झारखण्ड : 14वाँ इंडिया इंटरनेशनल मेगा ट्रेड फेयर”. राज्य में उद्योग विकास की सभी संभावनाएं विद्यमान. हेमन्त सरकार MSME को जिन्दा करने के लिए 25% से 40% तक बढ़ा सकती है सब्सिडी.
रांची : मोदी सत्ता की नोटबंदी, जीएसटी जैसी नीतियां. उसके द्वारा पेश बजट, देश भर में एमएसएमई समेत अन्य लघु उद्योगों का हासिये पर सच बयान करती है. झारखण्ड में भी पूर्व की बीजेपी की डबल इंजन सरकार में यह सच दिखा. राज्य में सभी द्योग सहित झारखण्ड चेंबर ऑफ कॉमर्स तक की प्रासंगिकता हासिये पर पहुंची. कम्बल घोटाला, बुनकरों की स्थिति इसी सच का ही हिस्सा था. लेकिन हेमन्त सरकार में फिर से इस क्षेत्र में संभावनाएं अंगड़ाई ले रही है.
ज्ञात हो, खजाना खाली होने की स्थिति में हेमन्त सरकार में श्वेतपत्र लाया गया. ऐसे आर्थिक चुनौतियों के बीच भी सीएम ने हिम्मत नहीं हारी और राज्य को बेहतरीन उद्योग नीति दिया. जिसके अक्स में राज्य में कई छोटे-बड़े कॉरपोरेट घरानों ने निवेश करने की इच्छा जताई. कई बड़े कॉरपोरेट सेक्टर ने औद्योगिक इकाई स्थापित करने हेतु शिलान्यास किया है. सीएम सोरेन स्वयं झारखण्ड चेंबर ऑफ कॉमर्स के साथ मदद के हाथ ले कर न केवल खड़े हुए हैं, आत्मविश्वास भी भर रहे हैं.
झारखण्ड औद्योगिक इकाईयों का साथ सदियों से रहा है खड़ा
झारखण्ड मोरहाबादी में इंडिया इंटरनेशनल मेगा ट्रेड फेयर संपन्न हुआ. इसमें देश के उद्यमियों के साथ-साथ विदेशों के उद्यमियों ने भी भागीदारी निभाई. सीएम ने समापन्न समारोह में स्पष्ट शब्दों में कहा कि उनकी सरकार राज्य में एमएसएमई समेत अन्य औद्योगिक इकाइयों को बढ़ावा देना चाहती है. इसके लिए सरकार उद्यमियों को 25 प्रतिशत से बढ़ा कर 35 से 40 प्रतिशत तक सब्सिडी देने की योजना पर कार्य कर रही है.
इसके लिए सीएम ने झारखण्ड चेंबर ऑफ कॉमर्स से आह्वान किया कि उसके पास अच्छी योजना हो तो सरकार उसे अमल में ला सकती है. झारखण्ड आजादी के पहले और आजादी के बाद भी हमेशा औद्योगिक इकाईयों का साथ खड़ा रहा है. टाटा, बिरला व कोल कंपनियां, एचईसी, देश का पहला फ़र्टिलाइज़र फैक्ट्री इसके स्पष्ट उदाहरण हैं. परंतु, औद्योगिकरण के क्षेत्र में झारखण्ड को जहां खड़ा होना चाहिए था वहां नहीं पहुँच पाया है. लेकिन, सरकार औद्योगिकरण में लगातार कदम उठा रही है.