विधानसभा में नमाज अदा करने की परिपाटी पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल के अनुमति से हुई थी शुरू

झारखण्ड के पुराने विधानसभा में भी नमाज पढ़ने के लिए जगह निर्धारित थी. विधानसभा में नमाज अदा करने की परिपाटी कथित तौर पर पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल के अनुमति से हुई थी शुरू

  • मृतकों को दी जाने वाली श्रद्धांजलि को भाजपा ने शोर में बदला 
  • विधानसभा में दी गई जगह नमाज पढ़ने के लिए है न कि मसजिद बनाने के लिए
  • विधानसभा में नमाज अदा करने की परिपाटी पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल के अनुमति से हुई थी शुरू 
  • सांप्रदायिक राजनीति के अक्स में भाजपा झारखंडियों के हक के मुद्दों से सरकार को चाहती है भटकाना 
  • विधायक सीपी सिंह विधानसभा परिसर में बनवाना चाहते हैं 
  • मुद्दों के अवाब में भजपा के पास शोर के सिवा और कोई विकल्प नहीं 

सत्र में श्रद्धांजलि सभा को भाजपा ने शोर में बदला 

झारखण्ड विधानसभा के मानसून सत्र का पहला दिन भाजपा नेताओं के हंगामा की भेंट चढ़ चुका है. आशंका भी थी कि मौजूद विपक्ष भाजपा सार्थक चर्चा चर्चा में बाधक होगी. सत्र की शुरूआत के पहले से ही भाजपाइयों ने अपना इरादा जाहिर कर दिया था. नतीजतन, उन्होंने मृतकों को दी जाने वाली श्रद्धांजलि को भी शोर में तब्दील कर दिया. सोमवार सुबह, सत्र की शुरूआत होते ही भाजपा विधायकों ने भजन गाने की शुरूआत कर दिए. सदन के अंदर भी भाजपाइयों ने हर हर महादेव के नारे लगाए और नियोजन नीति का विरोध किया.

विधानसभा में दी गई जगह नमाज पढ़ने के लिए है न कि मसजिद बनाने के लिए

भाजपाइयों की आपत्ति है कि विधानसभा भवन में नमाज के लिए रूम आवंटित क्यों किया गया? वह भी हनुमान चालीसा के लिए अलग रूम चाहते हैं. विधायक सीपी सिंह ने तो यहां तक कह दिया कि विधानसभा परिसर में मंदिर के लिए जगह आवंटित किया जाए. मंदिर खुद बनवा लेंगे. पूरे प्रकरण में, सरकार की ओर से कहा गया कि विधानसभा में नमाज पढ़ने के लिए जगह आवंटित की गई है. उन्हें मसजिद बनाने के लिए कोई जगह आवंटित नहीं किया गया है. झारखण्ड के पुराने विधानसभा में भी नमाज पढ़ने के लिए जगह निर्धारित थी. उसी परिपाटी को आगे बढाया गया है. 

विधानसभा में नमाज अदा करने की परिपाटी पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल के अनुमति से हुई थी शुरू 

कथित तौर पर माना जाता है कि पुराने विधानसभा में नमाज अदा करने हेतु जगह के लिए, तत्कालीन मुख्यमन्त्री बाबूलाल मरांडी से आग्रह किया गय़ा था. जिसपर उस वक्त उन्होंने अपनी सहमति दी थी. जबकि मौजूदा दौर में बाबूलाल मरांडी भाजपा में है. ऐसे में भाजपा का हंगामा महज एक राजनीतिक तमाशा के अतिरिक्त और कुछ नहीं हो सकता है. जिसकी आड़ में वह गरीबों/झारखंडियों के हक के मुद्दों से सरकार को भटकाना चाहती है.

मसलन, मुद्दों के आभाव में विपक्ष में बैठी भाजपा के पास शोर के सिवा कोई रचनात्मक राजनीति का विकल्प नहीं है. सत्र के दौरान हंगामा कर सदन को बाधित किया जा रहा है, ताकि गरीब झारखंडियों के भविष्य के अक्स में लिए जाने वाले फैसले बाधित हो सके. और झारखंडियों के सार्थक मुद्दों पर  चर्चा नहीं हो सके. नतीजतन, यदि यह जारी रहा तो राज्य का नुकसान होगा. कम से कम भाजपा के झारखंडी नेताओं इस विषय पर गंभीरता सोचना चाहिए. ताकि जनता की गाढ़ी कमाई व झारखण्ड का भला हो सके. बाहरी भाजपा नेताओं को तो राज्य के विकास से कोई मतलब है. क्योंकि उनकी राजनीतिक नजर केवल झारखंड के संसाधन लूट पर टिकी होती है.

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