बेटी के उस पिता की गलती केवल इतना भर था कि वह रघुवर सरकार से मांग बैठा था बेटी के लिए न्याय
राँची : शायद 8 मार्च 2017 के उस मनहूस दिन को कोई झारखंडी पिता नहीं भूल सकता। भूलेंगे भी कैसे – झारखंडी बेटी के साथ हुए अन्याय के लिए भाजपा सरकार से झोली फैला कर न्याय मांगने गए एक पिता को स्वयं मुख्यमंत्री रघुवर दास ने भरी सभा में बेइज्जत कर लौटा दिया था। वाकई उस शख्स ने झारखंडी पिताओं को एहसास करवा था कि बेटियां बोझ होती है।
लेकिन, कहते हैं हर अँधेरी रात का सुबह होता है। झारखंड में भी नयी भोर हुई और हेमंत सोरेन ने बड़े अरमानों से झारखंड के मुस्तकबिल को संवारने का ज़िम्मा उठाया। देशव्यापी लॉकडाउन में केरल में फंसी झारखंडी बेटियों को अपनी सूझ-बुझ से जिस प्रकार वापस लाए। या फिर जिस मासूमियत से 2 सितंबर 2020 के दिन झारखंडी बेटी की फरियाद एक सगे भाई की तरह सुनी। निश्चित तौर पर झारखंडी पिताओं के उस जख्म पर मरहम लगा होगा।
दोनों मुख्यमंत्री के कार्यशैली का आंकलन अगर बारीकी से किया जाए, तो निष्पक्ष तौर पर यह कहा जा सकता है कि श्री सोरेन में झारखंडियो के प्रति वही दर्द दिखता है जिस भावनात्मक दर्द के बंधन में सगे भाई बंधे होते हैं।
उस बेटी के पिता का हुए अपमान का, क्या सत्ता क्या विपक्ष सभी ने किया था निंदा
मुख्यमंत्री रघुवर दास द्वारा किए गए झारखंडी पिता की बेइज्जती का निंदा कमोबेश सत्ता (दबे स्वर में), विपक्ष से लेकर बुद्धिजीवियों तक ने किया था। ज्ञात हो कि राँची के एक हॉस्टल में रह कर छात्रा इच्छिता मेडिकल की तैयारी कर रही थी। अचानक 3 मार्च 2017 को उसकी आत्महत्या की खबर बाहर आती है। छात्रा के पिता को शक था कि उसकी बेटी ने आत्महत्या नहीं की बल्कि उसकी हत्या हुई है।
घटना के ठीक 5 दिन बाद 8 मार्च, अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का अवसर था। राँची स्थित पटेल मैदान में भाजपा महिला मोर्चा द्वारा कार्यक्रम आयोजित किया गया था। मुख्यमंत्री रघुवर दास भी खुद को बेटियों का हितैसी दर्शाने के लिए पहुंचे थे। लेकिन, नियति को तो आज उसके आडम्बर का पर्दाफ़ाश करना था। इच्छिता के पिता भी बेटी के मौत का बोझ दिल पर लिए न्याय की गुहार लगाते कार्यक्रम में पहुंचे। शायद उन्होंने सोचा होगा कि रघुवर जी तो बेटी प्रेमी! हैं उन्हें ज़रुर न्याय के दहलीज तक पहुंचाएंगे।
वह इन्ही उधेड़बुन में वह पिता मंच तक पहुँच जाता है, जहाँ बेटी प्रेमी मुख्यमंत्री! स्वयं विराजमान थे। वह पिता धीरज बटोर कर मुख्यमंत्री से अपनी बेटी की मौत का सच जानने की इच्छा जताता हैं। और पूरे प्रकरण की सीबीआई से जांच करवाने की फरियाद करता है। लेकिन हुआ उस पिता के सोच के विपरीत, उसने तो राजा के मूड को ही खराब कर दिया था! बस क्या था, भड़क गये साहेब। उन्होंने तो उस पिता पर ही बेटी के नाम पर राजनीति करने का आरोप मढ़ दिया और बेइजत कर कार्यक्रम से बाहर निकलवा दिया।
विडम्बना देखिये वहाँ उपस्थित पूरी महिला जाति को इंसाफ दिलाने की कसमें खाने वाली देवियों के मुख से उस बेटी के लिए एक शब्द तक न निकल पाया।
कोरोना से मरे पिता के शव से रिश्तेदारों ने बनायी दूरी… बेटी की फ़रियाद पहुंची हेमंत तक… बेटी ने कहा, पूरा परिवार सीएम का ऋणी
एक बेटी ने परेशान होकर अपने मृत पिता के शव का अंतिम संस्कार कराने की मदद ट्विटर पर मांगी। श्री सोरेन ने तत्काल उस बेटी के फरियाद को एक भाई रूप में संज्ञान में लिया। मुख्यमंत्री ने तत्काल स्वास्थ्य मंत्री व रांची डीसी को निर्देश दिए – “कोरोना संक्रमण से मौत हुए उस बेटी के पिता के शव का तत्काल अंतिम संस्कार कराने की व्यवस्था करें”।
उस बेटी का कहना है कि कोरोना काल में उसके पिता का निधन हुआ। संक्रमण के भय से आसपास के लोग व रिश्तेदारों ने उनसे दूरी बना ली। ऐसे वक़्त में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने उनकी मदद की। वह बेटी भावुक हो आगे कहती है, “ हमारा पूरा परिवार जीवनभर के लिए हेमंत सर का ऋणी हो गया है”।
सत्ता पर बैठा झारखंडी बेटा हेमंत सोरेन लगातार सुन रहे हैं अपने भाई-बहनों की फरियाद
यह पहला मौका नहीं है जब मुख्यमंत्री सोरेन ने किसी बेटी या झारखंडी की पुकार सुनी है। अब तक के 8 माह के अल्प कार्यकाल में उन्होंने बारमबार दबे-कुचले, वंचित, शोषित, गरीब और दुखियारी बेटियों की फरियाद सुनी और उन तक तत्काल मदद पहुंचाई।
…25 फरवरी 2020, सीएम हेमंत की पहल पर राँची की सड़कों पर घूम-घूमकर अपना जीवन यापन करने पर मजबूर मुनिया, बासी और नीलमणि जैसे पीड़ितों को आशियाना मिला। मुख्यमंत्री के निर्देश पर तत्कालीन राँची डीसी ने तीनों को इटकी स्थित वृद्धाश्रम में रहने की व्यवस्था की।
…7 अगस्त 2020, पत्तल बनाकर गुजारा कर रही बाघमारा निवासी संगीता सोरेन और उनके परिवार को जरूरी सरकारी मदद का निर्देश धनबाद डीसी को दिया गया। ज्ञात हो कि संगीता सोरेन अंतरराष्ट्रीय महिला फुटबॉल खिलाड़ी है।
…26 अगस्त 2020, मुख्यमंत्री के निर्देश पर गढ़वा में रहने वाली एक 105 साल की वृद्ध महिला तक आर्थिक मदद पहुंची। मुख्यमंत्री को सूचना मिली थी कि कोरोना के डर से महिला को बैंक में एंट्री नहीं मिल पा रही है। ऐसे में उस महिला को बैंक से रुपए निकालने में परेशानी हो रही थी। महिला का बेटा अपनी मॉ को पीठ पर लेकर लगातार बैंक का चक्कर लगा रहा है। श्री सोरेन के निर्देश पर गढ़वा में बैंक कर्मियों ने उस वृद्ध महिला को घर जाकर उसके जन-धन खाते के 1500 रुपए दिए।
पूरे कोरोना काल में हर वक़्त मदद को आगे रहे है हेमंत सोरेन
दरसल, कोरोना संकट के पूरे दौर में मुख्यमंत्री झारखंडियों की मदद के लिए आगे रहे हैं। चाहे अन्य राज्यों में रोजी-रोटी कमाने गए झारखंडी मज़दूरों को वहां के सरकारों से बातचीत कर सहायता पहुंचाने की बात हो, या राज्य के लोगों तक सरकारी योजनाएं पहुंचाने की। हर प्रकार से हेमंत सोरेन ने मुख्यमंत्री पद की गरिमा को बरकरार रखे हैं।