शिक्षक नियुक्ति में 75% बाहरी नियोजित, नीरा यादव ने कहा राज्य में योग्यता की कमी

शिक्षक नियुक्ति पर नीरा यादव की खोखली दलील

झारखंड के पहले छत्तीसगढ़िया मुख्यमंत्री यह बखान करते नहीं थकते कि उनकी बनाई गयी विशेष स्थानीय नीति से यहां के आदिवासी एवं मूलवासियों को नौकरी में जगह मिलेगी, पर सच्चाई तो ठीक इसके उलट दिखी है। इनके द्वारा लागू की गई स्थानीय नीति के कारण झारखंड के संसाधनों पर धीरे-धीरे बाहरी लोग हावी होते जा रहे हैं। इसी का परिणाम है कि चंद दिनों पहले हुई प्लस टू (इंटरमीडिएट) विद्यालयों के लिए शिक्षक नियुक्ति में 75% राज्य के बाहर के अभ्यर्थियों का दबदबा देखा गया है। ऐसा प्रतीत हो रहा है मानो इस बाहरी मुख्यमंत्री का एक मात्र उद्देश्य हो गया हो कि किसी तरह राज्य में बाहर के लोगों को स्थापित किया जाय, ताकि इनका वोट बैंक बढ़ता रहे। इस मुद्दे की जवाबदेही पर इनके मंत्रियों की दलीलें भी विवादस्पद लगती हैं।

हाल ही में झारखंड की शिक्षा मंत्री डॉ नीरा यादव ने प्रेस से बातचीत के दौरान कहा कि जनरल केटेगरी में सरकार बाहरियों की नियुक्ति को नहीं रोक सकती हैं। हमारे राज्य के भी बहुत सारे अभ्यर्थी भी झारखंड से बाहर नियोजित किये जाते हैं। इतना ही नहीं शिक्षा मंत्री महोदया यह कहने से भी नहीं चुकती हैं कि राज्य में योग्य अभ्यर्थियों की कमी के कारण प्लस 2 शिक्षक नियुक्ति में आधे से ज्यादा स्थान रिक्त रह गये थे, अगर आज भी हमे योग्य अभ्यर्थी मिल जाए तो हम उन्हें नियुक्त कर देंगे।

कमाल की बात है! रघुबर सरकार द्वारा परिभाषित स्थानीय नीति में गड़बड़ी के बलबूते अच्छे खासी संख्या में यहाँ के खातियान्धारियों का सीधे तौर पर छटनी कर दी गयी है, जिसके कारण सामान्य वर्ग की नौकरियों में बड़े पैमाने पर यहां के मूलवासियों के हकों की डकैती हो रही है। और उल्टा सवालों से बचने के लिए रघुबर सरकार और उनके मंत्री बड़ी बेशर्मी से झारखंड के प्रतिभावान अभ्यर्थियों की योग्यता पर सवाल खड़े करने का आसान रास्ता अपना लिया है।

अच्छा होगा कि भाजपा अपने अयोग्य मुख्यमंत्री के साजिशाने स्थानीय नीति के दोष को झारखंड के योग्य युवाओं पर मढ़ने के बजाय नियोजन नीति की त्रुटियों को दूर करे। जैसे राज्य सरकार ने झारखंड की जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषाओँ के अलावा नाम मात्र बोली जाने वाली भाषाओँ को शामिल किया गया जिसकी वजह से बाहरियों के चयन प्रक्रिया में फायदा मिल रहा है। सबसे महत्वपूर्ण फैसला,  प्लस 2 की नियुक्ति की परीक्षा के परिणामों की जाँच, जोकि यह सरकार कतई नहीं करना चाहेगी। क्योकि इनकी नियोजन नीति पर फिर सवाल उठने शुरू हो जाएँगे।      

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