बीजेपी ने ऐसा क्या किया था कि गिरिडीह मेयर सुनील कुमार पासवान अयोग्य घोषित हुए

झारखंड में भाजपा ने अपने शासनकाल में ऐसा क्या किया था कि गिरिडीह मेयर सुनील कुमार पासवान अयोग्य घोषित हुए और अपनी सदयता गवाई

झारखण्ड नगरपालिका निर्वाचित प्रतिनिधि (अनुशासन एवं अपील) नियमावली, 2020 के नियम 3.16 के तहत आरोप प्रमाणित होने के कारण नियमावली के नियम 4.12 के प्रावधानों के तहत  गिरिडीह नगर निगम के महापौर श्री सुनील कुमार पासवान को अयोग्य घोषित करते हुए महापौर पद से उनकी सदस्यता समाप्त कर दी गयी है।

ज्ञात हो कि झारखंड में भाजपा ने अपने शासनकाल में प्रतिनिधित्व चुनाव का नंगा नाच शुरू किया था, जिसे हेमंत सोरेन व उनके दल ने खुली चुनौती दी थी। वास्तव में पूरे रघुवर काल में कभी जनता का प्रतिनिधित्व दिखा ही नहीं। उस काल में पूँजीपति वर्ग के प्रति समर्पित चरित्र व बाहरी भीतरी राजनीति के अक्स तले केवल आदिवासी-मूलवासी के अधिकारों का हनन का ही खेल हुआ। 

झामुमो के वर्तमान विधायक सुदिव्य कुमार सोनू ने उठाया था मुद्दा 

झारखंड में अप्रैल 2018 में हुए नगर निगम चुनाव में भाजपा ने नियम-अधिनियम से परे जा कर बिहारी मूल के सुनील कुमार पासवान को अनुसूचित जाति के आरक्षण का लाभ देते हुए टिकट दिया था। साथ ही सत्ता का दुरुपयोग कर उसकी जीत भी सुनिश्चित की। झामुमो के वर्तमान गिरिडीह विधायक सुदिव्य कुमार सोनू, पार्टी कार्यकर्ता व बुद्धिजीवियों ने उस वक़्त सुनील कुमार पासवान के योग्यता पर सवाल उठाते हुए जांच की मांग की थी।

गिरिडीह विधायक सुदिव्य कुमार सोनू

जांच में सुनील कुमार पासवान का जाति प्रमाण पत्र फ़र्ज़ी पाया गया। तब के तत्कालीन गिरिडीह अंचल अधिकारी ने उनके जाति प्रमाण पत्र को रद्द कर मुफस्सिल थाना में मामला दर्ज कराया था। लेकिन, भाजपा ने सत्ता के ज़ोर पर असंवैधानिक तरीके से उन्हें मेयर के पद पर असंवैधानिक तरीक से बनाए रखा। राज्य में 2019 में सत्ता परिवर्तन हुआ और झामुमो के सत्ता में आते ही मामले ने फिर से जोर पकड़ा।

नगर विकास विभाग ने सुनील कुमार पासवान को शो-कॉज नोटिस जारी किया था 

हेमंत सरकार में न्यायालय द्वारा फ़र्जी ठहराए गए भाजपा के मेयर सुनील कुमार पासवान को अयोग्य घोषित कर बरख़ास्त करने की मांग जोरों से उठी। नगर विकास विभाग ने सुनील कुमार पासवान को शो-कॉज नोटिस जारी किया। और सात दिनों में अपना पक्ष रखने के लिए कहा। साथ ही यह भी कहा गया कि पक्ष नहीं रखने के स्थित में सरकार एकतरफ़ा कार्रवाई करने को बाध्य होगी। 

उपायुक्त, गिरिडीह के प्रतिवेदन के आलोक में झारखण्ड नगरपालिका निर्वाचित प्रतिनिधि (अनुशासन एवं अपील) नियमावली, 2020 के नियम 47 के प्रावधानों के अंतर्गत श्री पासवान के विरुद्ध उपर्युक्त आरोप एवं उनसे प्राप्त बचाव-बयान की सुनवाई हेतु नगर विकास एवं आवास विभाग, झारखण्ड, राँची की अधिसूचना संख्या-2306, दिनांक-21.09.2020 के द्वारा दो सदस्यीय जांच समिति गठित की गई।

जांच समिति के समक्ष श्री पासवान के विरुद्ध आरोप प्रमाणित हुए। दिनांक-21.10.2020 को इस मामले की अंतिम सुनवाई करते हुए विभाग को अनुशंसित किया गया कि झारखण्ड नगरपालिका निर्वाचित प्रतिनिधि (अनुशासन एवं अपील) नियमावली, 2020 के नियम 4.12 सहपठित झारखण्ड नगरपालिका अधिनियम, 2011 की धारा-26(2) तथा 584 (1) के प्रावधानों के आलोक श्री सुनील कुमार पासवान, महापौर नगर निगम गिरिडीह को पद से पद मुक्त की जाए।

क्या कहते हैं नियम 

झारखण्ड नगरपालिका निर्वाचित प्रतिनिधि (अनुशासन एवं अपील) नियमावली, 2020 के नियम 3.16 के प्रावधानानुसार ‘यदि कोई व्यक्ति अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़े वर्गों या महिलाओं के लिए आरक्षित स्थानों के मामले में, जो यथास्थिति उस जाति या वर्ग का सदस्य या महिला नहीं हैं या गलत प्रमाण पत्र या मिथ्या साक्ष्य को आधार बनाकर ऐसे स्थान के लिए निर्वाचित हो गया हो, तो निर्वाचित किसी जनप्रतिनिधि को अयोग्य घोषित करते हुए सदस्यता समाप्त की जा सकती है।

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