झारखण्ड सीएम का काम पर वोट मांगना विपक्षी जुबान का घेराव

झारखण्ड : सीएम हेमन्त का काम पर वोट मांगना सोची समझी रणनीति का हिसा. यह न केवल राज्य के विपक्ष का, उसके केन्द्रीय नेताओं के जुबान को भी झारखण्ड के मुद्दों पर बात करने को विवश करेगा. 

रांची : झारखण्ड राज्य के मुखिया का अपने कार्य पर वोट मांगना जन समस्याओं के दृष्टिकोण से एक बेहतरीन दूरदर्शी पहल है. यह प्रयास निर्वाचन व्यवस्था से हवाई मुद्दों को फ़िल्टर कर राज्य की असल समस्याओं पर गंभीर बहस-डिबेट की परम्परा को स्थापित करेगा. और नेताओं और प्रत्याशियों को एक दुसरे पर ओंछी टिप्पणी और समाज को तोड़ने वाली सांप्रदायिक जुबान पर लगाम लगाएगा. मसलन, इसे राजनीति को स्वच्छ बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा सकता है. 

विपक्षी जुबान का घेराव

ज्ञात हो, सीएम हेमन्त सोरेन का कहना है कि उन्होंने अपने पहले वर्ष के कार्यकाल में कोरोना संक्रमण के विरुद्ध जन कार्य किए, झारखंडियों का ही नहीं देश को भी ऑक्सीजन मुहैया कराये. धरती आभा बिरसा मुंडा के जन्म दिवस को साक्षी मान कर हेमन्त सरकार के द्वारा सरकार आपके द्वार के माध्यम से प्रति वर्ष नई कल्याणकारी योजना उतार जनता के द्वारा तक पहुंचाए गए. जिसके तहत राज्य के ज़रूरत मंदों के मूलभूत सुविधाएं और सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित हुए.

मुख्यमंत्री मईया सम्मान योजना तो चौथा जन प्रयास

मईया सम्मान योजना तो चौथा प्रयास है. सर्व प्रथम सर्वजन पेंशन योजना और मरांग गोमके योजना लागू हुआ. तीसरे वर्ष सावित्री बाई फूले योजना राज्य के बेटियों के भविष्य को समर्पित किया गया. सोना सोबरन धोती-साड़ी-लूंगी योजना चलाया गया. चौथे वर्ष केंद्र के नकारने के बाद, जेल में रहने पर भी तीन कमरों का अबुआ आवास योजना और पांचवें वर्ष मईया सम्मान योजना के तहत आधी आबादी की गरिमा को मान-सम्मान देने का प्रयास हुआ. 

ऋण माफ़ी योजना, बिजली बिल माफ़ी और गुरूजी क्रडिट कार्ड योजना, एक्स्सिलेंस स्कूल, होस्टल दुरुस्तीकरण, ओल्ड पेंशन स्कीम, सहायक शिक्षक, आँगनबाड़ी-पोषणसखी बहनों की समस्याओं का हल निकालना भी फेहरिस्त में शामिल है. केन्द्रीय नेताओं-उमीदवारों की मुश्किलें तब बढ़ेगी जब उसे जनता के समक्ष 1932 नियोजन, सरना-आदिवासी धर्म कोड, आरक्षण बढोतरी बिल, मोबलिंचिंग विधेयक के रोक पर बहस करनी पड़ेगी. जनगनना और राज्य के बकाये राशि की अदाएगी पर जवाब देना पड़ेगा.

मसलन, अभी तक आपसी उलझन और सीएम की रेस में उलझे विपक्ष को सीएम हेमन्त ने बड़ी ही शान्ति से हवा-हवाई और सांप्रदायिक मुद्दों से भी दूर कर दिया है. और झारखण्ड चुनाव में राज्य के असल मुद्दों को केंद्र में ला खड़ा किया है. साथ ही गठबंधन दलों के नेताओं को सरकार के काम और झारखण्ड के मुद्दों पर केन्द्रित रहने पर विवश भी कर दिया है. और सीएम के इस दाव ने राज्य की आधी आबादी के जुझारू प्रयासों को और भी मजबूत, मारक और असरदार बना दिया है.

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