20 वर्षों से निराश झारखंडी खिलाड़ियों की नयी उम्मीद मुख्यमंत्री सोरेन

20 वर्षों से खुद को ठगा महसूस कर रहे झारखंडी खिलाड़ियों को निराशा नहीं करना चाहते है मुख्यमंत्री

विकास का दावा करने वाली डबल इंजन की सरकार ने खिलाड़ियों को दिया है धोखा

हेमंत सोरेन के खेल नीति को नए सिरे से परिभाषित करने की घोषणा से खिलाड़ियों में जगी नयी उम्मीद 

राँची। झारखंड को बने 20 वर्ष पूरे होने को है। इस लंबी अवधि के दौरान झारखंडी खिलाड़ी खुद को हमेशा ठगा महसूस करते रहे हैं। क्योंकि राज्य में अब तक खेल व खिलाड़ियों के विकास को लेकर काम की जगह केवल घोषणाएं ही हुई है। और खेल व खिलाड़ियों हित में काम बिल्कुल जीरो। 

राज्य गठन के बाद पहली बार भाजपा के रघुवर दास सरकार ने अपना पांच वर्षों का कार्यकाल पूरा किया। सरकार चाहती तो खेल के विकास पर प्रमुखता से काम कर सकती थी। लेकिन विकास का दावा करने वाली उस डबल इंजन की सरकार ने अपने लूटतंत्र नीति के तहत खेल व खिलाड़ियों को पूरी तरह नकार दिया।

यही कारण है कि आज भी राज्य के कई प्रतिभावान खिलाड़ी अपनी पेट के भूख के लिए ईंट-बालू ढोने जैसे कामों को करने पर मजबूर हैं। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन झारखंड के अपने इन भाई-बहनों का दर्द बखूबी समझते हैं। वे जानते हैं कि राज्य के ये उम्दा खिलाड़ी झारखंड का नाम राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रोशन कर सकते हैं। इसलिए युवा हेमंत मुख्यमंत्री बनते ही राज्य में नई खेल नीति बनाने की घोषणा की है। नतीजतन खेल को दिलों में जिंदा रखने वाले इन खिलाड़ियों में नयी उम्मीदें  जगी है। 

13 वर्ष  पुराने खेल नीति से खिलाड़ियों को केवल हाथ लगी है निराश

ऐसा नहीं है कि राज्य में कभी खेल नीति नहीं बनी है। 13 साल पहले 2007 में खेल नीति बनी थी। उस वक़्त बनने वाली खेल नीति को अच्छा माना गया। लेकिन सच्चाई को धरातल पर आते ही  खिलाड़ियों के सपने हवाई हो गयी। उस खेल नीति में झारखंड के खिलाड़ियों के लिए सरकारी नौकरियों में दो फीसदी आरक्षण प्रदान किया गया था। लेकिन आज का सच यही है कि उस खेल नीति के तहत अब तक केवल 5 खिलाड़ियों को ही सरकारी नौकरी नौकरी का लाभ प्राप्त हो सका है। वह भी सिर्फ पुलिस विभाग में। 

खिलाड़ियों के पीड़ा को देखते हुए नयी सरकार के मुखिया ने खेल नीति में संशोधन का निर्देश दिए 

खिलाड़ियों के इन्हीं तमाम पीडाओं को देख कर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने खेल नीति में संशोधन कर  प्रासंगिक बनाने के निर्देश दिए हैं। नयी नीति तमाम खेल खासकर परंपरागत खेलों के प्रोत्साहन पर ध्यान केन्द्रित कर बनाया जा रहा है। 

हेमंत का यह खेल नीति न केवल बड़े खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करेगी, बल्कि सब जूनियर लेवल तक के खिलाड़ियों को प्रोत्साहित कर राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों की मैपिंग करेगा। यह खिलाड़ियों को आर्थिक मदद देते हुए राज्य के सभी ट्रेडिशनल खेलों को बढ़ावा देगा। यह नीति के प्रकार से राज्य में खेल के क्षेत्र में टैलेंट हंट काम करेगा। जिससे जहां  एक तरफ राज्य के उम्दा खिलाड़ियों के हितों की रक्षा होगी, वहीं खिलाड़ियों के प्रतिभा को निखारने का भरपूर मौका प्रदान करेगा।

सही प्रशिक्षण और मार्गदर्शन मिले तो दुनिया में अग्रीण होंगे झारखंडी खिलाड़ी – हेमंत

झारखंड के सीएम का मानना है कि आदिवासी समाज में ऐसे खिलाड़ियों की भरमार है, जो देश को कई अंतरराष्ट्रीय मेडल दिला सकते है। और दुनिया में देश का नाम भी रोशन कर सकते हैं। जरुरत है तो केवल उनको सही प्रशिक्षण और मार्गदर्शन के साथ अच्छा खानपान और प्रतिस्पर्धी माहौल देने की। इसलिए राज्य की नई खेल नीति 2021 और 2024 के ओलंपिक को विशेष रुप से ध्यान में रखकर तैयार किया जा रहा है। ताकि झारखंड के खिलाड़ी ओलंपिक में हिस्सा लेका देश का नाम रौशन कर सके।

राज्य के महिला फुटबॉल खिलाड़ियों को मिल रहा है बेहतर प्रशिक्षण

श्री सोरेन के सकारात्मक प्रयासों का ही परिणाम है कि राज्य के महिला फुटबॉल खिलाड़ियों को राँची में विशेष प्रशिक्षण देकर वर्ल्ड कप के लिए तैयार किया जा रहा है। इस सम्बन्ध में सीएम स्वयं तमाम व्यवस्था पर अपनी नजर बनाए हुए हैं।

23 जून को अचानक मुख्यमंत्री बिरसा फुटबाल स्टेडियम पहुंच गये थे। वहां उन्होंने न केवल खिलाड़ियों का मनोबल बढ़ाया, बल्कि उन्हें हर संभव मदद का भरोसा भी दिया। उन्होंने अपने हाथों से महिला खिलाड़ियों को फुटबॉल किट एवं टी-शर्ट्स दिए। 

ज्ञात हो कि अगले साल होने वाले अंडर -17 महिला फुटबॉल वर्ल्डकप के खिलाड़ियों के दल में झारखंड की आठ बेटियां शामिल है। इनका ट्रेनिंग गोवा में होना था, लेकिन कोरोना संक्रमण में सभी बच्चियों को घर लौटने पर मजबूर कर दिया। देशव्यापी लॉकडाउन के बेबसी के कारण ये सभी घर पर रहने को मजबूर थी। जैसे ही इसकी जानकारी सीएम को हुई, तो उन्होंने रांची में ही उनके प्रशिक्षित करने का निर्देश दिए। 

खिलाड़ियों को स्कॉलरशिप राशि मिला शुरू

हेमंत सरकार के नीतिगत फैसलों का ही असर है कि खिलाड़ियों के प्रोत्साहन के लिए खेल विभाग ने उन्हें स्कॉलरशिप राशि देना शुरू कर दिया है। बीते दिनों ही विभाग द्वारा करीब 179 खिलाडियों के स्कॉलरशिप के लिए 56 लाख रुपये जारी हुए। इसके अलावा हेमंत वैसे झारखंडी खिलाड़ियों पर नजर रखे हुए है, जो अपनी आर्थिक दशा से परेशान होकर काम करने पर मजबूर हैं। 

बीते 2 अगस्त को सीएम को यह जानकारी मिली कि राँची की रहने वाली लॉनबॉल खिलाड़ी सरिता तिर्की इन दिनों काफी गरीबी में रही है। और घऱ चलाने के लिए वह ईंट और बालू ढोने को मजबूर हैं। खेल संगठनों और पछली सरकार की उपेक्षा के कारण लॉकडाउन के पहले सरिता दूसरों के घरों में दाई का काम करके आजीविका चला रही थी। मुख्यमंत्री ने सरिता को मदद पहुंचाने के लिए त्वरित निर्देश राँची डीसी को दिए। ऐसे ही वर्तान सीएम के कई उदाहरण आज हमारे सामने है जहाँ वह झारखंडी खिलाड़ियों को मदद पहुंचा रहे हैं।

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