कि इस संघर्ष यात्रा ने रघुबर सरकार की नीव पूरी तरह से हिला कर रख दी है।