झारखण्ड : पूर्व के बीजेपी शासनों में बाहरियों आसरे राज्य में एससी-एसटी-मूलवासी के अधिकारों साजिशन हनन हुआ. परिणाम इन्हें विस्थापन, पलायन, बेरोजगारी और अशुद्ध वातावरण का दंश झेलना पड़ा है.
रांची : झारखण्ड के 19 वर्षों के बीजेपी शासन के इतिहास में विकास की तस्वीर उभरनी चाहिए थी. लेकिन, विस्थापन, पलायन और अशुद्ध व्वातावरण जैसी गंभीर समस्यायें सामने है. सामाजिक, पर्यावरणीय और आर्थिक ताने-बाने को प्रभावित होने का भयावह सच सामने है. एक तरफ खनन गतिविधियां बढ़ी और जनता विस्थापित हुए. तो दूसरी तरफ राज्य का रोयल्टी का 1.36 लाख करोड़ रुपए केंद्र ने नहीं दिए. सीएसआर फण्ड का अधिकाँश हिस्सा भी बाहरियों के बीच बंदरबांट हुए.
बांध निर्माण, औद्योगीकरण, विकास परियोजना के आड़ में गाँव के गाँव विस्थापित होते रहे. चूँकि यह राज्य आदिवासी, दलित और पिछड़ों का है मसलन, इन्हें विस्थापन और पलायन का दंश अधिक झेलना पड़ा है. कुछ वर्ग अपनी पार्टियाँ बनाकर तो लडे, लेकिन चूँकि दलित वर्ग नगरों के इर्द-गिर्द बसते है मसलन, बीजेपी के पूंजी परस्त और बाहरी समर्थित नीतियों ने कभी दलित समुदाय के नेतृत्व और मुद्दों उभरने नहीं दिया. जबकि यह समुदाय अपनी अधिकाँश रिज़र्व सीटें बीजेपी को ही दी है.
नतीजतन, तमाम सरकारी प्रमाण पत्रों के अभाव में इन समुदायों-वर्गों को रोजगार के अवसर, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं, भूमि क्षरण और जलवायु परिवर्तन के विभीषिकाओं के बीच जूझना पड़ रहा है. ऐसे में पीएम और गृहमंत्री जी का भाषणों में कहना कि उनकी पार्टी और सरकार आदिवासी-दलित हितैषी हैं क्या हास्यास्पद नहीं? लेकिन, सीएम हेमन्त शासन ने इन समस्याओं को जड़ से समझते दिखे हैं. और उनकी कई नीतियाँ राज्य को इन समस्याओंसे बाहर निकालने का मादा भी रखती है.
सीएम हेमन्त सोरेन की कारगर नीतियाँ
- 1. गाँव की ज़मीन गाँव में
- 2. भूमि अधिग्रहण कानून (झारखंड) संशोधन 2017 एवं लैंड बैंक नीति रद्द की जाएगी.
- 3. विस्थापन एवं पुनर्वास आयोग के गठन को स्वीकृति दी जा चुकी है.
- 4. विस्थापितों की समस्याओं का समाधान होगा.
- 5. भूमि अधिकार कानून लागू कर स्थानीय भूमिहीन परिवारों को भूमि.
- 6. वन संरक्षण कानून में किये गए ग्राम सभा विरोधी संशोधन रद्द होगा.
- 7. ग्राम सभा द्वारा स्वीकृत व्यक्तिगत और सामुदायिक वन अधिकार पट्टा दावे बिना कटौती दिए जायेंगे.
- 8. वर्षों से खासमहल और जमाबंदी ज़मीनों पर रह रहे परिवारों को मान-सम्मान के साथ जीने का अधिकार मिलेगा.
- 9. गैर-मजरुवा ज़मीन पर बसे रैयतों का फिर से रजिस्ट्री एवं रशीद काटना शुरू.
- 10. पांचवी अनुसूची के प्रावधानों और पेसा कानून को पूर्ण रूप से लागू होगा.