सोबरन माझी पहले शिबू सोरेन अब हेमन्त सोरेन के रूप में सामंतवाद के आगे खडा

झारखण्ड : शिक्षा की अलख जगाने में सोबरन माझी अमर हुए, फिर उस विचार को लेकर शिबू सोरेन व्आ बिनोद् बिहारी महतो आगे बढे और अलग झारखण्ड दिया. अब हेमन्त सोरेन उसी विचार के आसरे सामंतवाद से दो-दो हाथ करते मजबूती से संवार रहे झारखण्ड का मुस्तकबिल.

लुकैयाटांड़, नेमरा : झारखण्ड में सामन्तवाद से लडाई का प्रतीक महान अमर शहीद सोबरन माझी की प्रतिमा का अनावरण हेमन्त सरकार में हुआ. यह महज प्रतिमा भर नहीं झारखण्ड राज्य की सदियों से शिक्षा पाने के संघर्ष की ऐतिहासिक साक्ष्य है. यह झारखंडी माटी का वह मजबूत विचार है जिसपर पहले शिबू सोरेन व बिनोद बिहारी महतो सरीखे महान नेता चल हमें अलग झारखण्ड दिया और अब उसी विचार पर सीएम हेमन्त सोरेन चल राज्य का मुस्तकबिल संवार रहे हैं.

सोबरन माझी पहले शिबू सोरेन अब हेमन्त सोरेन के रूप में सामंतवाद के आगे खडा

सोबरन माझी गरीबों को शिक्षित करने के प्रयास में हुए थे शहीद

झारखण्ड हमेशा से वीरों की धरती रही है. मास्टर सोबरन माझी (सोरेन) ने इस क्षेत्र को शिक्षा के माध्यम से अधिकार के मायने सिखाया. और राज्य को महाजनी प्रथा के प्रकोप से उबरने रास्ता दिखाया. उनकी यह कोशिस महाजनी प्रथा को इतना डराया कि उसने बलरंगा से गुंडे बुलाकर वीर सोबरन की हत्या करवा दी. वह अमर शहीद हो गए. लेकिन मास्टर सोबरन के विचार के उड़ान को सामन्तवाद नहीं मार पाया.

पहले मास्टर सोरन की उस मजबूत विचार ने दिशोम गुरु शिबू सोरेन व विनोद बिहारी महतो सरीखे असंख्य महान नेताओं को सींचा. जिसके छाया में इस क्षेत्र को अलग झारखण्ड राज्य प्राप्त हुआ. ज्ञात हो शिबू सोरेन (गुरूजी) व बिनोद बिहारी महतो ने हमेशा शिक्षा को महत्त्व दिया और शिक्षा को अगली पीढ़ी तक पहुचाने का प्रयास किया. लेकिन सामंतवाद भ्रम के आसरे लगातार अपना पैर पसारता रहता है. नतीजतन सामन्तवाद मानसिकता अपने साम-दाम-दंड-भेद के नीति के आसरे 20 वर्षों तक राज्य के सत्ता पर काबिज रहा.

20 वर्षों बाद सोबरन माझी के विचार ने सामंतवाद मजबूत पटकनी दी

सोबरन माझी के उस अमर विचार ने झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के रूप में 20 वर्षों के बाद फिर एक बार सामंतवाद को मजबूत पटकनी दी है. इस बार वह विचार नायक बन हेमन्त सोरेन के रूप में सामने आया है. उस विचार के सत्ता में आते ही न केवल राज्य वासियों को उनके दीर्घकालीन समस्याओं का स्थाई हल मिला. उनके तन पर कपडा ढकने का भी प्रयास हुआ है. राज्य के आर्थिक हालत के सुदृढ़ीकरण में इमानदार प्रयास हुआ है. राज्य ने शिक्षा की दिशा में सधे पग आगे बढ़ाया है.

हेमन्त शासन में राज्य की शिक्षा में निरंतर हो रहा सुधार

मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन स्वयं निरंतर शिक्षा के स्तर को सुधारने हेतु प्रयासरत है. सरकारी स्कूलों को निजी स्कूलों के तर्ज पर अपग्रेड करने का काम तेजी से जारी है. सारी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं इस निमित्त शिक्षकों को गुणवत्तापूर्ण के मद्देनजर प्रशिक्षण प्राप्त हो रहा है. राज्य में जिलावार स्कूल-कॉलेज बन रहे हैं. बेटियों को शिक्षा के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करने हेतु राज्य में सावित्री बाई फुले किशोरी समृद्धि योजना शुरू हुई है.

इस योजना के तहत 18 वर्ष के बाद राज्य की किशोरियों के बैंक खाते में 40 हजार की राशि भी एकमुश्त प्रदान की जाएगी. सरकार शिक्षा के हर क्षेत्र में राज्य की बच्चियां को उनके सपने को पंख दे रही है. आदिवासी, दलित व पिछड़े वर्ग के बच्चों को सरकारी खर्च पर विदेशों में पढ़ाया जा रहा है. युवाओं को प्रतियोगिता परीक्षाओं की मुफ्त तैयारी कराई जा रही है. पहली बार राज्य में एससी, एसटी, ओबीसी वर्ग के होस्टलों को दुरुस्त कर सुविधाओं से लैस किया जा रहा है.

लेकिन, जैसा कि इतिहास बताता है कि सामन्तवाद ने हमेशा से साम-दाम-दंड-भेद की नीति के अक्स तले झारखण्ड के विकास को बाधित किया है. वही दृश्य मौजूदा दौर में भी देखा जा रहा. जो कतई अचंभित करने वाला नहीं है. ज्ञात हो, सामंतवाद द्वारा अपने ही 20 वर्षों शासन के पाप को हेमन्त सरकार के माथे मढ पूरी ताक़त से राज्य के विकास को रोकने का प्रयास कर रहा है. राज्य हित में बन रही नीतियों के राहों में रोड़े अटका रहा है. लेकिन वह मास्टर सोबरन के अमर विचार को नहीं रोक पायेगा.

Leave a Comment