शर्मनाक! राँची के नए सरकारी निगम भवन को बीजेपी नेताओं ने बनाया पार्टी दफ्तर

कलश व पूजा विधि से प्रवेश गलत नहीं, लेकिन सवाल है कि क्या नगर पार्षद पद केवल हिंदुओं के लिए है, निगम भवन के उदघाटन में अन्य धर्मों के पाहन, मोंक, मौलाना, पदारी आदि प्रतीकों को भी क्यों नहीं बुलाया गया 

राँची मेयर का खरमास का बहाना धार्मिक नहीं बल्कि राजनीतिक

नया सरकारी निगम भवन

राँची। लोकतंत्र व धर्मनिरपेक्षता के पाठ पढ़ाने के लिए रांची नगर में बना नया सरकारी निगम भवन, जो पूर्वी भारत में सबसे आकर्षक, भव्य व आधुनिकता का तमगा लिए खड़ा है, उसे भी बीजेपी नेताओं ने पार्टी दफ्तर बना दिया। बीजेपी की समाजविच्छेद राजनीति का शिकार हो गया है। ज्ञात हो 29 दिसम्बर को सरकार के एक साल पूरा होने पर आयोजित कार्यक्रम में भवन का उदघाटन किया गया था। 

लेकिन राज्य का दुर्भाग्य है, रांची मेयर आशा लकड़ा ने झारखंडी संस्कृति का तिलांजलि देते हुए भाजपा विचारधारा, जो संघीय विचारधारा है, को तरजीह दी। और धर्मनिरपेक्षता की भावना को ठेस पहुँचाते हुए उन्होंने खरमास के आड़ में भवन को केवल हिंदु धर्म के रीति-रिवाजों से जोड़ते हुए, मुख्यमंत्री द्वारा हुए उदघाटन को गलत बता दिया। ज्ञात हो कि मेयर ने 18 जनवरी को कलश पूजन अनुष्ठान केवल हिन्दू पूजा पद्धति से कर फिर से भवन प्रवेश किया। जो लोकतंत्र की आत्मा पर कुठाराघात है।  

आशा लकड़ा महोदया भक्ति भाव में भूल गयी कि मेयर का पद संवैधानिक है न कि भाजपा का पार्टी पद। निगम का भवन एक सरकारी भवन हैं न कि भाजपा कार्यालय। भवन का पार्षद पद केवल हिंदु के लिए नहीं, बल्कि सभी धर्म के लिए है। ऐसे में जब मेयर राजस्व का नुकसान कर ही रहीं थी तो उन्हें पाहन, बुद्ध मोंक, मौलाना, पदारी जैसे तमाम धर्मो के प्रतीकों की उपस्थिति में भवन प्रवेश अनुष्ठान करना चाहिए था। दरअसल, भाजपा मेयर का यह भवन प्रवेश तो बहाना था, असल में उन्हें तो समाज में नफरत की राजनीति का बीज सींचना था। मसलन, मेयर आशा लकड़ा का यह शर्मनाक कृत्य झारखंडी संस्कृति पर कुठाराघात है।

बदले की राजनीति पर काम न करना कहना बीजेपी नेताओं का थेथरलोजी

राजस्व का नुकसान पहुंचाते हुए रांची नगर निगम के नये भवन में मेयर व डिप्टी मेयर को आगे कर बीजेपी द्वारा किया गया गृह प्रवेश, न केवल विवादित बल्कि संवैधानिक भावना के विरुद्ध है। ज्ञात हो कि भवन के गृह प्रवेश में हिंदु धर्म का चोला ओढ़ जनता को गुमराह करने वाले रांची विधायक सीपी सिंह सहित बीजेपी रांची जिला के कार्यकर्ता शामिल थे। जहाँ पार्षदों के एक गुट द्वारा नाराजगी भी जतायी गयी। इनका कहना था कि ऐसा प्रतीत होता है कि यह भवन प्रवेश सरकारी भवन का नहीं, बल्कि बीजेपी कार्यालय का है। वहीं कार्यक्रम में सत्तारूढ़ दलों के किसी नेताओं को आमंत्रित न करना बीजेपी के बदले की भावना वाली राजनीति का सत्य सतह पर लाता है।

मेयर आशा लकड़ा का खरमास का बहाना धार्मिक नहीं बल्कि राजनीतिक 

निगम भवन उदघाटन

29 दिसम्बर को सरकार के एक साल पूरा होने पर आयोजित कार्यक्रम में हुआ भवन उद्घाटन पर मेयर का सवाल उठाना धार्मिक भावना से नहीं राजनीतिक भावना से प्रेरित है। हिंदु धर्म की मान्यता को तरजीह देने वाली मेयर आदिवासी समुदाय से आती है। और झारखंड आदिवासी बाहुल्य राज्य है इसका भी ख़याल न रखा जाना क्या दर्शाता है। एक तरफ मेयर खरमास के पालन की बात कहती है तो दूसरी तरफ 26 दिसम्बर के कार्यक्रम में मेयर सांसद संजय सेठ के साथ राजधानी के वार्ड-1 व वार्ड-12 में 4 करोड़ की योजनाओं का शिलान्यास करती है। यदि यह भाजपा का राजनीति प्रोपगेंडा नहीं है तो फिर क्या है – जनता को बताएं …

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