भाजपा की चुनावी दंगल की समझ हिन्दुस्तानी धारणा से आगे निकल कर कपट की पारंपरिक परिवेश तले गिरगिट को मात देती
क्या वाकई हिंदुस्तान की राजनीति का मुश्किल दौर है जहाँ स्थापित मूल्यों की जड़ें हिला दी गयी है। जहाँ भाजपा व्यवस्था का हिस्सा बनने को इतना बेताब दिखती है कि हिटलर शर्मा जाए। जहाँ भाजपा की चुनावी दंगल की समझ हिन्दुस्तानी धारणा से आगे निकल कर कपट की पारंपरिक परिवेश को खुला न्यौता देती है। जो न केवल आधुनिक भारत पर सवालिया निशान लगाती है बल्कि, लोकतंत्र के मूल भावना को भी तार-तार करती है।
यूपी की राजनीतिक व्यवस्था पर चुप्पी साधने वाली झारखंड की जो भाजपा इकाई, दलित-हाथरस कांड पर चुप्पी साध लेती है। जो केंद्र द्वारा तानाशाही तरीके झारखंड का बकाया देने बाजाय झारखंड की भविष्य क़तर लेने पर चुप्पी साध लेती है। वह भाजपा झारखंड के चुनावी दंगल के समझ तले साहिबगंज नाबालिग दुष्कर्म मामले में जबरदस्त शोर मचाती है। क्या यह गिरगिट को मात देने वाला रंग नहीं है। और भजापा की विचारधारा का सटीक उदाहरण भी।
हेमंत सरकार ने 12 घंटे के भीतर साहिबगंज नाबालिग दुष्कर्म मामले के आरोपियों गिरफ्तारी कर भाजपा को दिखाया आईना
यदि झारखंड की हेमंत सरकार 12 घंटे के भीतर साहिबगंज नाबालिग दुष्कर्म मामले के आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं करती तो, बीजेपी पूरे मामले को राजनीतिक रंग देने के प्लान में सफल हो जाती। भाजपा ने एलान किया है कि 17 अक्टूबर को उनकी उच्चस्तरीय टीम पीड़िता के घर जाएगी। बीजेपी पार्टी की यह दोहरी नीति जनता के बीच आखिर किस भारतीय संस्कृति का उदाहरण पेश करना चाहती है। जबकि हेमंत सत्ता की त्वरित कार्यवाही भाजपा शासन प्रणाली को आईना दिखाती दिखती है।
गैंगरेप मामले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का बड़ा कदम
दुमका गैंगरेप मामले में सीएम हेमंत सोरेन के गंभीर कदम तले न कवल थानेदार ससपेंड हुए, बल्कि आरोपियों की त्वरित गिरफ्तारी भी हुई। मुख्यमंत्री ने ऐसे घ्रिनात्मक सोच रखने वालों को चेताया भी कि यह यूपी नहीं झारखंड है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन खुद मामले में गंभीरता दिखाते हुए दुमका की बेटी को न्याय दिलाने के लिए कार्रवाई तेज कर दी है।
उन्होंने यह भी कहा कि यहां हाथरस की तरह हमारी सरकार रात के अंधियारे में घिनौनी साजिश नहीं करती। पत्रकारों के मुंह पर ताला नहीं लगाया जाता। यहाँ ड्यूटी न निभाने वाले अफ़सरों पर कार्यवाही होती है और डीएसपी, एसपी, डीआइजी को जल्द से जल्द अपराधियों को पकड़ना होता है और आरोपियों के खिलाफ विधि सम्मत कठोर कार्रवाई करनी पड़ती है। साथ ही दुष्कर्म के बाद हत्या जैसे घृणित मामलों की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट से कर दोषियों को सख्त सजा दिलायी जाती है।
मसलन, महिला दुष्कर्म का मतलब सिर्फ बारुद नही समाजिक संबंधों को तार-तार करने वाली संस्कृति भी है। खासकर जब सुरक्षा का मतलब पैसा हो जाये… बिजनेस की समझ बन जाये। तो इस समझा को छिन्न-भिन्न करने के लिए हेमंत सोरेन जैसे मुख्यमंत्री को आगे आते हुए कठोर कदम उठाते हुए कहना ही चाहिए कि यह यूपी नहीं झारखंड है। जिससे समाज के भीतर लोकतंत्र के बचाव की चेतना पुनः जीवित हो सके।