स्टेकहोल्डर कॉन्फ्रेंस -औद्योगिक भविष्य तलाशने हेतु मुख्यमंत्री का दिल्ली में जिम्मेदार दस्तक

स्टेकहोल्डर कॉन्फ्रेंस – चीन मामले के बाद उद्योगपतियों ने झारखंड में निवेश को जताई थी मंशा। मुख्यमंत्री ने केवल रचा नहीं इतिहास, झारखंडी प्रतिभाओं के पंखों को उद्योगिक क्षितिज में नया उभार भी दिया 

झारखंड का भविष्य औद्योगिक क्षेत्रों में तलाशने हेतु स्टेकहोल्डर कॉन्फ्रेंस में मुख्यमंत्री का का साहसिक पग, जगा सकती है नयी उम्मीद 

रांची। झारखंड मोमेंटम। डिजिटल इंडिया अभियान। इनक्यूबस सेंटर। स्टार्टअप वेंचर कैपिटल फण्ड संपोषित परियोजना। होटल प्रबंधन संस्थान। फुड क्राफ्ट संस्थान। झारखण्ड साहसिक पर्यटन संस्थान। औद्योगिक पूंजी निवेश प्रोत्साहन नीति। झारखण्ड कौशल विकास मिशन सोसाइटी के तहत राष्ट्रीय कौशल योग्यता फ्रेमवर्क। जैसे कई ढपोरशंखी वादों की फेहरिस्त में ज़मीन लूट की कड़वी यादों को जीने के बाद, संभालने को झारखंड फिर से तैयार दिखे। तो माना जा सकता है कि मौजूदा दौर में सत्ता पर मजबूत व झारखंडी मानसिकता लिए प्रबंधन, युवाओं के भविष्य के मद्देनजर, नयी लकीर खींचने को तैयार है।   

कोरोना त्रासदी के नासूर जख्म जब किसी मुख्यमंत्री को डिगने के बाजाय लड़ने का सीख दे जाए। मुख्यमंत्री कोरोना त्रासदी में, समझ के साथ वही कदम उठाये जिससे झारखंड कम क्षति के साथ खुद को बचा सके। और तूफ़ान थमते ही उनका प्रबंधन राज्य के विकास को गति देने में जुड़ जाए। चीन मामले के बाद बड़े पूंजीपतियों की झारखंड में उद्योग स्थापित करने मंशा जताए। तो हेमन्त सोरेन जैसा आन्दोलनकारी खून, झारखंडी नायक निकल ही पड़ता है नयी लीक खींचने को। नए भविष्य नए सपनों में रंग भरने को …

दिल्ली में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन – मैं यहाँ कोई विशेष आमंत्रित नहीं हूँ – कार्यक्रम में खुद को आमंत्रित किया है

स्टेकहोल्डर कॉन्फ्रेंस दिल्ली में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन – मैं यहाँ कोई विशेष आमंत्रित नहीं हूँ – कार्यक्रम में खुद को आमंत्रित किया है। मैं स्वयं समस्याओं को समझना चाहता हूँ। झारखंड के भविष्य के लिए स्थापित बड़ी लकीर खीचने का अभिलाषी हूँ। आप झारखंड आयें आपके उद्योग सरकार खुद खड़ा होकर लगाएगी। मुख्यमंत्री कहे कि मेने जो बंडी पहनी है उसे झारखंडी महिलाओं ने तैयार किया है। हो सकता है थोड़ी टेड़ी-मेडी हो, लेकिन मेहनत में कमी नहीं है। जरूरत है इसे तराशने की। हमारे नौजवानों में अपार प्रतिभा छुपी है। निश्चित रूप से हेमन्त सरकार की मंशा को आकलन के कसौटी पर कसने को उतावला कर सकता है।  

उद्योगपतियों के क्षितिज में झारखंडी युवाओं- बहन-बेटियों के प्रतिभाओं के ऐसा उभार शायद ही किसी सरकार में देखा जा सकता है। झारखंड की टीस की प्रकाष्ठा के शब्द ही हो सकते हैं – झारखंड टाटा-बिड़ला, सेल, खाद  इंडस्ट्रीज आदि न जाने कितने इंडस्ट्रीज के शुरुआत का सच लिए है। कोई भी उद्योग की स्थिति हमेशा एक जैसा नहीं होता। उतार-चढाव नियति है। तमाम गतिविधियों पर पैनी नजर बनाए रखनी होती है। मॉनिटर करना भी जरुरी होता है कि सरकार के पालिसी तो आड़े नहीं आ रही। मसलन, उद्योगपतियों के तमाम रिस्क आगे बढ़ अपने काँधे पर उठाने की मुख्यमंत्री की अदा उद्योगपतियों को भा सकती है। वे झारखंड की ओर रुख कर सकते हैं।

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