रघुवर सरकार की गलत कार्यशैली पर फिर उठाया भाजपा राज्यसभा सांसद महेश पोद्दार ने सवाल

5 करोड़ की लागत से रिम्स के छत पर स्थापित खराब सोलर पावर प्लांट को लेकर भाजपा सांसद ने अपने ही पूर्व की रघुवर सरकार पर उठाया सवाल

8 फरवरी 2017 को तत्कालीन सीएम, नगर विकास मंत्री सीपी सिंह की उपस्थित में प्लांट का हुआ था उद्घाटन

रांची। पिछले कई सालों से भाजपा के कतिपय (कुछ) नेता, अपने ही पार्टी के पूर्व मुखिया, सीएम रघुवर दास की कार्यशैली पर सवाल उठाते रहे हैं। इस फ़ेहरिस्त में दिग्गज नेता सरयू राय, राज्यसभा सांसद महेश पोद्दार व स्कूलों के मर्ज के नाम पर बंद करने के निर्णय पर सवाल उठाने वाले भाजपा के 12 सांसद हैं। रघुवर सरकार को उनकी गलत नीतियों ने आज सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाए जाने के बावजूद, उस सरकार की कार्यशैली शनि बन कर पीछा नहीं छोड़ रही है। 

मसलन, आज भी रघुवरशैली राज्य में चर्चा का विषय बनी हुई है। इस बार फिर भाजपा के राज्यसभा सांसद महेश पोद्दार ने रघुवर सरकार की कार्यशैली बड़ा हमला बोल सवाल खड़ा किया है। राजधानी के रिम्स ऑडिटोरियम में लगाए गये सोलर रूफटॉप सोलर पावर प्लांट में रघुवर सरकार द्वारा बरती गयी अनियमिताएं ग्रहण बन भाजपा के समक्ष आयी है। दरअसल, 24 घंटे सस्ती और निर्बाध बिजली आपूर्ति के दावे के साथ लगाया गया साढ़े पांच करोड़ का सोलर प्लांट का पूरी तरह फेल होना, उस सरकार की लूट का दास्ताँ सुना रही है। यह प्लांट आज खराब पड़ा है और केवल रिम्स की छत की शोभा बढ़ा रहा है। 

तत्कालीन मुख्यमंत्री ने किया था उद्घाटन, साल भर भी नहीं टिक सका यह प्लांट

रिम्स में 400 किलोवाट के ग्रिड कनेक्टेड रूफटॉप सोलर पावर प्लांट का उद्घाटन 8 फरवरी 2017 को तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास ने किया था। उस दौरान नगर विकास मंत्री सीपी सिंह भी कार्यक्रम में उपस्थित थे। सोलर प्लांट लगाने का मुख्य उद्देश्य था बिजली की इस वैकल्पिक व्यवस्था से रिम्स को 24 घंटे सस्ती और निर्बाध बिजली मिलेगी। लेकिन देखरेख के अभाव के कारण सोलर प्लांट सालभर भी नहीं चल सका।

इस 400 किलोवाट सोलर ग्रिड स्टेशन से रिम्स के इमरजेंसी, ऑर्थो, न्यूरो, ब्लड बैंक समेत विभिन्न वार्डो की रौशनी पहुंचाने की योजना थी। लेकिन 25 जुलाई 2017 को आयी भारी बारिश और रिम्स प्रशासन की लापरवाही ने पांच करोड़ की लागत से बने सोलर प्लांट को बेकार कर दिया।

सवाल? आखिर क्यों नहीं तत्कालीन सरकार ने की सुधार की पहल

रिम्स में यह प्लांट जब लगा था, उस वक्त भाजपा के डबल इंजन वाली सरकार के मुखिया ने विकास के मातहत दावा किया था कि इससे राज्य के सबसे बड़े अस्पताल में बिजली की सुविधा निर्बाध होगी। हालांकि उनके दावे की सत्यता तो फेल हुए प्रोजेक्ट ने उजागर कुछ माह में ही कर दी। क्योंकि एक तो तत्कालीन भाजपा सरकार द्वारा 5 करोड़ की लागत से लगी सोलर प्लांट में अनियमिततायें बरती गए साथ ही महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट की देख-रेख के लिए कोई व्यवस्था की गयी। 

महेश पोद्दार ने कहा, ‘सौर ऊर्जा प्लांट की नाकामी ने कार्यशैली का तथ्य उजागर किया’ 

आज रिम्स के छत पर लगा यह सोलर प्लांट पूरी तरह से खराब पड़ा हुआ है। स्थिति को देखते हुए भाजपा राज्यसभा सांसद ने सवाल उठाया है। सोशल मीडिया ट्विटर में उन्होंने लिखा है कि “@ranchi_rims के सौर ऊर्जा प्लांट की नाकामी ने एक तथ्य उजागर किया कि सोलर प्लांट लगाना आसान है पर देखरेख भी जरूरी है। कई व्यक्तिगत अनुभव भी हैं। शायद कभी किसी ने समीक्षा नहीं की, कि खर्च कितना हुआ, अपेक्षा क्या थी और परिणाम क्या आये। बड़े-बड़े दावे फेल होंगे।”

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