सरकारी रोज़गार व प्रशासनिक तंत्र में पारदर्शिता लाने की दिशा में बढ़ी हेमंत सरकार

झारखंडी भावना के अनुरूप पारदर्शिता के मद्देनज़र देश में पहली बार सीएम हेमंत द्वारा लॉटरी सिस्टम से बाँटा गया नियुक्ति पत्र व  प्रभार जिला

पिछली सरकार में दबे-कुचलों को न्याय न मिलने से बढ़ी थी सरकार और जनता के बीच दूरियाँ

राँची। राज्य गठन के बाद से ही झारखंड रोज़गार, नियुक्ति प्रक्रिया व सरकारी तंत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार के दंश को झेल रहा है। जो झारखंडी भावना को नज़रअंदाज़ कर थोपी गयी नयी संस्कृति का प्रतिफल भर है। जो सरकारी नौकरी से लेकर पढ़ाई कर रहे छात्रों तक में यह हमेशा चर्चा का विषय रहा है। सरकारी तंत्र में भ्रष्टाचार इतना अंदर तक पेंठ बना चुका था कि यहां की जनता के अधिकार, रोजगार व तमाम प्रकार के सुविधायों पर बाहरियों द्वारा डाके डाले जा रहे थे। मसलन, पारदर्शिता दूर-दूर तक अपना कोई स्तित्व नहीं रखता था।

राज्य के दबे-कुचले वर्गों को न्याय नहीं मिलने के कारण झारखंडी जनता का सरकार से भरोसा उठ लगभग उठ गया था। लगता है मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन शायद नयी संस्कृति से उत्पन्न झारखंड के इस त्रासदी का पूरी तरह ख़त्म कर शासन तंत्र को झारखंडी भावना के अनुरूप बनाना चाहते हैं। क्योंकि, बीते दिनों हेमंत साकार राज्य में पारदर्शिता के मद्देनज़र एक महत्वपूर्ण पहल कर इसके संकेत भी दिए हैं।  जो निश्चित रूप से झारखंडी भावना को परिभाषित करता है। ज्ञात हो कि हेमंत ने झारखंड की सत्ता संभालने के बाद ही सरकार में पारदर्शिता की बात करते हुए इसे आम जनता की सरकार बताया था। 

झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने पारदर्शिता को राज्य में पदस्थापित करने के लिए लॉटरी के माध्यम से पदाधिकारियों को आवंटित किया जिला

झारखंड में सरकार ने खेल को बढ़ावा देने व खिलाड़ियों की माली स्थिति को सवाने के उद्देश्य से राज्य के 24 जिलों में खेल पदाधिकारियों का नियुक्त किया है। इस कार्यक्रम दौरान पदाधिकारियों को लॉटरी के माध्यम से नियुक्ति पत्र व जिला आवंटित कर राज्य में इतिहास रचा गया है। इसी के साथ झारखंड में पारदर्शिता का उदाहरण पेश करते हुए मौजूदा सरकार ने भ्रष्टाचार की संस्कृति को जोरदार झारखंडी थप्पड़ मारा है। 

निश्चित तौर यह दृश्य झारखंडी आवाम के पुराने नासूर जख्मों को राहत पहुंचाया होगा। जहाँ राज्य के खिलाड़ी स्वाभिमान के साथ सर उंचा कर पर्ची उठाया और सीएम ने खुद पर्ची खोल उनके संबंधित जिला की घोषणा की। साथ ही गृह जिला आने पर पुनः उनसे दूसरी पर्ची निकलवा गया और पदस्थापित किया गया। 

सरकारी तंत्र में पारदर्शिता लाने के लिए सरकार सोशल मीडिया का कर रही उपयोग

झारखंड के वर्तमान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन विधानसभा चुनाव के पूर्व ही सोशल मीडिया प्लेटफोर्म पर सक्रिय हो गए थे। चुनाव जीतने और मुख्यमंत्री बनने के बाद सोरेन न केवल माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्वीटर पर ज्यादा सक्रिय हुए, बल्कि अपनी सरकार में पारदर्शिता लाने व जनता तक मदद पहुंचाने में इसका भरपूर उपयोग भी किया है।

श्री सोरेन द्वारा ट्वीटर पर मिली किसी भी शिकायत पर अधिकारियों को ट्वीटर पर ही कार्रवाई करने का निर्देश देते देखे जा सकते हैं। चाईबासा सदर अस्पताल में एक बच्ची को खाने में केवल भात (चावल) परोसने का मामले को ट्वीटर पर ही मुख्यमंत्री द्वारा गंभीरता से लेना व अन्य मामले -एक स्पष्ट उदाहरण हो सकता है। मुख्यमंत्री ने ट्वीटर पर ही जिले के डीसी को जांच करने का आदेश तक दिया। आदेश के आलोक में संबंधित मामले में दोषी कर्मचारियों का निलंबिन तक हुए।

सीधी नियुक्ति प्रक्रिया से बहाली होने पर जनजातीय भाषा की परीक्षा में पास करना अनिवार्य

सरकारी नौकरियों में झारखंडी भावना लाने के लिए मुख्यमंत्री अधीन गृह विभाग ने एक नया नियम बनाया है। बीते दिनों झारखंड पुलिस की नई नियमावली लागू की गयी है। गृह विभाग द्वारा इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी। नई नियमावली को झारखंड राज्य पुलिस सेवा (संशोधन) नियमावली, 2020 कहा जाएगा। राज्य सरकार ने इस नियमावली को तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया है।

नए नियमावली के तहत डीएसपी के मूल कोटि में सीधी नियुक्ति प्रक्रिया से आने वाले पदाधिकारियों को अब जनजातीय भाषा परीक्षा में से किसी एक को पास करना अनिवार्य होगा। मुख्यमंत्री की यह पहल भी सराहनीय हो सकती है। क्योंकि इससे संबंधित अधिकारी झारखंड जनमानस की भावना से भली-भांति परिचित हो सकेंगे। और झारखंड लोक सेवा आयोग, झारखंड कर्मचारी आयोग जैसी परीक्षाओं में जनजातीय भाषाओं को तरजीह दी जायेगी।

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