क्यों किसी मामले में जांच के लिए सीबीआई को राज्य सरकार से लेनी होगी अनुमति

शायद केंद्र सत्ता द्वारा सरकार को अस्थिर करने के प्रयास के कारण हेमंत सरकार ऐसा कदम उठाना पड़ा है सीबीआई को किसी मामले में जांच के लिए राज्य सरकार से लेनी पड़ेगी अनुमति 

ज्ञात हो कि बाबूलाल जी ने 03 Apr 2019, को राज्य के प्रतिष्ठित अखबार को दिए साक्षात्कार में कहा था कि मौजूदा सरकार में एजेंडे ही एजेंडे हैं। इस सरकार ने लोकतंत्र की हत्या करने का काम किया है। रिजर्व बैंक, सीबीआई जैसी संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर करने का काम किया है। देश में इमरजेंसी जैसे हालात हैं। इस सरकार ने देश की जनता से झूठ बोला है। न तो किसानों को उनकी उपज का ड्योढ़ा दाम मिला, न ही दो करोड़ युवाओं को रोजगार मिला और न ही विदेशों से कालाधन ही वापस आया। 

ऐसा ही कुछ मामला पूर्व मंत्री व झारखंड विकास मोर्चा (झाविमो) प्रत्याशी बंधु तिर्की ने जब मांडर विधानसभा सीट से नामांकन के वक़्त भी सामने आया था। उनके साथ नामांकन में झाविमो सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी भी पहुंचे थे। इस मौके पर बंधु तिर्की ने कहा था कि भाजपा उन्हें संस्थानों का दुरुपयोग कर परेशान कर रही है। बाबूलाल मरांडी जी ने भी अपनी सहमति जताई थी। लेकिन, अब भाजपा में जाते ही बाबूलाल जी का नजरिया बदल चुका है। 

भाजपा नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के खिलाफ देश भर में आक्रोश व्याप्त

केंद्र की भाजपा नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के खिलाफ देश भर में आक्रोश व्याप्त है। झारखंड से भाजपा की विदाई हो चुकी है, बिहार से भी अगले 10 नवंबर को विदाई संभव है। देश के अन्य राज्यों में भी भाजपा का यही हश्र हो सकता है। प्रदेश प्रवक्ता लाल किशोरनाथ शाहदेव ने कहा है कि जिस तरह से सीबीआई ने पश्चिम बंगाल में एक अधिकारी के खिलाफ अपनी शक्तियों का दुरुपयोग किया वह कई सवाल खड़े करते हैं। बाद में इसका खुलकर विरोध हुआ और पश्चिम बंगाल समेत अन्य गैर भाजपा शासित राज्यों ने विवश हो बिना सहमति के सीबीआई एंट्री पर रोक लगा दी।

झारखंड सरकार को अस्थिर करने के प्रयास जोरों पर 

झारखंड में जिस प्रकार भाजपा नेता द्वारा सत्ता को गैर लोकतांत्रिक तरीके से छीनने की बात कहा गया दर्शाता है कि आने वाले समय में केंद्र और राज्यों के बीच संघर्ष तेज होगा।  भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश का दुमका में उपचुनाव प्रचार के दौरान बयान देना कि दो महीने में सत्ता परिवर्तन होगा, निशिकांत दुबे के बयान भी यही संकेत देते हैं कि अंदरखाने में सरकार को अस्थिर करने के प्रयास जोरों पर हैं। जहाँ संवैधानिक संस्थाओं और केंद्रीय जांच एजेंसियों का दुरुपयोग होना बड़ी बात नहीं होगी।

कई प्रवक्ताओं ने अपने बयान में कह चुके हैं कि पिछले छह वर्षों में केंद्रीय जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कर विभिन्न राज्यों की सरकारों को अस्थिर करने की न केवल प्रयास बल्कि संघ विरोधी विचारधारा के अधिकारियों व पत्रकारों को फंसाने के भी प्रयास हुए हैं। उसे देखते हुए देशभर के गैर भाजपा शासित राज्यों की तरह झारखंड को भी सीबीआई को किसी मामले में जांच के लिए राज्य सरकार से अनुमति लेने जैसे कदम उठाने को विवश होना पड़ा है।

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