झारखण्ड : केंद्रीय कोयला एवं खान मंत्री से मुख्यमंत्री ने कोयला खनन, उत्पादन, परिवहन, मुआवजा, विस्थापन मामले में केंद्र व राज्य सरकार के बीच संतुलन अतिशीघ्र बनाने पर जोर दिया.
रांची : रॉयल्टी किसी राज्य के लिए एक अतिरिक्त राजस्व का स्रोत होता है. राज्य के विकास कार्यों में अहम भूमिका निभाता है. किसी राज्य के बुनियादी ढांचे, शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला सशक्तिकरण, उद्योग, रोजगार जैसे सभी आयामों में निवेश को मजबूती दे सकता है. नतीजतन, राज्य के आर्थिक विकास को बल मिलता है. राज्य इसका उपयोग अनुसंधान में कर नई प्रौद्योगिकियों, पर्यावरण संरक्षण और उत्पादकता में वृद्धि कर सकता है.
झारखण्ड जैसा राज्य इसका स्पष्ट उदाहरण है जो 1 लाख 36 हजार करोड़ रॉयल्टी न मिलने के सच तले गरीबी, अशिक्षा, लचर स्वास्थ्य व्यवस्था और भूखमरी का दंश झेल रहा है. पूर्व की बीजेपी सरकार में राज्य में भूख से कई मौतें हुई और हजारों स्कूलों को बंद कर दिया गया. रॉयल्टी आम तौर पर प्राकृतिक संसाधनों के दोहन से प्राप्त होती है, जिसका सीधा असर पर्यावरण संतुलन पर पड़ता है. हेमन्त सरकार केंद्र से बकाया रॉयल्टी प्राप्ति के लिए लगातार प्रयासरत है.
झारखण्ड की आधी आबादी ने रॉयल्टी बाकाय को चुनाव में प्रमुख मुदा बनाया
झारखण्ड में अधिकाँश सत्ता बीजेपी की रही, जिस दौरान राज्य का रॉयल्टी बाकाय केंद्र सरकार पर बढ़ा. स्थिति यह हुई कि झारखण्ड कि जनता भूख से मरने तक को विवश हुई. ज्ञात हो झारखण्ड पठार और खनिज संपदा बाहुल्य क्षेत्र है. मसलन, रॉयल्टी इस राज्य के विकास के लिए महत्वपूर्ण संसाधन है. हेमन्त सरकार ने पहली बार इसे राज्य के गरीबी के मूल कारण के माना है. गणना के उपरान्त पहली बार राज्य को ज्ञात हुआ कि राज्य का केंद्र पर 1 लाख 36 हज़ार करोड़ का बकाया है.
राज्य की आधी आबादी ने राज्य की गरीबी के मद्देनजर रॉयल्टी बकाया के सच को समझा और इसके प्राप्ति की दिशा में मुहीम तेज कर दी है. उन्होंने बीते चुनाव में इसे प्रमुख मुद्दा बनाया और राज्य सरकार को केंद्र से इसकी प्राप्ति पर अपना पूरा समर्थन मौजूदा दौर में भी देती दिख रही है. लेकिन जहां विपक्ष इस मुद्दे पर भ्रम फैला कर इसकी प्रासंगिकता को कमजोर करने का प्रयास करती दिख चली है तो वहीं युवा राजनीती का सच भी इस महत्वपूर्ण मुद्दे से आँखें फेरने का सच लिए है.
केंद्र झारखण्ड के इस महत्वपूर्ण मुद्दे आँखें नहीं फेर सकता
रॉयल्टी प्राप्ति का मुद्दा झारखण्ड प्रदेश की जीवन रेखा जुड़ी है इस सच का भान राज्य की जनता हो चुका है. साथ ही राज्य की आधी आबादी इस मुद्दे को पूरी ताक़त से लीड कर रही है. ऐसे में केंद्र की सरकार इसे हलके में नहीं ले सकती है. क्योंकि झारखण्ड की भविष्य की राजनीति इसके इर्द-गिर्द ही सिमटती दिख चली है, केंद्र की बीजेपी सरकार राज्य के इस मुद्दे की अनदेखी नहीं कर सकती है. यदि ऐसा करती है तो वह बची-खुची ज़मीन से भी हाथ धो बैठेगी.
नतीजतन, 10 जनवरी 2025 को इस मुद्दे के मद्देनजर केंद्र कि हलचल दिखी. केंद्रीय कोयला एवं खान मंत्री जी किशन रेड्डी का आगमन रांची हुआ. सीएम हेमन्त सोरेन ने खनिज रॉयल्टी के ₹1लाख 36 हज़ार करोड़ बकाया भुगतान की मांग पुनः उनके समक्ष रखी. केंद्रीय कोयला एवं खान मंत्री ने मामले के समाधान का भरोसा दिया. मुख्यमंत्री के द्वारा कोयला खनन, उत्पादन, परिवहन, मुआवजा, विस्थापन मामले में केंद्र व राज्य सरकार के बीच संतुलन अतिशिग्र बनाने पर जोर दिया गया है.