मुख्यमंत्री के पहल पर पहली बार राज्य में 84 भूमिहीन परिवारों को मिली भूमि, राज्य गठन के बाद रैयतों को पहली बार मिली जमीन वापस. “परिशोधन” पोर्टल के तहत देवघर में करीब 90% प्लॉट व नक्शा यूनिक आइडी नंबर से हुआ लिंक.
परिशोधन पोर्टल आने से पेपर में गड़बड़ी सुधारने को नहीं काटने होंगे सीओ के चक्कर
राँची : पूर्व के भाजपा शासन के नीतियों के अक्स में, झारखण्ड में इन दिनों जमीन विवाद की समस्या गंभीर हो चली है. आए दिन किसी न किसी जिलों में जमीन विवाद से सम्बंधित आपराधिक घटनायें सामने आती है. लेकिन, बीजेपी अपने आइडियोलॉजी के मद्देनजर प्रदेश भाजपा आज हेमन्त सोरेन सरकार पर जमीन लूट सम्बंधित आरोप लगाती दिखती है. लेकिन हकीकत भाजपा दावों से कोसों दूर है. दरअसल मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन अपने कार्यकाल के शुरूआती दौर से ही लगातार जमीन विवाद निपटारे में स्थाई उपाय करने पर जोर देते रहे हैं.
मुख्यमंत्री ने कई मंचों से कहा है कि झारखण्ड में जमीन को लेकर ढेर सारे विवाद सुनने को मिलते हैं, उन विवादों से कैसे निपटा जाए, इसे लेकर हम प्रयासरत हैं. जमीन माफिया के आदिवासी जमीन लूट पर अंकुश लगेगा. इसी का परिणाम है कि हेमन्त सरकार में भूमि सुधार विभाग द्वारा लाया गया “परिशोधन पोर्टल” के तहत हर जमीन का एक यूनिक आइडी नंबर दिया गया है. साथ ही पहली बार राज्य में भूमिहीनों को जमीन देने और रैयतों की जमीन वापसी संभव हुआ है.
परिशोधन पोर्टल : जमीन से जुड़ी कई समस्याओं का निदान केवल एक बेवसाइट पर
राज्य में जमीन विवाद को सुलझाने के मद्देनजर, मुख्यमंत्री के निर्देश पर राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग द्वारा “परिशोधन” पोर्टल लांच किया गया है. पोर्टल के आने से अब राज्य में पूर्व की डिजिटाइजड जमाबंदी (पंजी 2), खतियान में त्रुटियों का सुधार किया जा सकेगा. साथ ही छूटे हुए जमाबंदी (पंजी-2) और खतियान की आनलाईन इंट्री भी हो सकेगी. इसके माध्यम से रैयत अब ऑनलाईन शिकायत दर्ज करा सकते हैं. परिशोधन पोर्टल से जमीन से जुड़ी कई तरह की समस्याओं से निजात मिल सकता है.
“परिशोधन” पोर्टल लिंक – https://parishodhan.jharkhand.giv.in
https://parishodhan.jharkhand.giv.in के जरिये रैयत अपने नाम और पते में खुद से सुधार कर सकते हैं. खाता, प्लॉट, रकबा और लगान संबंधी त्रुटियों का सुधार किया जा सकता है. पोर्टल पर ऑनलाईन शिकायत करने वाले को एक शिकायत संख्या प्राप्त होगी. इस शिकायत संख्या के आधार पर भविष्य में आवेदन पर कार्रवाई व स्थिति की जानकारी ले सकेंगे. कुल मिलाकर जमीन से जुड़ी गड़बड़ी को सुधरवाने के लिए अब राज्य की जनता को अंचल कार्यालय (सीओ ऑफिस) और कर्मचारी के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे.
अलपिन नंबर से अवैध जमीन के खरीद बिक्री पर लगेगी रोक, मुआवजा देने के समय घोटाले की आशंका नहीं होगी
झारखण्ड में जमीन से जुड़े विवादों के स्थायी समाधान की दिशा में मुख्यमंत्री ने कहा था कि राज्य में अब हर जमीन का यूनिक लैंड पार्सल आइडेंटिफिकेशन नंबर (अलपिन) होगा. उनके निर्देश पर भूमि सुधार एवं राजस्व विभाग ने इस दिशा मं काम भी शुरू कर दिया है. विभाग की ओर से देवघर में यूनिक आइडी नंबर से करीब 90 प्रतिशत प्लॉट व नक्शा को लिंक कर दिया गया है. यह यूनिक आइडी नंबर 12 डिजिट का होगा. अलपिन आने से सरकारी जमीनों के अतिक्रमण या उसकी खरीद-बिक्री पर रोक लगाई जा सकेगी. सरकार को जमीन अधिग्रहण के समय मुआवजा देने के समय घोटाले की आशंका नहीं रहेगी. बेनामी जमीन जैसी गड़बड़ी पूरी तरह से दूर हो जायेगी.
22 साल में ऐसा पहली बार, जब रैयतों से ली गयी जमीन को कंपनी को लौटाने कहा गया
जमीन से जुड़ी विसंगतियों को दूर करने के लिए मुख्यमंत्री की पहल पर राज्य गठन के बाद पहली बार रैयतों से ली गयी जमीनों को वापस किया गया है. हजारीबाग जिले के बड़कागांव अंचल के पसेरिया मौजा में जॉइंट वेंचर कंपनी ‘रोहाने कोल कंपनी’ को हस्तांतरित जमीन रैयतों को वापस करने का फैसला किया गया था. 18 फरवरी 2021 को छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम 1908 के तहत गठित पीठासीन न्यायालय के पीठासीन पदाधिकारी- सह- मंत्री चंपई सोरेन ने यह आदेश दिया था.
पहली बार भूमिहीनों को जमीन देने की पहल हेमन्त सरकार में ही, उद्देश्य ‘भूमिहीनों का हो अपना घर’
जमीन विवाद निपटारे के साथ पहली बार राज्य में हेमन्त सरकार में भूमिहीनों को जमीन देने की पहल हुई है. यह पहल 6 अगस्त 2020 को हुई थी. जब मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन द्वरा गढ़वा जिला के 84 भूमिहीन परिवारों को 3-3 डिसमिल जमीन उपलब्ध करायी गई थी. ऐसे भूमिहीन जातियों में भुइयां, चमार और कहार जाति के 84 लोगों शामिल थे. भूमिहीनों को जमीन देने का उद्देश्य यह था कि वे अपना मकान बनाकर उसमें रह सकें.