झारखण्ड : सीएम के नेक प्रयास का नतीजा -एक्सीलेंस पीएम अवार्ड 

झारखण्ड : पूर्व के 20 वर्षों के सामन्ती सत्ता के अक्स में राज्य पर गरीब प्रदेश का टैग चस्पा हुआ. लेकिन, एक आदिवासी जन नेता, हेमन्त सोरेन के नेतृत्व में परिदृश्य बदला है. राज्य आगे भी बढ़ा और पुरस्कृत भी हो रहा है.

रांची : पूर्व के 20 वर्षों के बाहरी बैशाखी आधारित सामन्ती सत्ता के अक्स में झारखण्ड पर गरीब प्रदेश का टैग चस्पा हुआ है. साथ ही पूर्व की सत्ता में यह धानी राज्य सर्वाधिक कर्ज में डूबा. लेकिन, वर्तमान में एक आदिवासी जन नेता, हेमन्त सोरेन के नेतृत्व में यह परिदृश्य बदलता दिखा है. ज्ञात हो, अल्प संसाधन के बीच कोरोना संकट से जूझते हुए सीएम सोरेन राज्य विकास में छोटे-छोटे आम लेकिन मजबूत पग आगे बढाए हैं. नतीजन, राज्य कई क्षेत्रों में आगे बढ़ा और पुरस्कृत भी हुआ है.

झारखण्ड : सीएम के नेक प्रयास का नतीजा -एक्सीलेंस पीएम अवार्ड

ज्ञात हो, 21 अप्रैल का दिन नक्सल प्रभावित क्षेत्र गुमला जिले के लिए हर्ष भरा रहा. जिले को ‘सिविल सर्विस डे 2023’ के मौके पर पीएम मोदी से लोक प्रशासन में उत्कृष्टता का प्रधानमंत्री अवार्ड प्राप्त हुआ. दिलचस्प है की झारखण्ड को यह उपलब्धि डबल इंजन सरकार में भी कभी प्राप्त न हो सकता.  इस महत्वपूर्ण मंच से गुमला जिले में हुए जन कार्यों की सार्वजनिक प्रशंसा होना सीएम के कुशल नेतृत्व की पुष्टि करती है. जो सीएम समेत झारखण्ड के लिए गर्व की बात है.

सीएम सोरेन राज्य विकास में अपने प्रयासों को लगातार बढ़ा रहे आगे  

झारखण्ड में भी सिविल सर्विसेज डे के उपलक्ष्य पर कार्यक्रम आयोजित हुआ. सीएम हेमन्त सोरेन ने कार्यक्रम में पूरी उर्जा के साथ भाग भी लिए. राज्य के सभी लोक सेवकों को बधाई व शुभकामनाएं दी और उन्हें कार्यपालिका का एक अहम हिस्सेदार बताया. ज्ञात हो, सीएम सोरेन राज्य के पदाधिकारियों पर न केवल भरोसा जताते हैं बल्कि राज्य हित में साथ मिलकर आगे बढ़ने पर विश्वास जताते हैं. उन्होंने कहा की लोक सेवकों के बगैर राज्य की व्यवस्था चलाना संभव नहीं है.

सीएम के द्वारा इस कार्यक्रम के माध्यम से भी राज्य हित में आम दिखने वाले लेकिन गंभीर कदम बढ़ाया गया. कहा गया कि झारखण्ड एसटी, एसटी व ओबीसी बहुल राज्य है. लोक सेवक झारखण्ड की भौगोलिक बनावट से परिचित हैं. दो दसक बीत जाने के बावजूद आज भी झारखण्ड जहां था वहीं खड़ा है. झारखण्ड पिछड़े राज्यों की गिनती में आता है. झारखण्ड का रहन-सहन तथा भाषा, संस्कृति से पदाधिकारियों का अभिज्ञ होने के कारण राज्य का पिछड़ापन का दंश झेल रहा है. 

यहाँ के लोगों का अधिकारियों से कम्युनिकेशन स्थापित नहीं हो पा रहा है. नतीजतन, योजनाएं विफल हो रही है. ऐसे में जब तक स्थानीय लोगों के साथ भाषा का समन्वय स्थापित नहीं होगा तब तक चीजें ठीक नहीं होंगी और विकास की यात्रा आगे नहीं बढ़ पाएगी. मसलन, सीएम सोरेन के द्वारा लोक सेवकों से आग्रह किया कि वह स्थानीय भाषा में जनता के साथ कम्युनिकेशन स्थापित करें. और इस पर कार्य योजना लाने की बात कहीं. ताकि राज्य के वंचितों को लाभ जल्द मिल सके.

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