‘सरना आदिवासी धर्म कोड’ पर भाजपा ने 2014 में ही बोला था झूठ, हेमंत ने विशेष सत्र से कराया प्रस्ताव पारित, अब शिक्षा की बेहतरी पर जोर

हेमन्त सरकार में झारखंड शायद देश का पहला राज्य बनेगा, जो राज्य में शिक्षा की बेहतरी के लिए बुलाएगा विधानसभा का विशेष सत्र…

सीएम की इस पहल पर केंद्र सरकार का साथ मिले तो करोड़ों आदिवासियों की सांस्कृतिक परम्परा रखी जा पाएगी सुरक्षित.

राँची : झारखण्ड के गठन काल से ही भाजपा द्वारा प्रदेश के जनजातीय समुदाय से झूठ बोला गया है. ज्ञात हो, इसी फेहरिस्त में 2014 के चुनाव में, आदिवासी हित जुड़े ‘सरना धर्म कोड’ पारित करने का वादा भी भाजपा द्वारा किया गया था. लेकिन सत्ता में आने बाद भाजपा का यह महत्वपूर्ण वादा सफ़ेद झूठ साबित हुआ. वहीं दूसरी तरफ मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सोरेन के नेतृत्व में मौजूदा झारखण्ड सरकार प्रदेश की जनजातीय समुदाय के संस्कृति रक्षा से लेकर तमाम हक-अधिकार संरक्षण हेतु लगातार प्रयासरत हैं. ज्ञात हो, सीएम द्वारा विधानसभा का विशेष सत्र तक बुलाया गया और सरना आदिवासी धर्म कोड का प्रस्ताव पास कराया गया.

निश्चित रूप से सीएम के इस प्रयास ने जनता में एक बेहतर संदेश का संचार किया. सीएम अब इस कड़ी को जनता के हित में लागू करने हेतु इसे विस्तारित करने की दिशा में बढ़ चले हैं. ज्ञात हो, सीएम हेमन्त के नेतृत्व में विधानसभा का विशेष सत्र जन हित में बुलाने की परम्परा की शुरूआत होने जा रहा है. संवैधानिक मूल्यों की मजबूती के मद्देनजर, हेमन्त सरकार शिक्षा की बेहतरी के लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाएगी. शिक्षा की बेहतरी के लिए बुलाये जा रहे इस विशेष सत्र में हेमंत सरकार का विश्वविद्यालय, स्कूली शिक्षा, उच्च एवं तकनीकी शिक्षा तथा मेडिकल कॉलेज से संबंधित तमाम अड़चनें निपटाई जाएगी. 

‘आदिवासी सरना धर्म कोड’ के नाम पर भाजपा ने 2014 में सत्ता पायी, पर सत्ता आते ही भूली.

गौरतलब है कि 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने झारखंड में आदिवासियों का वोट ‘सरना धर्म कोड’ का कार्ड खेल हासिल किया था, लेकिन चुनाव जीतने के बाद तत्कालीन भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष वर्तमान में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अपने झारखंड दौरे में सरना धर्म कोड पर बातचीत करने वाले प्रतिनिधि मंडल दल से मिलने से इनकार कर दिया था. वहीं, तब विपक्ष में रहते हुए सीएम ने सरना धर्म कोड लाने का वादा किया था. वादे के तहत 11 नवंबर 2021 को हेमंत सरकार ने विशेष सत्र में सरना धर्मकोड का प्रस्‍ताव पारित करवाया. पारित प्रस्ताव को लागू कराने को केंद्र को भेजा गया है.

सरना धर्म कोड प्रस्ताव पारित करने के बाद सीएम हेमंत ने की थी बड़ी बात.

प्रस्ताव पारित कराने के बाद मुख्यमंत्री ने कहा था कि झारखंड में सरना आदिवासी धर्मकोड लागू होगा. संकल्प में अभी तक आदिवासी / सरना धर्म कोड का उल्लेख होता था. लेकिन अब उसकी जगह पर सरना आदिवासी धर्म कोड का उल्लेख होगा. सीएम ने दावा किया, सरना धर्म कोड लागू करने के दूरगामी और अच्छे परिणाम सामने आएंगे. आदिवासियों का सही आबादी का आकलन हो सकेगा आदिवासियों को कई संवैधानिक अधिकार और केंद्रीय लाभ मिल पाएंगे.

झारखंड सहित देशभर के आदिवासियों को मिल सकेगी अपनी पहचान

देखा जाए, तो सरना धर्म कोड प्रस्ताव लागू करवाने का हेमंत सरकार का काम झारखंड सहित देशभर के आदिवासियों के सांस्कृतिक परम्परा को संजोये रखने का सराहनीय प्रयास है. बता दें कि आदिवासी स्वयं को किसी भी संगठित धर्म का हिस्सा नहीं मानते हैं इसलिए वे लंबे समय से अपने लिए अलग धर्म कोड की मांग करते रहे हैं. सीएम की यह पहल अगर केंद्र स्तर पर की जाती है, तो झारखंड सहित देश भर के आदिवासियों को उनकी पृथक पहचान मिल सकेगी. 

अब शिक्षा की बेहतरी के लिए हेमंत सरकार बुलाने जा रही विधानसभा का विशेष सत्र.

हेमंत सरकार द्वारा प्रदेश में शिक्षा की बेहतरी के लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की तैयारी पूरी कर ली गई है. बीते 14 नवबंर को मुख्यमंत्री ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों संग बैठक कर सत्र बुलाने का निर्देश दिया है. इससे पहले सीएम ने उच्च व तकनीकी शिक्षा विभाग के अधिकारियों को सभी जरूरी प्रक्रिया जैसे नियुक्ति रोस्टर, नियमावली/एक्ट इत्यादि तैयार करने का निर्देश दिया है. ऐसा होने के बाद झारखंड शायद देश का पहला राज्य होगा, तो शिक्षा की बेहतरी के लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाएगा.

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