हेमन्त सरकार का यूनिक आईडी नंबर आदिवासियों को भू-माफिया लूट से देगा संरक्षण

आदिवासियों के लिए यूनिक आईडी नंबर जैसे हेमंत सरकार की ठोस पहल से भू-माफिया नहीं दे सकेंगे जमीन लूट को अंजाम 

रांची। झारखंड में जहाँ झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) का सच ही जल-जंगल-ज़मीन से जुड़ी हो।  अलग राज्य के मद्देनज़र झारखंड आंदोलन की मानसिकता भी यही सच लिए हो। जिसके सरोकार राज्य के भोले-भाले आदिवासी-मूलवासी के हक-अधिकार के संरक्षण हों। वहां झारखंड गठन का सच 20 वर्षों में उस हकीक़त को उभारे। जहाँ जनता हासिये के अंतिम छोर पर खड़ी हो। ऐसे में  झारखंडी मानसिकता को त्रासदीय हालात से उबरने के लिए मौजूदा सत्ता ठोस कदम उठाये। तो वह कवायद सामाजिक सद्भाव के मद्देनजर आदिवासी कल्याण के राहों में मील का पत्थर साबित हो सकता है।

ज्ञात हो, झारखंड मुक्ति मोर्चा के युवा नेता हेमंत सोरेन 29 दिसम्बर 2019 को मुख्यमंत्री पद का शपथ लेते ही, समाज कल्याण के मातहत निर्णायक फैसले लेने की शुरुआत कर दी थी। साथ ही आदिवासी समुदाय के बेहतर भविष्य के लिए ठोस व सधे कदम भी उठाने शुरू कर दिए थे। लंबे समय से आदिवासी अस्तित्व से जुडी मांग सरना धर्म कोड को विधानसभा में पारित करना इसी कड़ी का हिस्सा भर है। और अब भू-माफियाओं के जमीन लूट के तिकड़मों से समुदाय के ज़मीनों के बचाव में यूनिक आईडी नंबर का प्रस्ताव लाना। सामाजिक सुरक्षा व कल्याण के मद्देनजर झारखंडी मानसिकता का स्पष्ट विस्तार हो सकता है।  

भू-माफिया के जमीन के हेराफेरी का सच मुख्यमंत्री समझते है – यूनिक आईडी नंबर से लगेगी रोक

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि जमीन विवाद से निजात पाने के लिए भू-राजस्व विभाग तेज गति से काम कर रहा है। हर जमीन का एक यूनिक आईडी नंबर जेनरेट किया जा रहा है। विसंगतियों को दूर करने कीड दिशा में काम गति पर है। वह कह चुके कि राज्य में भू-माफिया हेर-फेर कर जमीन लूट रहे हैं। इसलिए अलग-अलग स्तरों पर संज्ञान लेते हुए नियम सम्मत काम हो रहा है। बड़कागांव के रैयतों की जमीन वापसी सरकार का इस दिशा में पहला कदम है। मुख्यमंत्री मानते हैं कि राज्य गठन के बाद इस दिशा में कोई सरकार आगे नहीं बढ़ा। 

आदिवासी जमीनों पर नजर गड़ाने वालों पर सख्ती बरतने से सरकार नहीं करेगी परहेज

ज्ञात हो, पूर्व की भाजपा सत्ता में खुले तौर पर ज़मीन लूट को अंजाम दिया गया। आदिवासियों के सुरक्षा कवच माने जाने वाले सीएनटी-एसपीटी कानून में छेड़-छाड़ के प्रयास हुए। पिछली सत्ता में राज्य के पहले मुख्यमंत्री ने हेमंत सोरेन के मानसिकता से मेल कर भाजपा का जबरदस्त विरोध किया था। लेकिन विडंबना है कि आज जब लड़ाई तेज करने का दौर है तो वह उसी मानसिकता शरण में है। परंतु इतिहास का चक्र घूमाता है। झारखंडी मानसिकता लूट मानसिकता पर हेमेशा से भारी रही है। इस बार भी है।

मुख्यमंत्री व उनकी गठबंधन मित्र आदिवासियी-मूलवासी कल्याण को लेकर निरंतर आगे बढ़ रहे हैं। आदिवासी समाज समेत तमाम वर्ग के भली-भाँति परिचित हो चुके है कि हेमंत सोरेन के नेतृत्व में ही झारखंड का सुखद भविष्य निहित है। हेमंत सरकार के विद्वेष रहित भावना से परे समाज सुरक्षा व कल्याण के हित में निरंतर कार्य, जनता के लोकतांत्रिक विश्वास को मजबूती दी है। मसलन, आदिवासी जमीन लूट के मद्देनजर निश्चित रूप से यूनिक आईडी नंबर भू-माफिया जैसे ज़मीन के गिद्दों में खौफ जगाएगा।

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