झारखण्ड की बड़ी उपलब्धि में भी बीजेपी आइडियोलॉजी में हौसला अफजाई के दो शब्द नहीं

झारखण्ड : बीजेपी आइडियोलॉजी में केवल बहुजन नेताओं पर लागू होने वाले ज्ञान भण्डार हैं. विडंबना है उनका ज्ञान विपक्ष के महज दो-ढाई वर्ष के कार्यकाल पर तो लागू होता है, लेकिन केन्द्रीय आकाओं के 8 वर्ष व झारखण्ड में भाजपा शासन के कार्यकाल पर लागू नहीं होता. 

राँची : बुधवार, 01-06-2022, की तारीख झारखण्ड के इतिहास में दर्ज हुआ. ज्ञात हो, 32 साल, लगभग तीन दशक के बाद, जिसमे आधा से ज्यादा भाजपा शासन काल भी आता हैं, नियमावली दुरुस्तीकरण के बाद कृषि सेवा में 129 पदाधिकारियों की नियुक्ति हुई. झारखण्ड के सीएम ने स्वयं झारखण्ड लोक सेवा आयोग द्वारा अनुशंसित पदाधिकारियों को नियुक्ति पत्र दिया और इस प्रक्रिया को एक शुरुआत बताया. 1047 पदों पर नियुक्ति जल्द होनी है. लेकिन, बीजेपी आइडियोलॉजी के तरकश में झारखण्ड के ऐसे उपलब्धि हेतु भी हौसला अफजाई के दो शब्द नहीं. बल्कि उसके द्वारा दलित मोहरा सामने कर ज्ञान बघार वर्तमान उपलब्धि को धूमिल करने का प्रयास हुआ.

बीजेपी आइडियोलॉजी में केवल विपक्षीय नेताओं पर लागू होने वाले ज्ञान भण्डार

ज्ञात हो, भाजपा आइडियोलॉजी में केवल बहुजन नेताओं पर लागू होने वाले ज्ञान भण्डार है. फिर एक बार उसके आइडियोलॉजी भण्डार से ज्ञान का अमृत टपका है. कहा गया है कि सीएम अपनी संपत्ति की जांच कराएं. लेकिन, विडंबना है कि भाजपा का यह ज्ञान विपक्ष के महज दो-ढाई वर्ष के कार्यकाल पर तो लागू होता है, लेकिन उसके केन्द्रीय आकाओं के 8 वर्ष व झारखण्ड में बाबूलाल मरांडी से लेकर रघुवर सरकार तक के कार्यकाल पर लागू नहीं होता. यदि लागू होता तो ईडी द्वारा पूर्व के घोटाला की जांच के संदर्भ में भाजपा नेताओं के बयानों में रघुवर सरकार का जिक्र ज़रुर होता.

मसलन, भ्रष्टाचार का जांच तो ज़रुर होना चाहिए. झारखण्ड सरकार को बीजेपी आइडियोलॉजी के ज्ञान का मान रखते हुए झारखण्ड से ही इसकी शुरुआत करनी चाहिए. मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन को जल्द कैबिनेट बुलाकर भाजपा शासन के प्रथम मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी से लेकर रघुवर काल तक के मुख्यमंत्रियों, मंत्रियों, नेताओं व चहेते पूंजीपतियों के निजी संपत्ति की जांच कराने का निर्देश अविलम्ब दे देने चाहिये. पहले राज्य को पता तो चले कि पूर्व के शासन काल के नेताओं की आमदनी में कितनी प्रतिशत बढ़ौतरी हुई है. हेमन्त सरकार की जांच अभी महत्वपूर्ण नहीं है क्योंकि इस सरकार की जांच कार्यकाल ख़त्म होने के बाद होना तर्कसंगत हो सकता है.

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